ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, S-400 एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की ओर से दागी गई मिसाइलों और ड्रोनों को रोकने में अहम भूमिका निभाई. इस प्रदर्शन के बाद, भारत ने रूस से अतिरिक्त S-400 यूनिट्स की मांग की है, जो जल्द ही मंजूर हो सकती है. 2018 में 5.43 बिलियन डॉलर में 5 S-400 यूनिट्स खरीदने का सौदा हुआ था, जिनमें से पहली यूनिट 2021 में पंजाब में तैनात की गई थी.

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इस तरह वायु रक्षा क्षमताओं का विस्तार करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों से यह संकेत मिला कि रूस निकट भविष्य में इस अपील को मंजूरी दे सकता है। रूस में बना S-400 सिस्टम भारतीय सेना में पहले से ही तैनात है। हाल के संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की ओर से दागी गई मिसाइलों और ड्रोनों को रोकने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

रूस का S-400 एयर डिफेंस सिस्टम विश्व की सबसे उन्नत प्रणालियों में से एक है, जिसे विभिन्न हवाई खतरों जैसे विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम 600 किमी तक टारगेट को ट्रैक और 400 किमी की रेंज में उन्हें नष्ट कर सकता है। इसका अपडेटेड फेज्ड-ऐरे रडार एक साथ 100 से अधिक लक्ष्यों को ट्रैक करता है। S-400 चार प्रकार की मिसाइलें दाग सकता है, जो विभिन्न दूरी और ऊंचाई पर खतरों का मुकाबला करती हैं। भारत ने 2018 में रूस के साथ 5.43 बिलियन डॉलर में 5 S-400 यूनिट्स का सौदा किया, जिनमें से पहली 2021 में पंजाब में तैनात की गई।

सीमा सुरक्षा के लिए S-400 सिस्टम कितना अहम

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 ने भारत की वायु रक्षा में बेहद खास भूमिका निभाई। पाकिस्तान की ओर से दागी गई मिसाइलों व ड्रोनों को रोकने और विफल करने में इसकी सटीकता काम आई। एस-400 के चलते पाकिस्तानी जेट विमानों और मिसाइलों को मिशन रद्द करने या मार्ग बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसी स्थिति में उसके हमले की योजनाओं को गंभीर झटका लगा। S-400 ने पश्चिमी सीमा से आने वाले हवाई खतरों को त्वरित और प्रभावी ढंग से नष्ट किया, जिससे भारत की रक्षा क्षमता मजबूत हुई। इस शानदार प्रदर्शन ने ही भारत को अतिरिक्त S-400 यूनिट्स के लिए रूस से अपील को प्रेरित किया। एस-400 की तैनाती ने न केवल भारत के रक्षा ढांचे को मजबूती दी, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता में भी योगदान दिया।


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