बिग ब्रेकिंग–विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने गैरसैंण पहुंचकर कही विधानसभा प्रकरण पर ये बात !! पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में पिछले कुछ दिनों से खूब बवाल चल रहा है, अब आप सोच रहे होंगे कि खानपुर में दो नेताओं के बीच तमंचे लहराने की बात तो पुरानी हो चुकी है… लेकिन अब एक और विधायक और मंत्री साहब ने कुछ ऐसा कर दिया, जिसके बाद एक बार फिर उत्तराखंड सुर्खियों में हैं. प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्री पद से बर्खास्त करो पूरे उत्तराखंड को गाली बकने वाले व्यक्ति पर लोगों का है गुस्सा।

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विधानसभा सत्र के दौरान सदन में पहाड़ पर विवादित बयान देने पर घिरे मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विरोध में कांग्रेस और यूकेडी ने विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन किया और पुतला फूंका।

गंगा के पूजन से नहीं धुलेंगे प्रेमचंद के पाप: प्रीतम सिंह, कांग्रेस विधायक

गंगा की पूजा-अर्चना करने से उनके पाप नहीं धुल जाएंगे। उन्हें सबके सामने आकर जनता से खुले मन से माफी मांगनी चाहिए। मैं छह बार का विधायक हूं, लेकिन इस दौरान मैंने कभी ऐसा कोई संसदीय कार्यमंत्री नहीं देखा, जो बात-बात पर अपना आपा खो देता हो। अग्रवाल का खुद पर कोई नियंत्रण नहीं है। गंगा मैया भी उनसे यही कहेंगी कि पहले अपने कर्म ठीक करो।

महेंद्र भट्ट अंग्रेजों की तरह बर्ताव कर रहे:प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा

इस बीच, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि भाजपा सरकार के मंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट अंग्रेजों की तरह बर्ताव कर रहे हैं। सदन में पर्वतीय समाज को उनके मंत्री गाली दे रहे हैं और उनके अध्यक्ष लोगों पर कार्रवाई की बात कह रहे हैं। ऐसा नहीं चलेगा। किसी का भी अपमान नहीं सहा जाएगा। अभी हमने प्रदेशभर में पुतले फूंके हैं, आगे भी विरोध जारी रहेगा।

गोदियाल की खुली चुनौती, सबसे पहले मेरे विरुद्ध कार्रवाई करके दिखाएं भट्ट

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बोल, भाजपा के लिए सिरदर्द बन रहे हैं। उनके बचाव में उतरे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के बयान पर सोमवार को कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मोर्चा खोला। बकौल गोदियाल, महेंद्र भट्ट उक्त प्रकरण में विरोध कर रहे लोगों पर कार्रवाई की बात कर रहे हैं, मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि सबसे पहले मेरे ऊपर कार्रवाई करके दिखाएं।

गोदियाल ने सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में कहा कि भाजपा माफी मांगने के बजाए लोगों को धमका रही है। उन्होंने कहा कि महेंद्र भट्ट कार्रवाई करके दिखाएं, वह घर-कुड़ी बेचकर भी लोगों के साथ खड़े रहेंगे। गोदियाल ने कहा कि मैंने इस प्रकरण में पहले ही दिन एक वीडियो जारी कर प्रेमचंद को बाहर निकलने का रास्ता भी बता दिया था। उन्हें माफी मांग लेनी चाहिए थी कि मेरे मुंह से गलती से अपशब्द निकल गए और मैं इसके लिए माफी मांगता हूं। यह प्रकरण उसी दिन खत्म हो जाता।

प्रदर्शनकारियों ने पीपलचौरी श्रीनगर से प्रेमचंद अग्रवाल के प्रतीकात्मक पुतले के साथ नारेबाजी करते हुए यात्रा निकाली। जुलूस वीर चंद्र सिंह गढ़वाली मार्ग, गणेश बाजार होते हुए गोला पार्क तक निकाला। राज्य आंदोलनकारी देवेंद्र फर्स्वाण ने कहा कि उत्तराखंड राज्य जिन पहाड़ी लोगों के संघर्षों के कारण बना, आज उन्हीं लोगों को वित्त मंत्री अमर्यादित भाषा में अपमानित कर रहे हैं। साथ ही, सरकार विधायकों और मंत्रियों के वेतन-भत्ते बढ़ाने में लगी है, लेकिन पहाड़ के बुनियादी मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए है।

