
कानिया स्थित रिसोर्ट में तीन दिवसीय समागम के पहले दिन सुबह पांच बजे साधकों को ध्यान, श्वांस, मन के बारे में समझाया। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मेडिसन व मेडिटेशन दोनों ही जरूरी है। निश्चित रूप से मेडिसन के साइड इफेक्ट हैं। मेडिटेशन के साइड इफेक्ट नहीं है।


मनोविज्ञान ऐसा कहता है, यूनिर्वसिटी में शोध हुआ है। जिसमें कहा गया है कि 70 प्रतिशत से ज्यादा बीमारियां मन की होती है। 30 प्रतिशत बीमारी वास्तव में होती है। जितना दिमाग हल्का रहेगा तो उतने विचार अच्छे आएंगे। विज्ञान की भाषा में कहे तो आई क्यू लेबल बढ़ेगा।
प्रकृति से भरे रमणीक स्थान में बाबा नीब करौरी का दिव्य स्थान
रामनगर: पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हल्का भोजन ग्रहण किया। रिसोर्ट में उन्होंने गुरुवार को खिचड़ी, नारियल पानी व गर्मी से बचने के लिए नींबू, पुदीना निर्मित शीतल पेय लिया। इसके अलावा उन्होंने अपने कक्ष में पंजीकरण साधकों के 25-25 लोगों से मुलाकात की। लोगों ने उनसे बात कर अपनी समस्या बताई।
समागम के दौरान पंडित धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री ने कहा कि समागम के लिए जिस जगह को चुना है, वह प्रकृति से भरा रमणीक स्थान है। देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल के रामनगर के इस दिव्यधरा में है। जहां एक तरफ गुफाएं व कंदराएं हैं। वहीं दूसरी तरफ नीब करौरी बाबा का दिव्य स्थान है।
बातों से साधकों को खूब हंसाया
रामनगर: ऊर्जा संचय समागम में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने प्रसन्न रहने पर जोर दिया। कहा खूब हंसो। उन्होंने समागम के दौरान अपनी बातों से साधकों को खूब हंसाया। साधक भी खूब ठहाका मार-मार कर हंसे। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हंसना मन व शरीर दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। तनाव को भी कम करता है।
कहा-नैनीताल की भूमि अच्छी, लाभ महसूस करोगे
रामनगर: पडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि समागम में जो सीखो उसे अपने जीवन में अपनाओ। एक कागज में अपनी कमियां लिखना। दूसरे कागज में आपको क्या बनना है और कैसे बनना वह लिखें। इस दौरान उन्होंने कहा कि नैनीताल की भूमि अच्छी है। इस शिविर के काफी लाभ महसूस करोगे। उन्होंने श्री राम व सीता के वनवास का जिक्र करते हुए संघर्ष के बारे में बताया।
भावुक होकर रोने लगी दिल्ली की महिला
रामनगर: समागम के बाद पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने साधकों से उनके अनुभव भी पूछे। इस दौरान इंदौर से आए भगत सिंह हाड़ा, तेलंगाना से आए गौरव चौहान, देवास, नोयडा से आई कुमगुम गर्ग, लखनऊ बाराबंकी, बालाघाट से आए महिला-पुरुष साधकों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए।
एक साधक ने कहा कि वह यहां नहीं आना चाहते थे। उनकी बहन जबरदस्ती करके आई। लेकिन यहां आकर काफी प्रसन्न महसूस कर रहा हूं। जैसे एक बोझ उतर गया हो। यहां जो सीखा वह आने वाले जीवन में मेरे लिए महत्वपूर्ण होंगे। दिल्ली से आई एक महिला साधक भावुक होकर रोने लगी।
महिला चिकित्सक ने ध्यान को माना
रामनगर : बालाघाट से आई महिला चिकित्सक ने कहा कि ध्यान से वह काफी प्रेरित हुई है। चिकित्सक ने कहा कि आगे जाकर दवाई की जगह ऊर्जा संचय लिखने वाली हूं। जो दवा हम लिखते हैं, उससे फायदा तो होता है, लेकिन उससे साइड इफेक्ट भी होता है। लेकिन एक बार सभी को ध्यान करके भी देखना चाहिए।
