उत्तराखंड से दिल्ली की ओर: बीजेपी की सफलता गाथा और पुष्कर धामी की निर्णायक भूमिका

Spread the love

संपादकीय लेख!उत्तराखंड से दिल्ली की ओर: बीजेपी की सफलता गाथा और पुष्कर धामी की निर्णायक भूमिका
भारतीय राजनीति के शून्य से शिखर तक की यात्रा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) आज उस मुकाम पर है जहाँ न केवल वह देश की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत बन चुकी है, बल्कि आधे से ज्यादा राज्यों में अपने दम पर या गठबंधन के साथ सत्ता में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने न सिर्फ ऐतिहासिक जनादेश प्राप्त किए हैं, बल्कि एक नया सियासी नैरेटिव भी गढ़ा है, जिसे विपक्ष वर्षों से तोड़ नहीं पा रहा।

प्रिंट मीडिया, शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता]

बीजेपी की सफलता की जड़ें उसकी मजबूत सोशल इंजीनियरिंग, कैडर आधारित संगठनात्मक ढांचे, हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के स्पष्ट एजेंडे, और सटीक गठबंधन की राजनीति में हैं। लेकिन हाल के वर्षों में जिस बात ने सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया है, वह है उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य की राजनीति में बीजेपी की उल्लेखनीय पकड़ और दिल्ली की राजनीति में उत्तराखंड से नेताओं का उभरता हुआ वर्चस्व।

उत्तराखंड में बीजेपी का किला

उत्तराखंड, जो कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, आज बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ बन चुका है। त्रिवेंद्र सिंह रावत, मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी और अब पुष्कर सिंह धामी जैसे नेताओं ने प्रदेश में पार्टी को न केवल स्थायित्व दिया, बल्कि संगठनात्मक स्तर पर भी सशक्त किया। पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पार्टी ने ऐसा जनविश्वास अर्जित किया है जिसने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए।

धामी सरकार ने अपनी नीतियों और कार्यक्रमों के जरिए सीधे आम जनमानस से संवाद स्थापित किया। राज्य आंदोलनकारियों की मांगों का समाधान, लखपति दीदी योजना, अध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार, और नौकरियों की बंपर भर्ती—इन सबने बीजेपी को जनता के करीब पहुँचाया। धामी का नेतृत्व एक आधुनिक, युवा और तेजतर्रार प्रशासक के रूप में उभरा है, जो विकास और राष्ट्रवाद दोनों को संतुलित करता है।

दिल्ली की ओर उत्तराखंड की दस्तक

गुजरात की तरह अब उत्तराखंड से भी दिल्ली की राजनीति की पटकथा लिखी जा रही है। भाजपा के कई प्रमुख नेता जो उत्तराखंड से हैं, आज राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की रणनीति गढ़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह संकेत है कि पार्टी अब उत्तराखंड को केवल एक पर्वतीय राज्य के रूप में नहीं देख रही, बल्कि उसे एक रणनीतिक, वैचारिक और प्रशासनिक प्रयोगशाला के रूप में भी स्थापित कर चुकी है।

पुष्कर सिंह धामी की कार्यशैली, नीतिगत निर्णय और युवाओं के साथ संवाद स्थापित करने की कला ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मजबूत नेतृत्वकर्ता के रूप में पहचान दिलाई है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हो या समान नागरिक संहिता का समर्थन, धामी सरकार ने राष्ट्रीय मुद्दों पर स्पष्ट और ठोस पक्ष लेकर पार्टी की मूल विचारधारा को मजबूती दी है।
जहाँ विपक्ष बार-बार अपने गठबंधनों में बिखराव का शिकार होता नजर आता है, वहीं बीजेपी हर चुनाव को पूरी तैयारी और गंभीरता से लड़ती है। चाहे वो लोकसभा हो, विधानसभा या फिर पंचायत चुनाव—बीजेपी का कैडर, प्रचार रणनीति और जमीनी पकड़ विपक्ष से कहीं ज्यादा प्रभावी रहती है। बीजेपी का प्रचार केवल नारेबाजी नहीं, बल्कि योजनाओं की जमीनी पहुँच और आक्रामक नैरेटिव सेट करना होता है।

विपक्ष जहां जातीय समीकरणों और पुराने वोट बैंक पर निर्भर है, वहीं बीजेपी ने हिंदुत्व के साझा छाते तले जातियों को जोड़कर एक नया सामाजिक समीकरण खड़ा किया है, जिसकी काट विपक्ष के पास नहीं है।

उत्तराखंड अब केवल एक धार्मिक और पर्यटन राज्य नहीं रहा, बल्कि राजनीतिक प्रयोगों का केंद्र बन चुका है। यहाँ से उठती राजनीतिक लहरें अब दिल्ली तक पहुँच रही हैं। पुष्कर सिंह धामी का नेतृत्व, बीजेपी की सांगठनिक ताकत और जनता से संवाद ने उत्तराखंड को राजनीति के केंद्र में ला खड़ा किया है।

यदि यही रफ्तार और नीति-केंद्रित राजनीति जारी रही, तो आने वाले वर्षों में उत्तराखंड से न केवल राष्ट्रीय नेतृत्व उभरेगा, बल्कि दिल्ली की राजनीति की दिशा भी तय होगी।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राष्ट्रीय राजनीति में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में पार्टी ने उल्लेखनीय सफलताएँ हासिल की हैं। धामी सरकार ने अपने तीन वर्षों के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनमें समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का कार्यान्वयन प्रमुख है, जिससे उत्तराखंड यह कानून लागू करने वाला पहला राज्य बना।

इसके अतिरिक्त, सरकार ने राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए 15 स्थानों के नाम बदलने का निर्णय लिया है, जो जनता की भावनाओं, संस्कृति और विरासत के अनुरूप है।

राज्य में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए, धामी सरकार ने दंगों और धार्मिक रूपांतरणों के खिलाफ कठोर कानून लागू किए हैं, जिससे समाज में शांति और स्थिरता बनी रहे।

आर्थिक मोर्चे पर, मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं और स्नातकों के लिए वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की घोषणा की है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

राजनीतिक दृष्टि से, बीजेपी ने हाल ही में हुए शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में 11 में से 10 मेयर पदों पर जीत हासिल की, जो पार्टी की जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ को दर्शाता है।

इन उपलब्धियों के साथ, उत्तराखंड में बीजेपी की स्थिति मजबूत होती जा रही है, और आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाएँ उज्ज्वल नजर आ रही हैं। विपक्षी दलों के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वे अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करें और जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि लोकतांत्रिक संतुलन बना रहे।


Spread the love