आदि कैलाश यात्रा मार्ग पर शिव धाम को धरातल पर उतारने की योजना अंतिम चरण में है। गुंजी के मनीला में करीब 16 हेक्टेयर जमीन हस्तांतरित हो गई है। भोलेनाथ की भव्य और विशाल मूर्ति बनाने के लिए पर्यटन विभाग देश के चुनिंदा आर्किटेक्ट की मदद लेगा।

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धारचूला के 10500 फुट की ऊंचाई पर स्थित गुंजी गांव को भारत सरकार ने वाइब्रेंट विलेज घोषित किया है। यह गांव ओल्ड लिपुपास से कैलाश पर्वत, आदि कैलाश दर्शन का भी पहला प्रमुख पड़ाव है। पिछले वर्ष अक्तूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आदि कैलाश यात्रा के बाद से केंद्रीय पर्यटन विभाग ने यहां 70 करोड़ रुपये से शिव धाम बनाने की प्रक्रिया शुरू की।

हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
इसके लिए केंद्रीय पर्यटन विभाग के अधिकारी उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अधिकारियों से लगातार संपर्क में रहे। 20 हेक्टेयर भूमि पर शिव धाम बनाने का प्रस्ताव रखा गया लेकिन जमीन का पेंच फंस गया। जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ति चंद्र आर्य ने बताया कि वर्तमान में करीब 16 हेक्टेयर भूमि विभाग को उपलब्ध हो चुकी है। उन्होंने बताया कि अब शिव धाम बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। केंद्रीय पर्यटन विभाग से शीघ्र ही धनराशि उत्तराखंड पर्यटन विभाग को हस्तांतरित होने वाली है। बता दें कि इस साल मई से यात्रा शुरू होने के बाद 31000 यात्रियों ने आदि कैलाश, ओम पर्वत के दर्शन किए।
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यह सुविधा होंगी उपलब्ध
पिथौरागढ़। मनीला में भगवान शिव की मूर्ति के साथ ही यात्रियों के रहने के लिए आवासीय सुविधा, दुकानें, मेडिटेशन हॉल, घूमने के लिए पार्क, आर्ट गैलरी समेत अन्य अवस्थापना सुविधाएं जुटाई जाएंगी। संवाद


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