भगवान शिव, जिन्हें महादेव, शंकर, त्रिनेत्र, कैलाशपति आदि नामों से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं. भगवान शिव को सृष्टि के विनाशक संहारक के रूप में जाना जाता है, लेकिन वे सृष्टि के रक्षक पालनहार भी हैं.

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भगवान शिव को भक्तों के सभी कष्टों को दूर करने वाला मोक्ष प्रदान करने वाला भी माना जाता है. भगवान शिव की आरती, जिसे “शिव आरती” भी कहा जाता है, एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव की पूजा के दौरान गाया जाता है. शिव आरती आमतौर पर आरती की थाली, दीप, घंटी, फूल जल से की जाती है.

शिव आरती का महत्व

हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ प्रिंट मीडिया:
शैल ग्लोबल टाइम्स /अवतार सिंह बिष्ट, रूद्रपुर उत्तराखंड

शिव आरती, भगवान शिव के प्रति भक्ति समर्पण व्यक्त करने का एक तरीका है. जब आप भगवान शिव की आरती गाते हैं, तो आप उनका ध्यान आकर्षित करते हैं उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. माना जाता है कि शिव आरती करने से पापों का नाश होता है नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. शिव जी की आरती गाने से मन शांत होता है तनाव कम होता है. इस आरती को करने से घर में शुभता समृद्धि आती है. ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शिव की आरती करने से शिव जी भक्तों की इच्छाओं की पूर्ति करते हैं.

शिव आरती कब करें?

सुबह: सूर्योदय के समय शिव आरती करना शुभ माना जाता है.

शाम: सूर्यास्त के समय शिव आरती करना भी अच्छा होता है.

महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि के दिन शिव आरती का विशेष महत्व होता है.

सोमवार: सोमवार भगवान शिव का दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन भी शिव आरती करना शुभ होता है.

शिव आरती कैसे करें?

सबसे पहले स्नान करें स्वच्छ वस्त्र पहनें. एक थाली में दीपक जलाएं भगवान शिव की प्रतिमा या तस्वीर के सामने रखें. थाली में फूल, फल, मिठाई जल भी रखें. घंटी बजाकर पूजा की शुरुआत करें. शिव आरती का गीत गाएं. आरती के बाद भगवान शिव से प्रार्थना करें.
प्रसाद वितरित करें. भगवान शिव की आरती भक्ति समर्पण का एक सुंदर तरीका है. यह भक्तों को पापों से मुक्ति, मन की शांति, शुभता, समृद्धि इच्छाओं की पूर्ति प्रदान करता है. अगर आप भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो नियमित रूप से शिव आरती करें.


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