
उत्तराखंड के इतिहास में यह दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। राज्य को एक साथ केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजनाओं की सौगात मिली है। कुल 6,800 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले ये दोनों रोपवे केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि उत्तराखंड की धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाले मील के पत्थर साबित होंगे।


मिनटों में तय होगा घंटों का सफर
आज तक श्रद्धालुओं के लिए केदारनाथ और हेमकुंड साहिब तक की कठिन यात्रा किसी तपस्या से कम नहीं रही।
- केदारनाथ यात्रा: गौरीकुंड से 16 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई, जिसे पैदल, टट्टू, पालकी या हेलीकॉप्टर से तय करना पड़ता है। इसमें 8-9 घंटे लग जाते हैं। अब यही सफर महज 36 मिनट में पूरा होगा।
- हेमकुंड साहिब यात्रा: गोविंदघाट से 21 किलोमीटर की थकाऊ और जोखिम भरी चढ़ाई अब 12.4 किलोमीटर लंबे रोपवे के जरिए मिनटों में पूरी हो जाएगी।
इन दोनों परियोजनाओं से न केवल बुजुर्ग और दिव्यांग यात्रियों को सुविधा मिलेगी, बल्कि हर तीर्थयात्री का अनुभव श्रद्धा और आराम से भरा होगा।
✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
आस्था से अर्थव्यवस्था तक
रोपवे निर्माण केवल यात्रियों की सुविधा तक सीमित नहीं रहेगा। इसके दूरगामी प्रभाव राज्य की अर्थव्यवस्था और रोजगार पर भी दिखेंगे:
- पर्यटन को मिलेगा नया आयाम – अधिक से अधिक श्रद्धालु सुरक्षित और सुविधाजनक ढंग से धामों तक पहुंच सकेंगे।
- स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी – होटल, परिवहन, गाइड, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
- रोजगार के अवसर सृजित होंगे – हजारों युवाओं को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से काम मिलेगा।
- पर्यावरण संरक्षण – वाहनों और हेलीकॉप्टरों पर निर्भरता घटेगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा और हिमालय की नाजुक पारिस्थितिकी को राहत मिलेगी।
धामी सरकार की उपलब्धियों में एक और अध्याय
इन रोपवे परियोजनाओं की शुरुआत यह साबित करती है कि राज्य सरकार केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं, बल्कि धरातल पर ठोस काम कर रही है। यह परियोजना उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक पहचान दिलाने, पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने और युवाओं के लिए रोजगार सृजन का सशक्त माध्यम बनेगी।
यह केवल विकास का काम नहीं है, बल्कि आस्था और आधुनिकता का संगम है। भविष्य में जब कोई श्रद्धालु मिनटों में केदारनाथ या हेमकुंड साहिब की यात्रा पूरी करेगा, तो यह न केवल उसकी श्रद्धा की जीत होगी बल्कि उत्तराखंड की विकास यात्रा की भी गवाही होगी।

