गुरुवार को शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ने इस संबंध में आदेश जारी किए। दमयंती रावत को 13 दिसंबर को चार्जशीट दी गई थी। निलंबन अवधि में दमयंती रावत टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी (सीईओ) कार्यालय से संबद्ध रहेंगी। उन पर बोर्ड में सचिव रहते हुए पांच विभिन्न आर्थिक अनियमितताओं में शामिल रहने और षड्यंत्र में संलिप्त रहने का आरोप है।
बोर्ड में अनियमितता का विवाद करीब पांच साल से चल रहा था। पूर्व में इस मामले में श्रम सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम दमयंती की बर्खास्तगी के निर्देश तक दे चुके हैं। दूसरी तरफ, दमयंती रावत ने निलंबन की कार्रवाई से अनभिज्ञता जाहिर की। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस आदेश की जानकारी नहीं है।
ये हैं पांच आरोप
1. अधिकार न होने के बावजूद भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण में 50 करोड़ रुपये का एमओयू किया।
2. बोर्ड निधि से 20 करोड़ ऋण के रूप में निदेशक-ईएसआई के बजाय ब्रिज एंड रूफ इंडिया लिमिटेड को दे दिए।
3. सचिव के पद पर कार्यरत रहते हुए वित्तीय अनियमितता और सरकारी धन का दुरुपयोग किया।
4. बोर्ड के एक्ट और नियमावली के मानकों का उल्लंघन किया
5. निधि का दुरुपयोग करते हुए आर्थिक अपराध में संलिप्तता।
प्रतिनियुक्ति की वजह से चर्चा में आई थीं
शिक्षा अधिकारी दमयंती रावत वर्ष 2012-13 में कृषि विभाग में प्रतिनियुक्ति की वजह से चर्चा में आई थीं। शिक्षा विभाग से बिना विधिवत अनुमति लिए ही तत्कालीन प्रमुख सचिव-कृषि रणवीर सिंह ने उन्हें कृषि विभाग में तैनात करने के आदेश दे दिए थे। इस पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कृषि मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी के बीच काफी विवाद हुआ था।
तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा के हस्तक्षेप के बाद नैथानी बैकफुट पर आ गए थे। बाद में तत्कालीन शिक्षा सचिव भूपेंद्र कौर औलख के निर्देश पर उन्हें चार्जशीट दी गई थी, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार के आने बाद तत्कालीन श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने उन्हें फिर भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड में सचिव के रूप में प्रतिनियुक्ति दे दी। पिछले साल शिक्षा विभाग ने उन्हें दोबारा ज्वाइनिंग दे दी थी।