मंच पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कई अन्य राजनीतिक नेताओं के मौजूद होने के बावजूद भूपेंद्र सिंह ने अपना स्वागत कराने से इंकार कर दिया, जिससे समारोह में हलचल मच गई।


पोस्टर और बैनरों पर फोटो न होने को लेकर नाराजगी
प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
कार्यक्रम को लेकर छापे गए बैनर और पोस्टर में भूपेंद्र सिंह का फोटो नहीं था, और उनके नाम का भी जिक्र नहीं किया गया था। यह बात भूपेंद्र सिंह को इतनी नाराजगी दिलाई कि उन्होंने मंच पर अपने संबोधन में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का नाम तक नहीं लिया। इस पर भूपेंद्र सिंह ने कहा, “बैनर पोस्टर में फोटो नहीं, दिलों में जगह होना चाहिए।” हालांकि, रात के समय नए पोस्टर लगाए गए, जिनमें भूपेंद्र सिंह की फोटो लगाई गई थी।
स्वागत से इंकार, सीएम को दिया गुलदस्ता
मंच पर नगर निगम के कमिश्नर राजकुमार खत्री ने पहले गुलदस्ता लेकर भूपेंद्र सिंह का स्वागत करने की कोशिश की, लेकिन भूपेंद्र सिंह ने स्वागत से इंकार करते हुए उन्हें इशारे से आगे बढ़ने को कहा। इसके बाद नगर निगम के कमिश्नर ने पास ही बैठे अन्य अतिथियों का स्वागत किया।
जब वे दूसरी बार गुलदस्ता लेकर भूपेंद्र सिंह के पास पहुंचे, तो उन्होंने हाथ जोड़कर इशारे से उन्हें दूसरे अतिथियों का स्वागत करने के लिए कहा। लेकिन जब कमिश्नर वहीं खड़े रहे, तो भूपेंद्र सिंह ने गुलदस्ता लिया और उसे सीधे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को देकर उनका स्वागत किया।
कार्यक्रम में अन्य नेता भी मौजूद थे
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के अलावा विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, नागरिक एवं खाद्य आपूर्ति उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और अन्य नेता भी मंच पर उपस्थित थे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने लाखा बंजारा झील के कायाकल्प के बाद उसका लोकार्पण भी किया।
राजनीतिक संदेश या व्यक्तिगत नाराजगी?
भूपेंद्र सिंह का यह कदम राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके इस कदम से यह साफ है कि वे अपने कद और सम्मान को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता करने के लिए तैयार नहीं हैं। बैनर-पोस्टर में फोटो न होने और उनका नाम न होने को लेकर उनके मन में नाराजगी जाहिर हुई, जिससे कार्यक्रम में उपस्थित अन्य नेताओं और अधिकारियों में भी चर्चाएं शुरू हो गईं।
सवाल उठते हैं प्रशासन की तैयारी पर
भूपेंद्र सिंह के इस कदम से यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रशासन और आयोजकों ने इस कार्यक्रम की तैयारी सही ढंग से की थी। अगर कोई अतिथि खास तौर पर महत्वपूर्ण नेता कार्यक्रम में शामिल हो, तो उसके सम्मान और उपस्थिति के प्रति कोई भी लापरवाही नहीं बरती जानी चाहिए थी। ऐसे में, अगर भूपेंद्र सिंह के बैनर और पोस्टर में नाम और फोटो न होने को लेकर कोई जानबूझकर कदम उठाया गया था, तो यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।
बैनर और पोस्टर पर नाराजगी
भूपेंद्र सिंह ने कहा, “बैनर-पोस्टर में फोटो नहीं, दिलों में जगह होना चाहिए।” उनका यह बयान इस बात पर था कि कार्यक्रम के दौरान जो बैनर और पोस्टर लगाए गए थे, उनमें उनका फोटो और नाम शामिल नहीं था। हालांकि, बाद में नए पोस्टर लगाए गए थे, जिनमें उनकी फोटो को शामिल किया गया था।
सागर के विकास को लेकर दिया बड़ा बयान
अपने संबोधन में भूपेंद्र सिंह ने सागर के विकास पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पिछले 50 साल तक कांग्रेस की सरकार रही, लेकिन सागर में कोई बड़ा काम नहीं हुआ। भूपेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि “अगर सागर में मेडिकल कॉलेज आया, तो वह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कार्यकाल में ही आया था। सागर के अंदर किसी भी प्रकार का विकास नहीं हुआ था।”
लाखा बंजारा झील का लोकार्पण
सागर गौरव दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लाखा बंजारा झील के पुनर्विकास कार्य का लोकार्पण किया। इस कार्यक्रम में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी विशेष रूप से उपस्थित थे। डॉ. यादव ने इस दौरान सागर सिटी गवर्नेंस नगर पालिका निगम कार्यालय और दो जोनल सेंटर का भी लोकार्पण किया। साथ ही, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी प्रस्तुति दी गई।
मुख्यमंत्री की घोषणाएं
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर कई घोषणाएं भी कीं। उन्होंने सागर में कैंसर अस्पताल खोलने, राजकीय विश्वविद्यालय में विधि संकाय शुरू करने, और देवरी विधानसभा की गौरझामर ग्राम पंचायत को नगर परिषद बनाने की घोषणा की। ये घोषणाएं सागर के विकास को लेकर मुख्यमंत्री की गंभीरता को दर्शाती हैं।
आगे की राजनीति पर असर
भूपेंद्र सिंह का यह कदम प्रदेश की राजनीति में नए सवाल खड़े कर सकता है। सागर जैसे महत्वपूर्ण जिले में इस तरह की स्थिति उत्पन्न होना, कई राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। यह घटना आने वाले समय में उनके और अन्य नेताओं के रिश्तों पर असर डाल सकती है।
कार्यक्रम में हुई इस अप्रत्याशित घटना के बाद भूपेंद्र सिंह ने न केवल अपनी स्थिति को स्पष्ट किया, बल्कि यह भी दिखाया कि वे किसी भी कीमत पर अपनी राजनीतिक अहमियत को कम होने नहीं देंगे।

