
रुद्रपुर, उधम सिंह नगर — शहर के पॉश कॉलोनी आवास विकास में शनिवार को एक दर्दनाक हादसा सामने आया, जब वहां रहने वाले मनीष छाबड़ा के नाबालिग बेटे ने ओमैक्स निवासी अभिजीत दास की 6 वर्षीय बेटी को अपनी तेज रफ्तार कार से कुचल दिया। यह घटना तब हुई जब मासूम बच्ची कॉलोनी के बाहर खेल रही थी। टक्कर इतनी भीषण थी कि बच्ची के दोनों पैरों में गंभीर फ्रैक्चर हो गया है और वह फिलहाल आईसीयू में भर्ती है।संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)


कानून को ठेंगा, ड्राइविंग सीट पर नाबालिग!यह पहली बार नहीं है जब शहर में अमीरजादों की नासमझी का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ा हो। नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना स्पष्ट रूप से गैरकानूनी है, लेकिन बड़े घरों की बिगड़ैल औलादों के लिए जैसे यह कानून कोई मायने ही नहीं रखता।
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 199A के अनुसार, नाबालिग द्वारा गाड़ी चलाने पर माता-पिता और वाहन मालिक को जिम्मेदार ठहराया जाता है। इस धारा के तहत ₹25,000 जुर्माना, 3 साल की सज़ा और वाहन का पंजीकरण निरस्त करने का प्रावधान है।
साथ ही, IPC की धारा 279 और 338 के अंतर्गत लापरवाही से वाहन चलाना और गंभीर चोट पहुंचाना अपराध की श्रेणी में आता है, जिसमें 2 साल तक की सजा संभव है।
पुलिस पर उठ रहे हैं गंभीर सवाल
हादसे के बाद स्थानीय लोगों ने तुरंत 112 पर कॉल किया, लेकिन रुद्रपुर पुलिस ने अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है। न तो कार जब्त हुई है, न ही वाहन मालिक या नाबालिग के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई की गई है।
क्या रईसजादों की शानो-शौकत पुलिस की आंखों पर पर्दा डाल देती है?
स्थानीय निवासी रोहित जोशी कहते हैं,
“अगर किसी आम आदमी का बेटा होता तो अब तक जेल में होता। लेकिन यहां रसूख काम कर गया। पुलिस की चुप्पी हमें डराती है।”
क्या बच्ची का भविष्य इस लापरवाही की भेंट चढ़ेगा?
बच्ची की मां का कहना है:
“हमने कभी सोचा भी नहीं था कि खेलती-कूदती बच्ची इस हाल में होगी। डॉक्टर कह रहे हैं कि उसके पैरों पर असर रह सकता है। हमें न्याय चाहिए।”
प्रशासन का जवाबदेह कौन?
रुद्रपुर में यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई बार सेक्टर 9, ओमैक्स और आवास विकास जैसी कॉलोनियों में नाबालिगों को महंगी गाड़ियाँ दौड़ाते देखा गया है। सवाल उठता है:क्या रुद्रपुर पुलिस को यह सब दिखाई नहीं देता?ट्रैफिक पुलिस किसके दबाव में है,नाबालिग वाहन चालकों के खिलाफ अभियान क्यों नहीं चलाया गया?
सुधार कब होगा?इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि अमीर परिवारों के बच्चे कानून को मजाक समझते हैं, और पुलिस की चुप्पी उस मजाक को सच बनाती है।
अब यह देखना होगा कि:क्या एसएसपी/एसपी इस मामले में स्वत: संज्ञान लेंगे?क्या डीएम उधम सिंह नगर इसपर जांच के आदेश देंगे?या फिर यह मामला भी राजनीतिक रसूख की चादर तले दबा दिया जाएगा?रुद्रपुर पुलिस को चाहिए कि वह इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करे, बच्ची के परिवार को न्याय दिलाए और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्ती से अभियान चलाए।

