आज मेट्रोपोलिस हाउसिंग क्लब में सुनील शुक्ला के सौजन्य से गणेश महोत्सव के उपलक्ष में एम आर डब्ल्यू ए के सौजन्य से बैठक रखी गई थी ।जिसमें गणेश महोत्सव की रूपरेखा के बारे में चर्चा की गई। सभी उपस्थित लोगों को अपनी अपनी जिम्मेदारियां दी गई ।विशाल भंडारे के संदर्भ में आपसी सहमति से सहयोग पर सहमति बनी ।अपने संबोधन में अध्यक्ष देवेंद्र शाही उपाध्यक्ष विक्रांत कुटेला एवं मुख्यआयोजन कर्ता सुनील शुक्ला ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। सर्वसम्मति से भव्य गणेश महोत्सव की रूपरेखा पर सहमति अग्रिम शुभकामनाओं के साथ
।मेट्रोपोलिस सिटी,संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत करने से घर-परिवार में आ रही विपदा दूर होती है, कई दिनों से रुके मांगलिक कार्य संपन्न होते है तथा भगवान श्री गणेश असीम सुखों की प्राप्ति कराते हैं। माह की किसी भी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा के दौरान संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत की चार कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा जो सभी के जेहन में रहती है और प्रेरणादायक भी है हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम के सौजन्य से आपके सामने प्रस्तुत होता है।
कथा पढ़ने से पूर्व अवगत करा दें मेट्रोपोलिस सिटी में प्रथम बार गणेश महोत्सव होने जा रहा है उत्साह का माहौल होगा बच्चे बुजुर्ग महिलाएं भक्ति रस में डूबे होंगे। साक्षात गणेश भगवान सभी मेट्रोपोलिस वाशियो की मनोकामना पूरी करेंगे। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ प्रथम आराध्य श्री गणेश जी की कथा का श्रवण करें हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स चीफ एडिटर अवतार सिंह बिष्ट।
Hindustan Global Times, Avtar Singh Bisht, journalist from Uttarakhand
पौराणिक एवं प्रचलित श्री गणेश कथा के अनुसार एक बार देवता कई विपदाओं में घिरे थे। तब वह मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। उस समय शिव के साथ कार्तिकेय तथा गणेशजी भी बैठे थे। देवताओं की बात सुनकर शिव जी ने कार्तिकेय व गणेश जी से पूछा कि तुम में से कौन देवताओं के कष्टों का निवारण कर सकता है। तब कार्तिकेय व गणेश जी दोनों ने ही स्वयं को इस कार्य के लिए सक्षम बताया।
इस पर भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जाएगा।
भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए, परंतु गणेश जी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा। तभी उन्हें एक उपाय सूझा। गणेश अपने स्थान से उठें और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमा करके लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिव जी ने श्री गणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा।
तब गणेश ने कहा – ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं।’ यह सुनकर भगवान शिव ने गणेश जी को देवताओं के संकट दूर करने की आज्ञा दी। इस प्रकार भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देगा उसके तीनों ताप यानी दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होंगे। इस व्रत को करने से व्रतधारी के सभी तरह के दुख दूर होंगे और उसे जीवन के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। चारों तरफ से मनुष्य की सुख-समृद्धि बढ़ेगी। पुत्र-पौत्रादि, धन-ऐश्वर्य की कमी नहीं रहेगी।
गणेश भगवान की चार कथाएं प्रचलित हैं हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स की सौजन्य से प्रतिदिन एक कथा आपके पास पहुंचती रहेगी।हमें उम्मीद है आप कथा का श्रवण करेंगे और अपने जीवन में भी उतरेंगे अग्रिम शुभकामनाएं