Rishikesh,प्रदर्शनकारी मंत्री के कैंप कार्यालय तक पहुंच गए। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने उनकी नोकझोंक भी हुई।
उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के बैनर तले स्थानीय निवासियों ने शनिवार को कैबिनेट मंत्री के पुतले की शवयात्रा निकाली। प्रदर्शनकारी मंत्री के कैंप कार्यालय के बाहर पहुंच गए और नारेबाजी करते हुए पुतले को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस से तीखी नोकझोंक हुई। पुलिस ने बैरिकेड्स लगा कर रास्ता बंद किया था। प्रदर्शनकारियों ने करीब डेढ़ घंटे तक यहां विरोध प्रदर्शन किया।

द्वाराहाट,यूकेडी पार्टी कार्यालय से मुख्य चौराहे तक पुतले के साथ निकाले गए जुलूस में जमकर नारेबाजी की गई। यूकेडी नेता पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी के नेतृत्व में हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि राज्य बनाने के लिए 42 लोगों ने शहादत दी। हजारों लोग घायल हुए। आज प्रेमचंद अग्रवाल जैसे मंत्री पहाड़ के लोगों के खिलाफ विधानसभा पटल पर शर्मनाक टिप्पणी कर रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी आवाज उठाने वाले विधायकों को धमका रही हैं। उन्होंने सीएम व सरकार पर तमाम सवाल उठाए

युवा नेता परवीन चंद रमोला ने कहा कि कैबिनेट मंत्री का पहाड़ियों को अपमानित कर मैदान पहाड़ की बात करना इनकी संकीर्ण मानसिकता को दर्शाता है l केंद्रीय महामंत्री बृजमोहन सजवाण ने कहा कि पहाड़ के विधायकों को कैबिनेट मंत्री का विरोध करना चाहिए। राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कहा कि समस्त पहाड़ के समाज को एकजुट होकर विरोध दर्ज करना चाहिए। केंद्रीय महामंत्री किरन रावत ने कहा कि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है। सदन में पहाड़ियों के लिए इस प्रकार की अभद्र भाषा का प्रयोग करना अत्यंत निंदनीय है।

हल्द्वानी उत्तराखंड क्रांति दल ने विधानसभा में शहरी विकास मंत्री के विवादित बयान पर विरोध जताते हुए रविवार को ऐसे मंत्री को उत्तराखंड सरकार से बर्खास्त करने की मांग की है। बुद्ध पार्क में रविवार की दोपहर यूकेडी ने पार्षद रवि वाल्मीकि के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन कर पुतला चलाया।

उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा में जोशीले अंदाज में पहाड़ और पहाड़ियों को लेकर जो बात कही, उससे लोग गुस्से में हैं. वहीं सरकार की तरफ से डैमेज कंट्रोल की बजाय अब सोशल मीडिया पर इस बारे में लिखने वालों को चेतावनी दी जा रही है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि इसे लेकर कानून क्या कहता है.

कैसे शुरू हुआ पूरा बवाल?
दरअसल उत्तराखंड में पिछले कुछ महीनों में कई ऐसी बयानबाजी और पहाड़ विरोधी बातें हुई हैं, जिससे पहाड़ बनाम बाहरी लोगों वाली बहस तेज हो गई है. इस बहस को शुरू करने में बीजेपी के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह का भी बड़ा हाथ है. इसके बाद बीजेपी सरकार इस बात को लेकर डैमेज कंट्रोल कर रही थी और ये कहा जा रहा था कि क्षेत्रवादी बातें करना गलत है. उत्तराखंड सभी लोगों का है और उन सभी का यहां पूरा अधिकार है.

मंत्री जी ने कह दी ये बात
अब इसी पहाड़ बनाम बाहरी वाली बहस का जवाब देते हुए उत्तराखंड सरकार में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल थोड़ा भटक गए और उन्होंने पहाड़ी लोगों को लेकर टिप्पणी कर दी. कांग्रेस का आरोप है कि उन्होंने पहाड़ियों के लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया. जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है उसमें मंत्री जी को कहते सुना जा सकता है- ये उत्तराखंड पहाड़ी लोगों के बना है क्या? पहाड़ में है कौन, कोई मध्य प्रदेश से आया है कोई राजस्थान से आया है, कोई कहीं से आया है… इसे पहाड़ी देसी में क्यों ले जाना चाहते हैं आप?

