
रुद्रपुर उत्तराखंड कांग्रेस में लंबे समय से चल रही “संगठन सर्जरी” अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। प्रदेश के 27 संगठनात्मक जिलों में से 25 जिलों के अध्यक्षों के नाम लगभग तय कर लिए गए हैं, जबकि ऊधमसिंह नगर और पिथौरागढ़ में समीकरणों के उलझने से अंतिम सूची पर फिलहाल रोक लगी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि भैया दूज के बाद ही कांग्रेस आलाकमान औपचारिक घोषणा करेगा।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
भुल्लर की दावेदारी से बदले समीकरण?15 अक्तूबर को दिल्ली में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) की बैठक में अधिकांश जिलों के नामों पर सहमति बन चुकी थी, लेकिन ऊधमसिंह नगर में स्थिति अचानक तब बदल गई जब यूथ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सुमित्तर भुल्लर ने खुद जिलाध्यक्ष पद के लिए औपचारिक दावेदारी ठोक दी।
जानकारी के अनुसार, कांग्रेस संगठन सृजन अभियान के तहत हरियाणा के पूर्व मंत्री व केंद्रीय ऑब्जर्वर राव दान सिंह ने जिलेभर में 10 दिन तक रायशुमारी की थी, जिसमें पहले से तय माने जा रहे नामों के समीकरण भुल्लर की एंट्री के बाद पूरी तरह बदल गए।
भुल्लर ने पुष्टि की कि उन्होंने “हाईकमान के निर्देश और संशोधित नियमों” के तहत दावेदारी की है। दरअसल, कांग्रेस ने हाल ही में उस नियम में बदलाव किया है जिसके तहत जिलाध्यक्ष को अगला विधानसभा चुनाव लड़ने से रोका गया था। अब यह प्रतिबंध हटने से भुल्लर का मैदान में उतरना संगठन के समीकरणों को नया मोड़ दे गया है।
करन माहरा बोले – सप्ताहभर में फाइनल लिस्ट?प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि दिल्ली में हुई बैठक में करीब-करीब सभी जिलों पर सहमति बन चुकी है। केवल दो जिलों में दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण सीडब्ल्यूसी और सीईसी की एक और बैठक की जरूरत पड़ सकती है।
त्योहारों और बिहार चुनाव के चलते फाइनल लिस्ट जारी होने में एक सप्ताह का विलंब संभव है। माहरा ने भरोसा जताया कि “कांग्रेस का नया संगठन दीपावली के बाद पूरी ताकत से मैदान में उतरने को तैयार होगा।”
पिथौरागढ़ में भी ‘धड़ा बनाम धड़ा,पिथौरागढ़ में मौजूदा जिलाध्यक्ष मंजू लुंठी ने पुनः अध्यक्ष बनने की दावेदारी ठोकी है, जबकि विधायक मयूख महर समर्थित भुवन पांडे समेत कुल छह दावेदार भी दौड़ में हैं। दो बड़े गुटों की टक्कर के चलते यहां भी फाइनल नामांकन पर सहमति नहीं बन पाई है।
संगठन की सर्जरी या शक्ति परीक्षण?कांग्रेस की यह ‘संगठन सर्जरी’ केवल नामों की फेरबदल नहीं, बल्कि आंतरिक शक्ति परीक्षण का प्रतीक बन गई है। यूथ कांग्रेस से लेकर महिला कांग्रेस और मुख्य संगठन तक, हर स्तर पर ‘नए बनाम पुराने’ की जंग छिड़ी हुई है।
भुल्लर की एंट्री ने युवा नेतृत्व की भूमिका को फिर से चर्चा में ला दिया है, वहीं मंजू लुंठी और मयूख महर गुट के बीच का संघर्ष यह दिखा रहा है कि कांग्रेस में अभी भी स्थानीय समीकरण केंद्रीय निर्णयों पर भारी पड़ रहे हैं।
अंतिम शब्द?दीपावली के बाद जैसे-जैसे नई सूची सामने आएगी, वैसे-वैसे कांग्रेस का नया संगठनात्मक चेहरा भी स्पष्ट होगा। सवाल यही है — क्या यह बदलाव कांग्रेस को 2027 की चुनौतीपूर्ण राजनीति के लिए नई ऊर्जा देगा, या यह भी एक और “नामों की औपचारिकता” बनकर रह जाएगा?
(संपादकीय दृष्टिकोण ?उत्तराखंड कांग्रेस की यह उठापटक केवल नेतृत्व की लड़ाई नहीं है — यह उस सोच की परीक्षा भी है जो पार्टी को “जन संगठन” के रूप में पुनः स्थापित करना चाहती है। यदि यह सर्जरी केवल चेहरों तक सीमित रही, तो परिणाम पुराने जैसे ही होंगे। लेकिन यदि इस बार युवाओं, महिलाओं और कार्यकर्ताओं को सच में नेतृत्व में जगह मिली — तो यह कांग्रेस के पुनर्जागरण की दिशा में पहला वास्तविक कदम हो सकता है।


