वहीं चौदास घाटी के ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के नारायण आश्रम प्रवास से क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी और विकास के द्वार खुलेंगे।
फिलहाल प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री 11 अक्टूबर को नारायण आश्रम में रात्रि विश्राम करेंगे। प्रधानमंत्री के आश्रम में स्वागत के लिए चौदास घाटी के लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। बीते दिनों नारायण आश्रम पहुंचे भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट के समक्ष लोगों ने पीएम का स्वागत करने देने की अनुमति मांगी। चौदास विकास समिति के महासचिव देवकृष्ण फकलियाल ने बताया कि जनजातीय समाज को पारंपरिक वेशभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ अपनी लोक संस्कृति को दिखाने का मौका दिया जाना चाहिए।
Hindustan Global Times Avtar Singh Bisht journalist from Uttarakhand
उन्होंने बताया कि पूर्व में तवाघाट से थानीधार-पांगू-सोसा, सिरखा, गबलाथान होते हुए कैलाश यात्रा होती थी। इस यात्रा पथ को थानीधार से छियालेख तक मिलाया जाना चाहिए। बकौल फकलियाल चौदास घाटी जड़ीबूटी और बागवानी के लिए काफी मुफीद है। घाटी के गांवों में सेब, आड़ू, नींबू, माल्टा, कीवी के साथ जड़ी बूटीकरण को बढ़ावा देकर ग्रामीणों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। यहां हाईटेक विलेज बनाकर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। ज्यूंति नाला में ट्राउट मछली उत्पादन कर लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है। परंपरागत शिल्प को पुनर्जीवित कर इसके वैभव को फिर से लौटाया जा सकता है।
चौदास घाटी के ये हैं 14 गांव
पांगू, धारपांगू, हिमखोला, छलमा छिलासों, सोसा, जयकोट, सिर्दांग, सिरखा, रुंग, पांगला, सिमखोला, जिप्ती, गर्बा, तांकुल।