ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर किए गए काम शुभ फल भी देते हैं. इसलिए यह तिथि अक्षय तृतीया के समान ही शुभ मानी जाती है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में भड़ली नवमी का महत्व भी अधिक बढ़ जाता है. इसके बाद 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु के योग निद्रा पर जाने से 4 महीने के लिए सारे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. ऐसे में शादी, गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत जैसे किसी काम को आप भड़ली नवमी पर निपटा लें.
हिंदुस्तान Global Times/। प्रिंट मीडिया: शैल Global Times /Avtar Singh Bisht ,रुद्रपुर, उत्तराखंड
भगवान विष्णु की पूजा करने का महत्व
भड़ली नवमी गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन सोमवार 15 जुलाई को मनाई जाएगी. नवमी तिथि 14 जुलाई शाम 5 बजकर 26 मिनट से शुरू हो जाएगी 15 जुलाई शाम 7 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में भड़ली नवमी 15 जुलाई 2024 को मान्य होगी. इसी दिन गुप्त नवरात्रि का नवमी पूजन किया जाएगा 2 दिन बाद यानी 17 जुलाई 2024 देवशयनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. देवशयनी एकादशी से पहले भड़ली नवमी पर भगवान विष्णु की पूजा करने का महत्व है.
भड़ली नवमी पर बन रहे ये शुभ योग
इस वर्ष भड़ली नवमी की तिथि बहुत खास होने वाली है. क्योंकि इस दिन बनने वाले योग इस तिथि के महत्व को अधिक बढ़ा रहे हैं. बता दें कि भड़ली नवमी पर रवि योग, सिद्ध योग, करण योग शिववास योग रहेगा. साथ ही इस दिन स्वाति नक्षत्र रहेगा.
बिना शुभ-मुहूर्त के कर सकते हैं काम
भड़ली नवमी स्वयंसिद्ध तिथि है इस दिन अबूझ मुहूर्त रहता है. इसलिए आप बिना ज्योतिषी या पुरोहित से शुभ-मुहूर्त आदि दिखाए विवाह से लेकर गृह प्रवेश, मुंडन, कर्ण छेदन, भूमि पूजन आदि जैसे कई काम सकते हैं. इतना ही नहीं मान्यता है कि इस तिथि किए गए काम शुभ फलदायी भी होते हैं. इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया की तरह शुभ माना जाता है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में भड़ली नवमी का महत्व अधिक बढ़ जाता है.
धन-धान्य की होगी प्राप्ति
भड़ली नवमी तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. साथ ही आषाढ़ी गुप्त नवरात्रि का आखिरी दिन होने से मां दुर्गा की पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि के नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. लिहाजा इस दिन मातारानी की विशेष पूजा करें. साथ ही भड़ली नवमी के दिन भगवान विष्णु माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है.
ये होते हैं अबूझ मुहूर्त
अक्षय तृतीया, वसंत पंचमी, भड़ली नवमी, तुलसी विवाह. भड़ली नवमी को भी अबूझ मुहूर्त माना गया है. इस दिन कोई भी शुभ-मांगलिक कार्य बिना मुहूर्त निकाले किया जा सकता है. यही वजह है कि चातुर्मास शुरू होने से पहले भड़ली नवमी को बड़ी संख्या में शादी-विवाह होते हैं. इसके बाद देवशयनी एकादशी से भगवान श्रीहरि योगनिद्रा में चले जाते हैं. साथ ही भड़ली नवमी के दिन आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि होती है. इस दिन मां दुर्गा की पूजा करना बहुत लाभ देता है.
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