
कोर्ट ने दशकों पुराने इस मामले में स्थानीय लोगों के पक्ष में फैसला सुनाया है।
यह मामला 1990 के दशक से चल रहा है। यह रुड़की के भंगेरी गांव के निवासियों और सेना की BEG सेंटर के बीच एक रास्ते को लेकर विवाद था। BEG सेंटर ने कैंटोनमेंट से निकलने वाले इस रास्ते पर गेट लगा दिया था। कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन (खसरा नंबर 710) राजस्व रिकॉर्ड में सार्वजनिक रास्ता दर्ज है। इसलिए लोगों के आने-जाने पर रोक लगाना सही नहीं है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस पंकज पुरोहित की एकल पीठ ने शुक्रवार को की।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
‘यह जमीन डिफेंड लैंड का हिस्सा’BEG सेंटर ने यह याचिका हरिद्वार के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के 30 मई 2023 के फैसले और रुड़की के उप-मंडल मजिस्ट्रेट (SDM) के 26 जुलाई 2022 के आदेश को चुनौती देने के लिए दायर की थी। SDM ने CrPC की धारा 133 के तहत BEG को सार्वजनिक रास्ते से गेट हटाने का आदेश दिया था। BEG सेंटर का कहना था कि विवादित जमीन ‘ए-1 डिफेंस लैंड’ का हिस्सा है और इसका इस्तेमाल सैन्य प्रशिक्षण के लिए होता है, इसलिए आम लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित है।
सेना के वकील ने दी यह दलीलBEG सेंटर के वकील ने दलील दी कि सिविल कोर्ट पहले ही इस जमीन पर ग्रामीणों के अधिकार को खारिज कर चुका है। वकील ने यह भी कहा कि ग्रामीणों को दो वैकल्पिक सड़कें दी गई थीं। राज्य और ग्रामीणों के वकीलों ने इस बात पर जोर दिया कि खसरा नंबर 710 (लगभग 0.36 हेक्टेयर) को यूपी जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार अधिनियम, 1950 की धारा 132 के तहत “रास्ता” (सड़क) के रूप में दर्ज किया गया था और इसका वर्गीकरण कभी नहीं बदला गया।
‘आम लोगों की आवाजाही से सुरक्षा को खतरा नहीं’जस्टिस पुरोहित ने फैसला सुनाया कि राजस्व रिकॉर्ड में खसरा नंबर 710 अभी भी एक सार्वजनिक रास्ता है। सेना यह साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय सबूत पेश नहीं कर सकी कि उसने यह जमीन वैध प्रक्रिया से हासिल की है या आम लोगों की आवाजाही से कोई तत्काल सुरक्षा खतरा है। हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि BEG सेंटर द्वारा पहले दायर किए गए मामले (कल्लू सिंह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया) एक पानी नहर के रास्ते से संबंधित थे, जिसका इस रास्ते से कोई लेना-देना नहीं था। इसके अलावा, आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, यह खसरा अधिग्रहित रक्षा भूमि के 648.9 एकड़ के बाहर स्थित था। कोर्ट ने माना कि SDM ने रास्ते तक निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने के अपने अधिकार क्षेत्र में काम किया।
2020 में ग्रामीणों और सेना के बीच हुई थी झड़पइस विवाद के कारण 2020 में हिंसा भी हुई थी, जब ग्रामीणों और सेना के बीच झड़प हुई थी। इस मामले में सेना के जवानों, ग्रामीणों और लगभग 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ दंगे का मामला दर्ज किया गया था।


