
ज्योतिषियों के अनुसार सभी ग्रहों में शनि सबसे धीमी चाल चलते हैं, इसलिए व्यक्ति पर उनका शुभ-अशुभ प्रभाव भी एक लंबे समय तक बना रहता है। वर्तमान में शनि मीन राशि में विराजमान है। उनके इस राशि में होने पर कुंभ, मेष और मीन राशि वालों पर साढ़ेसाती का साया बना हुआ है। इस दौरान मेष पर पहला, मीन पर दूसरा और कुंभ राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का आखिरी चरण चल रहा है। मान्यता है कि साढ़ेसाती होने पर व्यवसाय और नौकरी में रुकावट आने लगती हैं। इसके अलावा आर्थिक, व्यक्तिगत, शारीरिक समस्याएं भी बनी रहती हैं। ऐसे में शनिवार के दिन ‘दशरथकृत शनि स्तोत्र’ का पाठ करना लाभकारी हो सकता है। इससे साढ़ेसाती का प्रभाव कम और शनि महाराज प्रसन्न होते हैं। आइए इसके बारे में जानते हैं।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
दशरथकृत शनि स्तोत्र
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेఽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोఽस्तु ते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोఽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेఽस्तु भास्करेఽभयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेఽस्तु संवर्तक नमोఽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोఽस्तुते।।
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेఽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरु मे सौरे वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।
शनिदेव के प्रमुख मंत्र
जानिए शनिदेव की पूजा करते वक्त किन मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है.
शनि गायत्री मंत्र
ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि ।
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः ।।
शनि स्तोत्र
ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।
शनि पीड़ाहर स्तोत्र
सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
तन्नो मंद: प्रचोदयात ।।
शनि देव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव…

