
आइए जानें इस व्रत की संपूर्ण धार्मिक विधि:-


– प्रातःकाल पवित्र स्नान और संकल्प लें
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह
गंगा दशहरा के दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. यदि संभव हो तो गंगा नदी में स्नान करें या घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें. स्नान के पश्चात भगवान विष्णु और मां गंगा का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें – “मम समस्त पापक्षयपूर्वक श्रीगंगादशहरा व्रतमहं करिष्ये” यह संकल्प श्रद्धा और भावना से करें.
– गंगा की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें
व्रत स्थल को स्वच्छ करके वहां गंगा मां की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें. चित्र के चारों ओर दीपक, फूल, धूप और नैवेद्य की व्यवस्था करें. मां गंगा को सफेद पुष्प, अक्षत, चंदन, दूध, फल और गंगाजल अर्पित करें.
– गंगा स्तोत्र और दशहरा मंत्रों का पाठ करें
पूजन के समय निम्न मंत्रों का जाप करना विशेष फलदायी होता है:
“ओम नमः शिवाय गंगायै नमः”
“ओम गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति
नर्मदे सिंधु कावेरी जलस्मिन्सन्निधिं कुरु”
इन मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करें. साथ ही “गंगा लहरी” या “गंगा स्तोत्र” का पाठ करें, जिससे माँ गंगा की कृपा बनी रहती है.
– फलाहार व्रत और दान पुण्य करें
इस दिन व्रतधारी दिन भर फलाहार या जल का सेवन करके उपवास रख सकते हैं. रात्रि में भगवान विष्णु और मां गंगा की आरती करें और अगले दिन व्रत का पारण करें. गंगा दशहरा पर दान विशेष फलदायी होता है – अन्न, वस्त्र, जल पात्र, पंखा, मिष्ठान्न आदि दान करें.
– गाय, ब्राह्मण और ज़रूरतमंदों की सेवा करें
गंगा दशहरा पर गौ सेवा, ब्राह्मण भोजन और गरीबों की सहायता करना अत्यंत पुण्यदायी होता है. इससे जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का वास होता है.
गंगा दशहरा का व्रत विधिपूर्वक और श्रद्धा से करने पर माँ गंगा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करता है, बल्कि सांसारिक जीवन में भी शुभता और उन्नति का द्वार खोलता है.
