इसी वजह से नाटो और उसके सदस्य देश रूस के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहे हैं.
रूस ने हाल ही में पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है कि वह अपनी सीमा के पास के देशों पर हमला कर सकता है. इसके बाद यूरोपीय देशों में सुरक्षा इंतजाम तेज हो गए हैं. जर्मनी की खुफिया एजेंसी के प्रमुख ब्रूनो कहल ने कहा है कि रूस पश्चिमी देशों के साथ बड़े युद्ध की तैयारी कर रहा है. हालांकि, नाटो के कारण रूस फिलहाल बड़ा हमला करने से बच सकता है.
रूस से बचने के लिए नाटो का प्लान
नाटो के सदस्य देश अपनी रक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में जुटे हैं. खासतौर पर पूर्वी यूरोप के देश जैसे पोलैंड, एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया अपनी सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा रहे हैं. रूस और बेलारूस से आने वाले खतरे के मद्देनजर इन देशों ने नई सुरक्षा योजनाएं शुरू की हैं.
बंकर और तकनीक का सहारा
जर्मनी ने अपने पुराने बंकरों को फिर से तैयार करना शुरू कर दिया है. इसके साथ ही, एक ऐसा ऐप तैयार किया जा रहा है जो हमले के दौरान नागरिकों को नजदीकी बंकर का पता देगा. पोलैंड ने अपनी ‘ईस्ट शील्ड’ परियोजना में भारी निवेश किया है, ताकि अपनी सीमाओं को सुरक्षित किया जा सके.
नागरिक सुरक्षा पर भी जोर
नाटो के नए सदस्य स्वीडन और फिनलैंड नागरिक सुरक्षा पर भी ध्यान दे रहे हैं. लोगों को युद्ध के समय की तैयारियों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक करने के लिए पर्चे छापे गए हैं. लिथुआनिया ने निकासी योजनाओं को प्राथमिकता दी है. वहीं, बाल्टिक देशों और हंगरी ने संभावित हवाई खतरों से निपटने के लिए एयर डिफेंस सिस्टम को मजबूत किया है.
पश्चिमी और पूर्वी यूरोप के बीच अंतर
हालांकि, तैयारियों में सभी यूरोपीय देशों की समान गति नहीं दिख रही है. रूस के नजदीक स्थित पूर्वी यूरोपीय देश तेजी से अपनी सुरक्षा मजबूत कर रहे हैं, जबकि पश्चिमी यूरोपीय देश इस मामले में पीछे हैं.
युद्ध का डर और भविष्य
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस आने वाले छह से आठ वर्षों में नाटो और यूरोपीय संघ के साथ टकराव के लिए पूरी तरह तैयार हो सकता है. ऐसे में यूरोप में तीसरे विश्व युद्ध का खतरा बढ़ता जा रहा है. नाटो और उसके सदस्य देश इस खतरे को कम करने के लिए युद्धस्तर पर तैयारियां कर रहे हैं.