सिटी क्लब रुद्रपुर: लोकतंत्र, सहमति और सत्ता का समीकरण!निर्विरोध निर्वाचन: सहमति या समीकरण? सबसे अधिक मतों से विजयी संजय ठुकराल कार्यकारिणी से बाहर क्यों?

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रुद्रपुर शहर की सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र माने जाने वाले सिटी क्लब में हुए हालिया चुनाव न केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया थे, बल्कि उन्होंने क्लब की कार्यप्रणाली, राजनीति और सामाजिक मनोविज्ञान को भी एक आईने की तरह उजागर किया है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

इस बार के चुनावों में 546 में से 444 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो क्लब के प्रति सक्रियता और जागरूकता का संकेत है। 10 प्रत्याशियों में से आठ को कार्यकारिणी सदस्य के रूप में चुना गया। लेकिन सबसे उल्लेखनीय पहलू यह रहा कि सचिव, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और उप सचिव जैसे अहम पदों पर निर्विरोध निर्वाचन हुआ। यह निर्विरोध चयन एक ओर आपसी सहमति की मिसाल है, तो दूसरी ओर इसके पीछे राजनीतिक समझौते, गुटबाजी और शक्ति संतुलन की रणनीति भी पढ़ी जा सकती है।

निर्विरोध निर्वाचन: सहमति या समीकरण?बल्लू धीर (सचिव), पंकज बांगा (उपाध्यक्ष), मनीष गगनेजा (कोषाध्यक्ष) और नरेंद्र बंसल (उप सचिव) का निर्विरोध चयन यह दर्शाता है कि चुनावी रस्साकशी के बजाय एक साझा सहमति से नेतृत्व चुना गया। यह एक सकारात्मक संकेत है कि क्लब की सर्वोच्च पदस्थ कार्यकारिणी टकराव से नहीं, समन्वय से बनी है। परंतु सवाल यह भी उठता है कि क्या यह सहमति सभी हितधारकों की भागीदारी से बनी, या कुछ सत्ता समूहों के रणनीतिक गठबंधन से?

सबसे अधिक मतों से विजयी संजय ठुकराल कार्यकारिणी से बाहर क्यों?

चुनाव में सबसे ज्यादा मत प्राप्त करने वाले संजय ठुकराल का कार्यकारिणी में प्रमुख पद से बाहर रह जाना कई तरह के प्रश्न खड़े करता है। क्या यह किसी आंतरिक राजनीतिक समीकरण का परिणाम है? या यह संकेत है कि सत्तारूढ़ नेताओं की पकड़ अब भी क्लब की संरचना पर प्रभावशाली बनी हुई है? कहीं यह “लोकप्रियता बनाम सत्ता की रणनीति” की कहानी तो नहीं?

क्लब की नई कार्यकारिणी से अपेक्षाएं

अब जबकि नई कार्यकारिणी गठित हो चुकी है और पदाधिकारी निर्विरोध चुन लिए गए हैं, रुद्रपुर के नागरिकों और क्लब सदस्यों को उम्मीद है कि यह टीम क्लब को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। क्लब को सिर्फ एक सामाजिक मंच नहीं, बल्कि शहर के बौद्धिक विमर्श, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और नागरिक सहभागिता का केंद्र बनाना होगा।

कार्यकारिणी से अपेक्षा की जाती है कि वह पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखते हुए कार्यक्रमों का आयोजन करे, क्लब की सदस्यता प्रणाली को अधिक समावेशी बनाए और सामाजिक सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर भी गंभीर पहल करे।
सिटी क्लब का यह चुनाव केवल एक संस्था के भीतर सत्ता हस्तांतरण नहीं है, बल्कि यह रुद्रपुर के बदलते सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य की एक झलक भी है। निर्विरोध चुनाव जहां एक ओर सहमति का प्रतीक है, वहीं लोकतांत्रिक स्पर्धा की अनुपस्थिति पर भी सोचने को विवश करता है। ऐसे में आने वाले समय में यह देखना रोचक होगा कि नई कार्यकारिणी इन उम्मीदों पर कितना खरी उतरती :

अवतार सिंह बिष्ट
प्रकाशन हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स / शैल ग्लोबल टाइम्स


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