सीरिया में बशर अल-असद की सरकार के गिरने और विद्रोही बलों की एंट्री से कोहराम मचा है। सड़कों पर खुलेआम गोलीबारी और बमबारी हो रही थी। स्थानीय लोगों में मौत का खौफ छाया है।

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डर के साए में सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है। बच्चों और महिलाओं को 4 डिग्री तापमान में 12 घंटे तक बैठाया जा रहा है।

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प्रिंट मीडिया,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर

यह जानकारी गाजियाबाद के निवासी रवि भूषण ने दी है, जो हाल ही में भारत सरकार के ‘भारतीय नागरिकों की वापसी अभियान’ का हिस्सा बनकर स्वदेश लौटे हैं। उन्होंने दमिश्क में फैले खौफनाक माहौल और भारतीय दूतावास के प्रयासों के बारे में विस्तार से बताया। आइए देखते हैं रवि भूषण की निगाहों से सीरिया…

गोलियां, बमबारी…दमिश्क की स्थिति भयावह

रवि भूषण ने सीरिया में देखे खौफनाक मंजर को बयां किया। बताया कि महिलाएं और बच्चे 4-5 डिग्री तापमान में 10-12 घंटे तक बाहर बैठने को मजबूर थे। सड़कों पर खुलेआम गोलीबारी और बमबारी हो रही थी। बैंकों और गाड़ियों को लूटा और तोड़ा जा रहा था। आने वाले दिनों में हालात और खराब होने की आशंका है।

सीरिया में हालात कैसे बिगड़े?

सीरिया में 27 नवंबर को हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के नेतृत्व में विद्रोहियों ने अचानक हमला किया। विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया और राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता से बेदखल कर दिया। इस दौरान, सड़कों पर गोलीबारी, बमबारी, और लूटपाट के मामले तेजी से बढ़े। हवाई अड्डे और होटलों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जिससे वहां फंसे लोगों के लिए हालात बेहद खराब हो गए।

भारतीय नागरिकों की वापसी का अभियान

भारतीय दूतावास ने 75 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए बचाव अभियान चलाया। रवि भूषण ने बताया कि भारतीय दूतावास ने हर व्यक्ति से संपर्क किया और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की। जरूरत पड़ने पर भोजन और अन्य सहायता भी उपलब्ध कराई गई। लेबनान और सीरिया में मौजूद दूतावासों ने हर घंटे संदेश भेजकर अभियान की जानकारी दी।

उन्होंने भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा, “हम भाग्यशाली हैं कि हमें भारतीय सरकार का समर्थन मिला, जबकि अन्य देशों के नागरिकों को ऐसी मदद नहीं मिली।”

व्यापारिक दौरे पर गए थे रवि भूषण

रवि भूषण ने बताया कि वह सीरिया व्यापारिक उद्देश्यों से गए थे। शुरुआत में स्थिति सामान्य थी, लेकिन 2-3 दिनों में सब कुछ बदल गया। उन्होंने बताया कि हमने ऐसी स्थिति की उम्मीद नहीं की थी।

क्या है दूतावास का कहना ?

लेबनान स्थित भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा कि बचाव अभियान के तहत सभी 75 भारतीय नागरिकों को बेरूत लाया गया। इनमें जम्मू-कश्मीर के 44 जायरीन भी शामिल थे, जो सईदा जैनब में फंसे हुए थे। सभी सुरक्षित रूप से स्वदेश लौट चुके हैं।

सीरिया में भविष्य के हालात

सीरिया में 24 साल के शासन के बाद राष्ट्रपति असद को हटाए जाने के बाद भी अशांति बनी हुई है। विद्रोहियों का कब्जा बढ़ता जा रहा है। दमिश्क और आसपास के इलाकों में स्थिति बेहद खराब है, और निकट भविष्य में सुधार की उम्मीद नहीं है।

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