फजीहत के बाद दी गई चेतावनी
अब प्रेमचंद अग्रवाल के मामले को लेकर हो रही फजीहत के बीच उत्तराखंड बीजेपी के अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि वो मुख्यमंत्री से कहेंगे कि इस पर नजर रखी जाए कि कौन-कौन सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर लिख रहा है और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का प्रबंध किया जाए. उनके इस बयान ने आग में घी डालने का काम किया है और अब तमाम लोग उन्हें चुनौती दे रहे हैं कि वो पोस्ट करेंगे और गिरफ्तार करके दिखाइए.

उत्तराखंड में सोशल मीडिया पोस्ट पर गिरफ्तारी!
देश के तमाम राज्यों में सोशल मीडिया को लेकर अलग-अलग कानून और नियम भी बनाए गए हैं. उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों को सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट करने की पाबंदी है. वहीं पिछले कुछ महीनों में ये भी देखा गया है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ बोलने या फिर सरकार के खिलाफ लिखने को लेकर भी गिरफ्तारियां हुई हैं. हाल ही में उत्तराखंड में चल रहे नेशनल गेम्स को लेकर गुरुग्राम में रहने वाले उत्तराखंड के एक युवक को पुलिस रातोंरात उठाकर ले गई थी, हालांकि कोर्ट में जाते ही पुलिस की ये तेजी काम नहीं आई और जज ने युवक को तुरंत रिहा करने के आदेश दे दिए.

क्या कहता है कानून?
अब सवाल है कि सोशल मीडिया को लेकर कानून क्या है, आईटी एक्ट की कई धाराओं के तहत ऐसे मामले में कार्रवाई होती है. इसमें अगर कोई किसी समुदाय को भड़काने के लिए पोस्ट करता है या फिर समाज में नफरत फैलाने के लिए कोई वीडियो या तस्वीर डालता है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है. इसके अलावा सांप्रदायिक टिप्पणी या फिर किसी नेता को जान से मारने की धमकी जैसी पोस्ट पर भी कार्रवाई होती है.

आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत पहली बार ऐसा करने वाले को तीन साल तक की जेल और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. आईटी एक्ट की धारा 66ए सरकार या पुलिस को ये ताकत देती है कि वो ऐसे किस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है, जिसने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट की हो. इसी का सहारा लेते हुए पुलिस और सरकार लोगों की गिरफ्तारी करती है, हालांकि अगर ये गिरफ्तारी सिर्फ आलोचना पर हुई है या सरकार से सवाल पूछा गया है तो कोर्ट से सरकार और पुलिस को फटकार लगती है और गिरफ्तार व्यक्ति को आसानी से बेल मिल जाती है

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

एक खुला पत्र भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के नाम
अध्यक्ष जी,

आप बदरीनाथ की पवित्र धरा से हैं। आपसे प्रदेश की जनता को एक भी उम्मीद नहीं है। कारण, सबने देखा है कि आपने जोशीमठ भू-घंसाव के दौरान क्या किया? आप वहां की प्रभावित जनता के साथ तो थे ही नहीं। उससे अधिक आप वहां के लोगों के दुख-तकलीफ बांटने की जगह उन्हें माओवादी घोषित करने पर तुले हुए थे। दूसरा कारण यह है कि कल ही आपने भू-कानून पर बयान दिया कि भू-कानून बनने से कई की दुकान बंद हो गयी? किसकी दुकान चल रही थी? क्यों चल रही थी? किसने मौका दिया? 2018 में भी भाजपा की सरकार थी और तब आपकी ही दुकान थी महोदय।

तीसरा कारण है प्रेमचंद अग्रवाल प्रकरण, आप पहाड़ियों को जोशीमठ का मुद्दा उठाने पर माओवादी बोलते हो, लेकिन सदन में प्रेमचंद द्वारा पहाड़ियों को गाली देने पर धमकाते हो। षड़यंत्र बताते हो। क्यों? ये राज्य पहाड़ियों ने अलग भौगोलिक परिस्थितियों के कारण मांगा था। पहाड़ की समस्याएं मैदानों से अलग थी। इसलिए मांगा, वरना आज के हालात देख यूपी ज्यादा अच्छा है। प्रेमचंद के प्रति आपका अनुराग समझ से परे है। प्रेमचंद न सही आप ही उनकी ओर से माफी मांग लेते। मुखिया हो भाजपा के। आपका इस्तीफा देना या नैतिकता के आधार पर माफी मांगना बनता है। क्यों नहीं मांग रहे माफी? उल्टे आप गलत का विरोध करने वालों को धमका रहे हो? क्या ये सही आचरण है?

