जम्मू कश्मीर में आतंकी को पकड़ने के लिए एक बिस्कुट में बड़ा अहम रोल निभाया। उस बिस्कुट की मदद से श्रीनगर में एक हाई-प्रोफाइल लश्कर-ए-तैयबा (LeT) कमांडर का खात्मा हुआ। इससे पता चलता है कि सेना की प्लानिंग कितनी जबरदस्त थी।

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वरिष्ठ अधिकारियों ने लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी कमांडर उस्मान के खिलाफ ऑपरेशन के दौरान आवारा कुत्तों की चुनौती से निपटने में बिस्कुट के महत्व को बताया।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

सुरक्षा बलों को खानयार के घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में उस्मान की मौजूदगी के बारे में खुफिया जानकारी मिली, जिसके बाद ज्यादा नुकसान को कम करते हुए ऑपरेशन की सफलता के लिए नौ घंटे की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई।

आवारा कुत्तों की सबसे बड़ी चिंता

हालांकि, इस ऑपरेशन के दौरान एक सबसे बड़ी चिंता आवारा कुत्तों की थी, क्योंकि उनके भौंकने से आतंकवादी सतर्क हो सकते थे। इससे निपटने के लिए, टारगेट के करीब पहुंचने पर सर्च टीमों को कुत्तों को शांत रखने के लिए बिस्कुट दिए गए।

पूरा ऑपरेशन फज्र (सुबह से पहले की नमाज) से पहले किया गया था, जिसमें सुरक्षा बलों ने 30 घरों के एक समूह के चारों ओर घेरा बना लिया था।

स्थिति तब बिगड़ गई जब Ak-47, एक पिस्तौल और कई ग्रेनेड से लैस उस्मान ने सुरक्षा बलों के साथ भीषण गोलीबारी शुरू कर दी।

कई घंटों की गोलीबारी के बाद हुआ ढेर

टकराव के दौरान, कई हैंड ग्रेनेड फोड़े गए, जिससे घर में आग लग गई। सुरक्षाकर्मियों ने आग पर तुरंत काबू पा लिया ताकि इसे आसपास की इमारतों तक फैलने से रोका जा सके।

कई घंटों की भीषण गोलीबारी के बाद उस्मान को ढेर कर दिया गया। मुठभेड़ में चार सुरक्षाकर्मी घायल हो गए, जिनकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है।

इस ऑपरेशन को स्थानीय पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने मिलकर अंजाम दिया था।

कौन था उस्मान?

अधिकारियों ने कहा कि उस्मान घाटी के इलाके से अच्छी तरह परिचित था। उसने 2000 के दशक की शुरुआत में अपनी गतिविधियां शुरू करने के बाद से कई आतंकी हमलों की योजना बनाने में अहम भूमिका निभाई।

पाकिस्तान में कुछ समय बिताने के बाद, वह 2016-17 के आसपास वापस इस इलाकें में घुसपैठ कर गया और पिछले साल पुलिस इंस्पेक्टर मसरूर वानी की गोली मारकर हत्या करने के मामले में भी उसका नाम आया था।


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