पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की उपस्थिति से सजी आध्यात्मिक शाम – संजय नगर महतोष में आयोजित अखण्ड महानाम संकीर्तन महायज्ञ बना ऐतिहासिक क्षण शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

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उत्तराखण्ड की तराई भूमि में जब आध्यात्मिक चेतना की ज्योति प्रज्ज्वलित होती है, तो उसकी लौ पूरे समाज को आलोकित करती है। कुछ ऐसा ही अद्वितीय दृश्य संजय नगर महतोष, रूद्रपुर में आयोजित अखण्ड महानाम संकीर्तन महायज्ञ में देखने को मिला, जहाँ पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की गरिमामयी उपस्थिति ने आयोजन को न केवल राजनीतिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक बना दिया।

धर्म, संस्कृति और समाज सेवा का त्रिवेणी संगम

पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल, जिन्हें रूद्रपुर क्षेत्र में एक जननेता के रूप में जाना जाता है, इस आयोजन में न केवल अतिथि के रूप में शामिल हुए, बल्कि उन्होंने आयोजन के मूल उद्देश्य—सामाजिक सौहार्द और आध्यात्मिक जागरण—को मंच से अपने वक्तव्य के माध्यम से स्पष्ट किया। उन्होंने कहा:

धार्मिक आयोजनों से समाज में नई चेतना आती है। यह न केवल आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि हमारी युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक अनमोल माध्यम भी है।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे कार्यक्रमों से ‘जनसेवा’ को सही दिशा मिलती है, क्योंकि जब धर्म और संस्कृति को सामाजिक संवाद से जोड़ा जाता है, तो एक समरस समाज का निर्माण संभव होता है।

कीर्तन मण्डलियों ने बांधा भक्ति का समां

कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल और स्थानीय कीर्तन मंडलियों ने भाग लिया और अपने सुर-ताल से ऐसा वातावरण रच दिया कि श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। घंटे, मृदंग और करतालों की ध्वनि जब “हरे राम हरे कृष्ण” के उच्चारणों के साथ गूंजी, तो लगता था कि एक दिव्य ऊर्जा संपूर्ण संजय नगर में व्याप्त हो गई है।

राजकुमार ठुकराल ने कीर्तन स्थल पर बैठकर श्रद्धापूर्वक इस संकीर्तन को सुना और स्थानीय जनता के साथ समरसता दिखाते हुए उनकी सुख-समृद्धि के लिए विशेष प्रार्थना की।

पूर्व विधायक का आत्मीय संवाद

अपने संबोधन में उन्होंने राजनीति को जनकल्याण से जोड़ते हुए कहा कि,

“धर्म और राजनीति दो अलग ध्रुव नहीं हैं, जब राजनीति का उद्देश्य लोक कल्याण हो और धर्म का आधार समाज कल्याण हो, तब दोनों मिलकर राष्ट्र निर्माण में सहायक बनते हैं।”

उन्होंने उपस्थित युवाओं से आह्वान किया कि वे ऐसे आयोजनों से प्रेरणा लें और सामाजिक मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आएं।

जन सहभागिता और ठुकराल की जमीनी छवि

इस आयोजन की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि यह किसी राजनीतिक मंच पर नहीं, बल्कि एक धार्मिक मंच पर था, फिर भी आम जनता की भागीदारी अप्रत्याशित रही। सैकड़ों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने राजकुमार ठुकराल का स्वागत किया, जो यह दर्शाता है कि जनता आज भी उन्हें अपने निकट पाती है।

इस कार्यक्रम ने यह भी सिद्ध किया कि ठुकराल की छवि केवल एक नेता की नहीं, बल्कि एक संस्कृति-संरक्षक और जनभावनाओं के साथ चलने वाले कर्मयोगी की है।

सम्मान और परंपराओं का निर्वहन

कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर आयोजकों द्वारा उन्हें पारंपरिक अंग वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया। यह सम्मान केवल औपचारिक नहीं था, बल्कि जनता की भावनाओं का प्रतीक था। एक ऐसा सम्मान, जो किसी पद के कारण नहीं, बल्कि उनके जनसेवा भाव, सामाजिक सहभागिता और धर्म-संस्कृति के प्रति आस्था को देखकर दिया गया।

समाज के प्रतिनिधि चेहरों की उपस्थिति

इस अवसर पर विप्लव विश्वास, विजय वाजपेयी, रामकुमार गुप्ता, ललित बिष्ट, सुभाष, मनी मोहन, हर्षित, प्रीतिश बाला, रघुराज राय, दयाल सिकदार, विश्वजीत, शंकर विश्वास, गोविंद मालाकार, मेघ्ज्ञनाथ बनिक, मिट्टू मण्डल, चिंटू, पियूष्ज्ञ, हराधन, खोकन जैसे अनेक स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता व जनप्रतिनिधि मौजूद रहे, जिनकी सहभागिता ने इस कार्यक्रम को जनआंदोलन का स्वरूप प्रदान किया।

ठुकराल: राजनीति से आगे बढ़कर जनआस्था का चेहरा

पूर्व विधायक के इस रूप ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि उनकी राजनीति केवल चुनावों तक सीमित नहीं है, बल्कि वे समाज के हर उस क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं जहाँ लोगों को दिशा, समर्थन और प्रेरणा की आवश्यकता होती है—चाहे वह कोई प्राकृतिक आपदा हो, सामाजिक संकट हो या फिर धार्मिक आयोजन।

संजय नगर महतोष के लिए यह आयोजन क्यों रहा ऐतिहासिक?

इस छोटे से ग्राम क्षेत्र ने पहली बार इस स्तर पर धार्मिक कीर्तन का आयोजन किया, जिसमें इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति और एक पूर्व विधायक की भागीदारी ने संजय नगर महतोष को राज्य के धार्मिक मानचित्र पर विशेष स्थान दिला दिया। यहां के नागरिकों के लिए यह एक अभूतपूर्व क्षण था, जिसे वे वर्षों तक याद रखेंगे।



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