आप कहते हो पहाड़-मैदान मत करो। तो मैं पूछता हूं कि पहाड़ का नागरिक आज भी विकास की दौड़ में आगे क्यों नहीं है? पहाड़ हाशिए पर क्यों हैं? हरिद्वार में प्रति व्यक्ति आय 3 लाख 15 हजार है तो रुद्रप्रयाग में यही आय 25 हजार क्यों है? विकास योजनाएं मैदानी जिलों के लिए ही क्यों बनाई जाती हैं? सीमांत गांव के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक आज भी विकास की किरणें क्यों नहीं पहुंची? नेताओं के पास बिना किसी बिजनेस या खेती के ही इतना अथाह धन कहां से आ गया कि वो होटल बना रहे हैं, रिजार्ट बना रहे हैं? मैदानों में गांव बसा रहे हैं?

जब पहाड़ खाली हो रहे हैं तो आपने क्या किया? पलायन आयोग बनाया। नतीजा क्या है, सफेद हाथी बना है और इस बजट में भी एक करोड़ का प्रावधान पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी के लिए कर दिया। पहाड़ में दो लाख हेक्टयर कृषि भूमि बंजर हो रही है और देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में भूमि कब्जा हो रही है तो भू कानून में हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर क्यों छोड़ दिया गया?

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

अध्यक्ष जी, बताएं जरा कि ये डेमोग्राफिक चेंज का खेल क्या है और आप इस पर बोले क्यों नहीं? हरिद्वार में 2022 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2024 लोकसभा चुनाव तक 30 प्रतिशत जनसंख्या कैसे और कहां से बढ़ गयी? आप उस दौरान भी कुछ नहीं बोले, जब अजय भट्ट संसद में बंगाली समुदाय को आरक्षण देने की मांग कर रहे थे? ओबीसी का आरक्षण देना है तो गढ़वाल और कुमाऊं के सभी जिलों को इसका लाभ मिलना चाहिए। ये सभी जिले ओबीसी घोषित होने चाहिए।

आए दिन पहाड़ में गुलदार-भालू और वन्य जीव मनुष्यों की जान ले रहे है। राज्य गठन से अब 1150 लोगों को वन्य जीव मार चुके हैं और 8 हजार से अधिक लोगों को घायल कर चुके हैं। इसके बावजूद हमने कभी नहीं सुना कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कोई बयान दिया हो या प्रभावित लोगों के आंसू पोंछे हों। वन्य जीव किसानों की 30 प्रतिशत फसल हर साल खराब देते हैं, लेकिन आप चुप रहे। प्रदेश में हर साल आपदा और वनाग्नि की घटनाएं होती हैं। पिछले साल भी 17 हजार हेक्टेयर वन भूमि जल गयी। मुझे कहीं आपका कोई गंभीर बयान सामने नहीं आया।

यदि मैं आपको ऐसे पत्र लिखूं तो लगभग 100 पत्र लिख सकता हूं और 250 सवाल पूछ सकता हूं। दावा करता हूं कि आपको जवाब देने में आफत आ जाएगी। यदि आप समझते है कि आप मेरे 50 सवालों के जवाब दे सकते हैं तो मैं कभी भी आपका इंटरव्यू लेने के लिए तैयार हूं। यदि नहीं तो आप प्रदेश भाजपा के मुखिया के तौर पर अपने मंत्रियों, विधायकों और नेताओं को समझाएं कि जनता की भावनाओं से न खेलें। यही जनता जो सिर पर बिठाती है तो इतने जोर से पटकती है कि रीढ़ की हड्डी तक चटक जाती है। जनता को आपसे भी संयम और विनम्रता की उम्मीद है।

यह पत्र उत्तराखंड के मूल निवासी का सोशल मीडिया से प्राप्त हुआ है।


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