डीजीपी और एसएसपी को यह बताना होगा कि आखिरकार उन्होंने क्यों सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया.
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
यह मामला उत्तराखंड राज्य के देहरादून के रहने वाले ध्रुव सेठी और उनकी पत्नी अलका सेठी से जुड़ा हुआ है. सेठी दंपति ने यूपी के सहारनपुर में एक जमीन खरीदी थी, लेकिन वहां के एक माफिया ने पुलिस और रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अफसरों के साथ मिलकर उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया. सेठी दंपति ने पुलिस से लेकर सीएम पोर्टल पर शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
इस फैसले को दी थी चुनौती
आरोप है कि जमीन कब्जा करने वाले माफिया ने पुलिस से सांठ-गांठ कर सेठी दंपति के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट और आईपीसी की गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज करा दी. पुलिस ने इस मामले में दंपति के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर दी. सेठी दंपति ने इस चार्जशीट को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने न सिर्फ चार्जशीट को रद्द कर दिया बल्कि भू माफिया के साथ पुलिस अफसरों के गठजोड़ पर तीखी टिप्पणी करते हुए यूपी के डीजीपी से दंपति द्वारा की गई शिकायत पर सहारनपुर के एसएसपी से जांच कराने और उचित कार्रवाई का आदेश दिया.
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छह महीने का वक्त बीत जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई. इतना ही नहीं भू माफिया ने लेखपाल व अन्य लोगों को मिलाकर दंपति का घर बुलडोजर से गिरा दिया. आरोपी लेखपाल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के डीजीपी को हाई कोर्ट के आदेश का पालन करने को कहा, लेकिन इन सब के बावजूद दंपति के घर को गिरा दिया गया. आरोप है कि इसी घटनाक्रम के चलते अलका सेठी के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत भी हो गई.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस अवमानना याचिका पर जस्टिस सलिल कुमार राय की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई. अदालत ने डीजीपी और सहारनपुर के एसएसपी के रवैया पर नाराजगी जताई और व्यक्तिगत हलफनामे के साथ उन्हें कोर्ट में तलब भी कर लिया. कोर्ट में सेठी दंपति की तरफ से डॉक्टर अवनीश त्रिपाठी और डॉक्टर आस्था मिश्रा ने दलीलें पेश की. अधिवक्ता अवनीश त्रिपाठी के मुताबिक हाईकोर्ट में दोनों अफसरो को 27 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई में पेश होना होगा.