दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम के रूप में अपनी पहचान बना चुके महाकुंभ 2025 ने भक्तों की भारी आमद के लिए तमाम रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है. प्रयागराज स्थित महाकुंभ मेले में इस वर्ष तीन और विश्व रिकॉर्ड बनने की तैयारी है.

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सूत्रों के अनुसार इन रिकॉर्ड्स पर हो रहे प्रयासों के निरीक्षण के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम प्रयागराज पहुंची है. बता दें कि इस वर्ष महाकुंभ आयोजकों का प्रयास मेले में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करेंगे. ये कीर्तिमान नदी तटों और जल निकायों के भीतर बड़े पैमाने पर स्वच्छता के माध्यम से हासिल किये जायेंगे. मेला प्राधिकरण का लक्ष्य दो नये मानक स्थापित करते

साल 2019 महाकुंभ में स्थापित विश्व कीर्तिमान

साल 2019 में प्रयागराज में ही आयोजित अर्धकुंभ मेले के दौरान तीन विश्व रिकॉर्ड स्थापित किये गये थे. पहला विश्व रिकॉर्ड एक साथ 500 से अधिक शटल बसों का संचालन करना, दूसरा 10,000 सफाई कर्मचारियों द्वारा निरंतर सफाई अभियान चलाते रहना था, जबकि तीसरा विश्व रिकॉर्ड प्रतिदिन आठ घंटे में 7,500 लोगों के हाथ के निशान लेने का रिकॉर्ड बनाया गया.

महाकुंभ (प्रयागराज) 2025 में तीन विश्व रिकॉर्ड स्थापित करने की पहल

1. नदी सफाई अभियान (14 फरवरी 2025)

गंगा नदी की सफाई के लिए एक साथ 300 कर्मचारी गंगा नदी में उतरे.

रामघाट, गंगेश्वर घाट और भारद्वाज घाट पर सफाई कार्य सम्पन्न किये गये. एक अनुमान के मुताबिक इस प्रयास में लगभग 85.83 लाख रुपये की लागत आई.

2. सबसे बड़ा स्वच्छता अभियान (15 फरवरी)

महाकुम्भ के प्रथम शाही (13 पौष पूर्णिमा एवं 14 जनवरी, मकर संक्रांति) स्नान के पश्चात लगभग 15,000 सफाई कर्मचारी गंगा और यमुना नदी के किनारे 10 किमी क्षेत्र की सफाई अभियान में हिस्सा लिया. बता दें, कि इससे पूर्व साल 2019 में आयोजित अर्ध महाकुंभ में 10,000 श्रमिकों ने हिस्सा लेकर पिछले रिकॉर्ड को पार किया था. इस वर्ष इस सफाई अभियान पर करीब 2.13 करोड़ रुपये की लागत आई.

3. सबसे बड़ी हस्त-मुद्रण गतिविधि (Hand-Printing Activity) (16 फरवरी)

इस वर्ष आठ घंटे में लगभग 10 हजार से ज्यादा लोगों के कैनवास हाथों का छाप लेने का अनुमान है. इसके लिए गंगा पंडाल समेत पांच प्रमुख स्थानों पर कैनवास लगाए गए हैं. इससे पूर्व कुंभ मेला प्राधिकरण के पास 7500 लोगों के हाथों के निशान लेने का रिकॉर्ड है. इस रिकॉर्ड के लिए लगभग 95.76 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है.

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम प्रयागराज में, बनेगा चौथा रिकॉर्ड भी?

महाकुंभ मेला अधिकारी विजय किरण आनंद के अनुसार महाकुंभ (प्रयागराज) में तीन माह में चार विश्व रिकॉर्ड बनाने की योजना थी, इसकी तैयारी भी उसी समय से शुरू कर दी गई थी. इसके लिए एक विशेषज्ञ से भी मदद ली गई. आयोजकों के उपरोक्त प्रयास के निरीक्षण हेतु गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम भी प्रयागराज आई हुई है, जिनकी देखरेख में सारी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. महाकुंभ के चौथे विश्व रिकॉर्ड के तहत ई-रिक्शा संचालन का रिकॉर्ड महाकुंभ के अंतिम स्नान ( 26 फरवरी महाशिवरात्रि स्नान) के बाद पता चलेगा.

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