


राज्य सरकार ने बड़े स्तर पर सत्यापन अभियान चलाया हुआ है। चमोली,उत्तरकाशी,रूद्रप्रयाग,देहरादून समेत पहाड़ के कई जिलों में एक समुदाय विशेष द्वारा की गई घटनाओं के बाद से इस मामले ने तूल पकड़ा है। हाल ही में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा यह राज्य के लिए बेहद जरूरी है।


उन्होंने कहा कि किसी भी दशा में राज्य की संस्कृति, अवधारणा और अस्मिता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। राज्य की जनसांख्यिकी में जो बदलाव आया है, उसके लिए वेरिफिकेशन अभियान उत्तराखंड में चलाई गई थी, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने आगे कहा, उत्तराखंड का जो राज्य का मूल स्वरूप है, जो राज्य की अवधारणा है वह अवधारणा बनी रहनी चाहिए। उसके लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है।
राज्य की मूल संस्कृति से छेड़छाड़ ना हो
सीएम धामी ने कहा कि राज्य का स्वरूप किसी भी कीमत पर खराब नहीं होना चाहिए। राज्य में जो जनसांख्यिकीय बदलाव हुआ है, उससे राज्य की मूल संस्कृति से छेड़छाड़ ना हो। उसके लिए पिछले दिनों हमने वेरीफिकेशन अभियान भी चलाया है। इस अभियान को आगे हम और भी शक्ति से चलाएंगे।
सख्त भू कानून की मांग
जानकारों का मानना है कि इसके लिए सख्त भू कानून का होना जरूरी है। पड़ोसी राज्य में जिस तरह का भू कानून है, उत्तराखंड को भी ऐसे ही कठोर भू कानून की आवश्यकता है। उत्तराखंड साल 2000 में अस्तित्व में आया। राज्य में 2001 की जनगणना के मुताबिक करीब 1 लाख आबादी मुस्लिमों की थी, जो 2011 में बढ़कर 14 लाख से ज्यादा हो चुकी है।
क्या कहते हैं आंकड़े
2001 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड की आबादी में हिंदू 84.95% थे, जबकि मुस्लिम 11.92% थे। 2011 की जनगणना तक हिंदू आबादी घटकर 82.97% रह गई थी और मुस्लिम आबादी बढ़कर 13.95% हो गई थी। जो कि लोगों की चिंता का विषय बना हुआ है। उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट, रुद्रपुर का कहना है कि ये मुद्दा राजनीतिक नेरेटिव है। इसके लिए सरकार ही दोषी हैं जो कि पहले जमीनों को खरीदने की खुली छूट दे देते हैं, उसके बाद सिर्फ समुदाय विशेष को टारगेट करते हैं।
जनसंख्या विस्फोट भी चिंता
इसके लिए ही सरकार का भू कानून सख्त बनाने की मांग हो रही है। इससे बड़ी चिंता का विषय ये भी है कि उत्तराखंड में जनसंख्या विस्फोट की दर देश में जनसंख्या वृद्धिदर से ज्यादा है।
