उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने 63 वर्षीय मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात बांदा मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.

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मुख्तार अंसारी एक प्रतिष्ठित परिवार की पृष्ठभूमि से थे, मगर बाद में उन्‍होंने इसके विपरीत अपनी छवि बना ली।

जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने 60 वर्षीय मुख्तार अंसारी की गुरुवार की शाम दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

अंसारी मऊ सदर सीट से पांच बार (दो बार बसपा उम्मीदवार और तीन बार निर्दलीय के रूप में) पूर्व विधायक रहे थे. उनके खिलाफ 65 आपराधिक मामले लंबित थे. उन्हें सितंबर 2022 से अब तक आठ मामलों में यूपी की विभिन्न अदालतों द्वारा सजा सुनाई गई थी और वर्तमान में वे बांदा जेल में बंद थे.

एक में बताया गया है कि गुरुवार शाम को उन्हें उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में जेलकर्मियों द्वारा बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के आपातकालीन विभाग में करवाया गया था, जहां उन्हें नौ डॉक्टरों की एक टीम द्वारा तत्काल इलाज दिया गया. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद दिल का दौरा पड़ने के कारण मरीज की मौत हो गई.

बताया गया है कि मुख्तार अंसारी को उनके बैरक में बेहोश पाए जाने के बाद गुरुवार शाम को फिर से बांदा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. इससे पहले इसी सप्ताह मंगलवार को उन्हें पेट में दर्द की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां वे करीब 15 घंटे भर्ती रहने के बाद डिस्चार्ज किए गए थे.

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, पिछले हफ्ते मुख्तार के वकील रणधीर सिंह सुमन ने बाराबंकी की एक अदालत में दायर एक अर्जी में उचित चिकित्सा जांच की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया गया था कि बांदा जेल के कर्मचारियों द्वारा उन्हें ‘धीमा जहर’ दिया जा रहा है.

अंसारी को महज 18 महीने की अवधि के भीतर आठ मामलों में सजा का सामना करना पड़ा था. दो मामले में उन्हें आजीवन कारावास मिला था. उन्हें अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पंजाब की रोपड़ जेल से बांदा जेल में ट्रांसफर किया गया था.

उनके भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी मंगलवार को अस्पताल पहुंचे थे और आरोप लगाया था कि उनके भाई को जेल में जहर दिया गया है.

इससे पहले भी उनके परिजनों द्वारा उनकी जान को खतरा होने की बात दोहराई जाती रही थी.

इस साल जनवरी महीने में ही उनके बेटे उमर अंसारी की याचिका सुनते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यूपी सरकार सुनिश्चित करें कि मुख़्तार अंसारी को किसी अप्रत्याशित स्थिति से न गुज़रना पड़े. उमर ने उनके पिता को उत्तर प्रदेश के बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए जेल परिसर के भीतर उनकी सुरक्षा का मुद्दा उठाया था.

मुख्तार अंसारी के परिवार ने दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य सरकार बांदा जेल में उनकी हत्या करने की योजना बना रही है.

अपनी याचिका में मुख्तार के बेटे उमर ने आदित्यनाथ सरकार पर अंसारी के खिलाफ ‘शत्रुतापूर्ण रुख’ अपनाने और जेल में रहने के दौरान उन्हें खत्म करने के लिए ‘बड़ी साजिश’ रचने का आरोप लगाते हुए उन्होंने दावा किया था कि अंसारी की जान को खतरे की आशंका मुख्तार को मिली ‘विश्वसनीय जानकारी’ पर आधारित है और बांदा जेल में उसकी हत्या करने के लिए राज्य सरकार द्वारा साजिश रची जा रही है.

उनका कहना था कि 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या- जिसमें मुख्तार को 2023 की शुरुआत में संबंधित मामले में दोषी ठहराते हुए 10 साल की सजा सुनाई गई थी- में आरोपी कई लोगों को उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल ने समान परिस्थितियों में मार डाला था.

उन्होंने आगे कहा था कि राय की हत्या के आरोपियों में से चार की पहले ही हत्या कर दी गई है. जहां एक आरोपी फिरदौस को 2006 में एसटीएफ ने मार गिराया था, वहीं प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की 2018 में एक अन्य दोषी गैंगस्टर सुनील राठी द्वारा बागपत जेल में हत्या कर दी गई थी. उनकी हत्या से एक सप्ताह से अधिक समय पहले बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने उसी साल 29 जून को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि यूपी पुलिस कुछ नेताओं और अधिकारियों के साथ मिलकर उन्हें जेल के बाहर ‘फर्जी मुठभेड़’ में खत्म करने की साजिश रच रही है. सिंह ने यह भी दावा किया था कि झांसी जेल में रहने के दौरान उनके पति को जहर देने की कोशिश की गई थी.

मुख्तार के एक अन्य सहयोगी राकेश पांडे को अगस्त 2020 में एक कथित ‘मुठभेड़’ में पुलिस ने गोली मार दी थी. पांडे के परिवार ने पुलिस पर उन्हें लखनऊ में घर से उठाने और फिर उनकी हत्या करने का आरोप लगाया था. जून 2023 में मुख्तार के कथित सहयोगी संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की लखनऊ में एक अदालत कक्ष के अंदर तब गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब उन्हें पेशी पर लाया गया था. जीवा पर भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या का भी आरोप लगा था.

वह मुख्तार अहमद अंसारी के पोते थे, जो स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्ति थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे।

30 जून, 1963 को उत्तर प्रदेश के यूसुफपुर में जन्मे मुख्तार अंसारी ने अपराध की गलियों से लेकर सत्ता के गलियारों तक का सफर किया।

अंसारी ने 1980 के दशक में अपराध की दुनिया में कदम रखा। 1990 के दशक में संगठित अपराध में उनकी भागीदारी बढ़ गई, खासकर मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर जिलों में।

वह कोयला खनन, रेलवे निर्माण और अन्य क्षेत्रों में फैले ठेकेदारी के धंधे को लेकर ज्यादातर ब्रिजेश सिंह के साथ भयंकर प्रतिद्वंद्विता में उलझकर अंडरवर्ल्ड में एक उल्लेखनीय व्यक्ति बन गए।

साल 2002 में उनके काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया था, जिसमें उनके तीन मददगार मारे गए थे।

अंसारी बाद में राजनीति में आए और 1996 से मऊ से लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

कुछ लोगों ने अंसारी में रॉबिन हुड की छवि देखी, तो अन्य ने उन्‍हें आपराधिक गतिविधियों में लगे रहने वाले के रूप में देखा।

अपने राजनीतिक कार्यकाल के दौरान वह बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़े रहे। उन्हें ‘गरीबों के मसीहा’ के रूप में चित्रित किया गया था और बाद में बसपा छोड़कर उन्होंने अपने भाइयों के साथ कौमी एकता दल का गठन किया।

अंसारी का जीवन कानूनी परेशानियों से भरा रहा। साल 2005 में जेल में बंद होने के बाद से उन्हें 60 से ज्‍यादा मामलों में आरोपों का सामना करना पड़ा।

उनके आपराधिक रिकॉर्ड में हत्या, अपहरण और जबरन वसूली के आरोप शामिल थे।

अप्रैल 2023 में उन्हें भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया और 10 साल कैद की सजा सुनाई गई। मार्च 2024 में उन्हें फर्जी हथियार लाइसेंस रखने के मामले में उम्रकैद की सजा मिली।

Hindustan global Times/शैल ग्लोबल टाइम्स/avtar singh bisht, रुद्रपुर

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