बरेली की इस महिला के कारण, मंत्री रेखा आर्य की टेंशन बढ़ी हुई है. आगे का काम अब यूपी पुलिस और कोर्ट को करना है. ताकि साफ हो सके कि कल्पना मिश्रा आखिर ऐसा क्यों कर रही है?
बता दें कि, उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने यूपी बरेली में एक महिला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. इसमें उन्होंने शिकायत की है कि कल्पना मिश्रा नाम की महिला उनका और उनके पति के नाम का गलत इस्तेमाल कर रही हैं. राजनेताओं से संपर्क होना का फायदा उठाते हुए रसूख जमा रही हैं. शिकायत में आरोप है कि कल्पना मिश्रा ने अपने आधार कार्ड, पासपोर्ट जैसे व्यक्तिगत दस्तावेजों में केयर ऑफ के तौर पर उनके पति गिरधारी लाल साहू का नाम और मंत्री के बरेली स्थित आवास का पता दर्ज करा लिया है.
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर 8393021000
कल्पना मिश्रा, कौन है, क्या है, कहां की रहने वाली है ? और क्यों ये सब कर रही है ? ये पुलिस की जांच में साफ होगा? लेकिन ये कोई पहला मामला नहीं है, जबकि किसी तीसरी महिला की एंट्री ने जनता के चुने नेता की टेंशन बढ़ाई हो. 5 साल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे नारायण दत्त तिवारी, पहले स्टिंग को लेकर चर्चाओं में रहे, तब तिवारी जी, आंध्र प्रदेश के गवर्नर थे. तो पत्नी होने का दावा ठोकने वाली उज्जवला तिवारी से 88 साल की उम्र में नारायण दत्त तिवारी को 2014 में शादी करनी पड़ी.
कांग्रेस के सीनियर नेता हरक सिंह रावत का नाम 2003 में जैनी केस में जुड़ा, तो 2014 में दिल्ली की मोनिका ठाकुर नाम की महिला ने आरोप लगाए. हालांकि, दोनों मामलों में हरक सिंह रावत बेदाग निकले. बीजेपी के द्वाराहाट से पूर्व विधायक महेश नेगी पर एक महिला ने इसी तरह के आरोप लगाए. नतीजा ये कि 2022 में पार्टी ने महेश नेगी को टिकट नहीं दिया, तो कुछ महीने पहले कुमाऊं के एक विधायक की अंतरंग तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, खबरें थी वो महिला विधायक की कोई जानने वाली थी, हालांकि ये मुद्दा नहीं बना.
खुद आरोप झेल चुके हरक सिंह रावत के मुताबिक, ये बड़ा मुश्किल वक्त होता है. तो कई बार विरोधी घिनौनी साजिश करते हैं, वहीं महिला नेता नेहा जोशी के मुताबिक, राजनीति में जनता नेता का चरित्र चाहती है. वो पुरुष हो या महिला, लेकिन तब तक उंगली नहीं उठानी चाहिए. जब तक आरोप साबित ना हो जाएं. तो साफ है कि तीसरी महिला, किसी न किसी तरह, स्थापित नेताओं के लिए मुसीबत साबित हुई हैं. फिर चाहे किसी ने चरित्र पर सवाल उठाए हों या कोई नेता के नाम पर बेजा इस्तेमाल कर रहा हो.