इंटरनेट को जियो, एयरटेल और बीएसएनएल से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। आपके घर तक पहुंचने वाला इंटरनेट कई देशों से होकर गुजरता है। इस इंटरनेट को समुद्री केबल की मदद से आप तक पहुंचाया जाता है।

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वही आपके डेटा को बड़े डेटा सेंटर में स्टोर किया जाता है। ऐसे में जिसके पास डेटा सेंटर और समुद्री केबल का कब्जा होता है, वो पूरी दुनिया के इंटरनेट पर कब्जा रखता है। मौजूदा वक्त में अमेरिका और चीन भारत के इंटरनेट पर कब्जा रखते हैं। ऐसा जानकर कई लोगों को झटका लग सकता है, लेकिन यह बिल्कुल सच है।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट,

काफी बड़ा है डेटा और क्लाउड कंप्यूटिंग का मार्केट
Economist की रिपोर्ट की मानें, तो एशिया के इंटरनेट पर दो ही देश अमेरिका और चीन का कंट्रोल है। अगर भारत की बात की जाएं, तो यहां के 25 फीसद क्लाउड कंप्यूटिंग पर चीन का कंट्रोल है, जबकि करीब 75 फीसद क्लाउड कंप्यूटिंग पर अमेरिका का कंट्रोल है। चीन के पास Alibaba और Tencent जैसी कंपनियां मौजूद हैं, जो डेटा सेंटर और समुद्री केबल का काम करती हैं। वही अगर अमेरिका की बात की जाए, तो गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन के क्लाउड कंप्यूटिंग और डेटा सेंटर स्थापित करने वाली बड़ी कंपनियां हैं।

किसके पास इंटरनेट का कंट्रोल
एशिया की बात करें, तो यहां कुछ देश में चीन का क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा सेंटर और समुद्री केबल पर कब्जा है। थाईलैंड, फिलिपिंस, मलेशिया के 100 फीसद इंटरनेट पर चीन का कंट्रोल है। हांगकांग में 50 फीसद मार्केट को चीन कंट्रोल करता है, जबकि बाकी पर अमेरिका मौजूद है। वही जापान, ब्रिटेन जैसे देश के ज्यादातर इंटरनेट को अमेरिका कंट्रोल करता है।

कैसे इंटरनेट करता है काम
आम लोगों को लगता है कि इंटरनेट मोबाइल टावर से पहुंचता है। लेकिन इंटरनेट पूरी दुनिया में केबल की मदद से पहुंचता है। इसके लिए समुद्र के नीचे केबल बिछाई जाती हैं, जिससे एक महाद्वीव से दूसरे महाद्वीप तक इंटरनेट पहुंचता है। इसके बाद इंटरनेट को दूसरे देश में केबल से पहुंचाया जाता है, उसके बाद उसे मोबाइल टावर की मदद से एक सीमित दायरे तक फैलाया जाता है। साथ ही किसी डेटा सेंटर पर काफी संख्या में डेटा उपलब्ध रहता हैं, जिसे इंटरनेट से पूरे विश्व में ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाता है।


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