इस बार के अमेरिका चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने एक अप्रत्याशित जीत दर्ज की है। तमाम पोल्स को गलत साबित करते हुए उन्होंने कांटे की टक्कर वाले मुकाबले में कमला हैरिस को हरा दिया है। अमेरिका के इतिहास में 132 सालों बाद ऐसा हो रहा है जब एक चुनाव हारने के बाद कोई उम्मीदवार दोबारा राष्ट्रपति की कुर्सी पर काबिज होने जा रहा है।

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ट्रंप दोस्ती भी दिखाएंगे और आंखें भी

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट

पीएम मोदी ने उन्हें अपना करीबी मित्र भी बताया है। बड़ी बात यह है जब पीएम मोदी ने फोन पर ट्रंप से बात की तब दूसरी तरफ से उनकी तरफ से भी पीएम मोदी की जमकर तारीफ हुई, यहां तक कहा गया कि मोदी से तो पूरी दुनिया प्यार करती है। यह बताने के लिए काफी है कि पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की सियासी केमिस्ट्री इस बार भी रंग जमाने वाली है। लेकिन बात जब डोनाल्ड ट्रंप की आती है तो सब कुछ इतना स्पष्ट या कहना चाहिए सीधा नहीं होता है। जानकार मानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के साथ रिश्ते निभाना दोधारी तलवार के समान है। ऐसा इसलिए क्योंकि एक तरफ अगर डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका फर्स्ट की बात कर पूरी दुनिया को आंखें दिखाने का काम करते हैं तो दूसरी तरफ पीएम मोदी की जमकर तारीफ कर भारत को अपना सबसे करीबी दोस्त भी कह जाते हैं।

ट्रंप के आने से भारत-रूस के रिश्तों पर क्या असर?

इसे डोनाल्ड ट्रंप का अनप्रिडिक्टेबल अंदाज कहा जाता है जो पिछले कार्यकाल के दौरान भी देखने को मिला था। कभी तो खुलकर भारत के समर्थन में बैटिंग करते थे तो कभी सीधे भारत पर नाराज होकर टैरिफ लगा देते थे। इस वजह से भारत को फिर उतार-चढ़ाव वाले रिश्ते के लिए तैयार रहना पड़ेगा।

आतंकवाद पर मिलेगा समर्थन

भारत को इस समय डोनाल्ड ट्रंप से कुछ मुद्दों पर समर्थन जरूर मिल सकता है, उदाहरण के लिए आतंकवाद को लेकर दोनों ट्रंप और पीएम मोदी की नीति एकदम स्पष्ट है और दोनों के विचार भी मेल खाते हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी कई रैलियां में चुनाव के दौरान भी इस्लामिक आतंकवाद का जिक्र किया था, भारत भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का लगातार जिक्र करता रहता है। ऐसे में पूरी उम्मीद की जा सकती है कि अगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, उस स्थिति में ट्रंप एक बार फिर पाकिस्तान पर पाबंदियां लगा सकते हैं।

चीन की अकड़ कम करने में करेंगे मदद

इसी तरह चीन के साथ भारत का जो सीमा विवाद चल रहा है, वहां भी डोनाल्ड ट्रंप के विचार भारत की मदद कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बाइडेन की तरह डोनाल्ड ट्रंप भी चीन को खास पसंद नहीं करते हैं, उसकी विस्तारवादी नीति से अमेरिका भी परेशान है। ऐसे में अब भारत को ट्रंप का साथ मिल सकता है, वह तो यहां तक कहते हैं कि अगर अमेरिका को अपने बॉर्डर सुरक्षित रखने हैं तो भारत भी ऐसा ही करना चाहता है। यह बताने के लिए काफी है कि डोनाल्ड ट्रंप भारत की संप्रभुता का भी ध्यान रखने वाले हैं।

कनाडा को दे सकते हैं सख्त संदेश

वैसे इस समय कनाडा की तरफ से भी भारत के सामने चुनौतियां पेश की जा रही हैं, जिस तरह से निज्जर हत्याकांड के बाद से खालिस्तान तत्व कनाडा में सक्रिय हो गए हैं और जस्टिन ट्रडो द्वारा लगातार भारत के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं, ट्रंप यहां पर एक अहम और निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। अगर वे भारत को सही में अपना सच्चा मित्र मानते हैं, उस स्थिति में खालिस्तान को लेकर उनका रुख और ज्यादा स्पष्ट रहेगा, बाइडेन की तरह यहां पर वे न्यूट्रल खेलने की कोशिश नहीं करेंगे।

रूस से दोस्ती, अमेरिका लगा सकता है पाबंदियां

लेकिन बात वही है- डोनाल्ड ट्रंप अगर भारत को कई मुद्दों पर समर्थन कर सकते हैं तो कई दूसरे मुद्दों पर उनका रवैया चिंता का सबब भी बन सकता है। उदाहरण के लिए भारत की रूस से बढ़ती हुई दोस्ती अमेरिका को असहज करती है। भारत जब भी रूस से कच्चा तेल आयात करता है, जब भी कोई बड़ी डिफेंस डील को अंजाम देता है, तीखी प्रतिक्रिया अमेरिका की तरफ से आती है। ट्रंप खुद भी भारत की इस नीति का अपने पिछले कार्यकाल में विरोध कर चुके हैं। ऐसे में अगर भारत की रूस के साथ नजदीकी बढ़ती जाएगी, उस स्थिति में एक बार फिर ट्रंप की तरफ से पाबंदियों वाली धमकी दी जा सकती है।

अपनी शर्तों पर करेंगे दुनिया के साथ व्यापार

ट्रंप के साथ एक परेशानी की बात यह भी है कि वह अपनी शर्तों पर ही व्यापार करना चाहते हैं। उनकी अमेरिका फर्स्ट वाली पॉलिसी दुनिया के कई मुल्कों के लिए नुकसान का सौदा साबित हो सकती है। ट्रंप चाहते हैं कि एक तरफ अमेरिका के सामानों पर दूसरे देश कम से कम टैक्स लगाएं, लेकिन दूसरी तरफ वह इसी बात की अपेक्षा विकासशील देशों से भी रखते हैं। वे चाहते हैं कि अमेरिका का जो भी सामान उनके देश में आता है, उस पर भी कम से कम टैक्स लगना चाहिए। अगर उनकी बात मानी जाए तो कोई एक्शन नहीं होगा, वरना टैरिफ वाली धमकी यहां भी दी गई है।

भारतवंशियों की बढ़ाएंगे सिरदर्दी

इसके ऊपर अमेरिका में बेरोजगारी दूर करने के लिए ट्रंप का जो प्लान तैयार हुआ है, वहां भी भारत के लिए सुधार की कोई खास गुंजाइश दिखाई नहीं देती है। एक तरफ उनके आने से वीजा के नियम और ज्यादा सख्त हो सकते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में रोजगार में वहां के नागरिकों को पहली प्राथमिकता दी जा सकती है। यानी कि ट्रंप भारत को अपना जिगरी दोस्त जरूर बता सकते हैं, लेकिन अपने हित, अपने फायदे के साथ कोई समझौता नहीं करने वाले। इसी वजह से भारत के लिए उनके साथ रिश्ते निभाना दोधारी तलवार जैसा ही रहने वाला है।


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