संपादकीय विशेष: केदारनाथ हेलीकॉप्टर हादसा — श्रद्धा की उड़ान, लापरवाही का क्रैश ✍🏻 संवाददाता: अवतार सिंह बिष्ट राज्य आंदोलनकारी, संपादक – शैल ग्लोबल टाइम्स / हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

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“श्रद्धा उड़ान भरती है, पर जब सिस्टम नीचे गिरा होता है, तब हादसे नहीं रोके जा सकते”

15 जून 2025 की सुबह साढ़े पांच बजे एक बार फिर देवभूमि की शांत घाटियों में हेलिकॉप्टर दुर्घटना की करुण चीखें गूंज उठीं। आर्यन एविएशन का एक हेलिकॉप्टर, जो केदारनाथ से गुप्तकाशी की ओर श्रद्धालुओं को लेकर उड़ान भर रहा था, गौरी माई खर्क के जंगलों में क्रैश हो गया। इस हादसे में पायलट राजवीर सिंह चौहान सहित सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई — श्रद्धा राजकुमार जायसवाल (35), उनका दो वर्षीय पुत्र काशी, उनके पति राजकुमार सुरेश जायसवाल (41), विक्रम सिंह रावत (उत्तराखंड), विनोद देवी (66, यूपी) और तुष्टि सिंह (19, यूपी)।

देवभूमि की यह त्रासदी महज एक ‘दुर्घटना’ नहीं है। यह उस भ्रष्ट व्यवस्था और लापरवाह निजी संचालकों की सच्चाई है जो हर साल तीर्थयात्रियों की जान से खिलवाड़ कर रही है।


सवाल उठता है: यह कब रुकेगा?

उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा का स्वरूप अब पूंजीवादी स्पर्धा का अखाड़ा बन चुका है। हेलिकॉप्टर सेवा कंपनियां – जिनका उद्देश्य श्रद्धालुओं की सेवा नहीं बल्कि लाभ कमाना है – बार-बार नियमों की धज्जियां उड़ाती रही हैं। DGCA और यूकाडा (UCADA) की स्पष्ट गाइडलाइनों की भी अवहेलना की जाती रही है। नतीजा सामने है – तीन साल में छह बड़े हादसे।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हादसे के बाद हेलीकॉप्टर सेवाएं 16 जून तक स्थगित कर दीं और एक सख्त SOP (Standard Operating Procedure) की घोषणा की। कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की बात कही गई, तकनीकी विशेषज्ञ समिति की भी बात हुई। लेकिन यही बातें हम 2022, 2024 और मई 2025 में भी सुन चुके हैं।

तो इस बार क्या वाकई कुछ बदलेगा, या फिर अगली उड़ान में फिर कोई श्रद्धालु अपने जीवन की आखिरी यात्रा पर निकलेगा?


हादसों का ब्योरा: कब जागेगा सिस्टम?

  • 7 जून 2025: केस्ट्रल एविएशन का हेलिकॉप्टर हाइवे पर इमरजेंसी लैंडिंग — तकनीकी खराबी।
  • 17 मई 2025: एयर एंबुलेंस की लैंडिंग में मुश्किल — टेल रोटर में खराबी।
  • 8 मई 2025: उत्तरकाशी – बेल 407 हेलिकॉप्टर क्रैश, 6 श्रद्धालुओं की मौत।
  • 16 अक्टूबर 2024: तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त का हेलिकॉप्टर रालम गांव में इमरजेंसी लैंडिंग।
  • 18 अक्टूबर 2022: केदारनाथ हादसा — 6 श्रद्धालु और पायलट की मृत्यु।

इन हादसों के बावजूद कोई बड़ा ढांचागत सुधार नहीं हुआ। यही सबसे भयावह सत्य है।


हेलिकॉप्टर ऑपरेटर: तीर्थ यात्रा या टैक्सी दौड़?

केदारनाथ मार्ग पर 8 निजी कंपनियां ऑपरेशन करती हैं – हिमालयन हेली, आर्यन एविएशन, ट्रांस भारत, थम्बी एविएशन, हेरिटेज एविएशन, ग्लोबल वेक्टरा, क्रिस्टल एविएशन और वीटी एविएशन। ये कंपनियां रोज औसतन 215 उड़ानें संचालित करती हैं, और अनुकूल मौसम में यह संख्या 290 तक जा पहुंचती है।

आश्चर्य की बात यह है कि DGCA की सिफारिश के बावजूद प्रति घंटे 2 उड़ानों की सीमा भी अक्सर पार की जाती है। फ्यूल लोड और तापमान का ध्यान रखने की बात सिर्फ कागजों पर है। कई कंपनियां यात्रियों की जान के बदले टिकट बेच रही हैं — वह भी “बाबा के नाम पर”।


हेलीकॉप्टर हेलीपैड या हेली-जाल?

गुप्तकाशी, फाटा, बादासू, जामू, सेरसी, त्रियुगीनारायण जैसे हेलीपैड पहाड़ी भूगोल में स्थित हैं, जहां हर उड़ान में मौसम का मिजाज निर्णायक भूमिका निभाता है। फिर भी कंपनियां किसी “ट्रैफिक नियम” की तरह नियमों को तोड़ने में संकोच नहीं करतीं।

बड़ा सवाल यह है कि UCADA और DGCA जैसे नियामक निकाय इन ऑपरेटरों पर कठोर निगरानी क्यों नहीं रखते? क्या ये हादसे आम जनता के लिए सिर्फ “भगवान की मर्जी” बनकर रह जाएंगे?


मुख्यमंत्री के संकल्प की चुनौती

मुख्यमंत्री धामी ने हादसे के बाद कहा:

“इस क्षेत्र में उड़ान भरने वाले पायलटों को विशेष अनुभव होना चाहिए। SOP का उल्लंघन नहीं होगा। कमांड-सेंटर स्थापित होगा। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।”

इन बातों में दम है, पर राज्य आंदोलनकारी के नाते मैं पूछना चाहता हूं:

क्या यह केवल हादसे के बाद की राजनीतिक प्रतिक्रिया है या सच्चे सुधार की शुरुआत?

क्योंकि यदि हादसों से पहले कार्रवाई होती, तो सात श्रद्धालु आज जिंदा होते।


श्रद्धा को सुरक्षा चाहिए, तर्कहीन स्पर्धा नहीं

चारधाम यात्रा केवल आस्था का मामला नहीं है — यह उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और पहचान से जुड़ा मुद्दा है। लेकिन जब तक तीर्थयात्रियों की सुरक्षा निजी मुनाफे के नीचे दबी रहेगी, तब तक केदारनाथ की घाटियों में भगवान का नाम लेने के बाद भी चीत्कारें सुनाई देती रहेंगी।

सरकार को चाहिए कि:

  1. सभी हेली कंपनियों का पुनः लाइसेंस ऑडिट हो।
  2. ट्रायल उड़ानों के बाद ही संचालन की अनुमति दी जाए।
  3. रियल टाइम वेदर निगरानी सेंटर हर हेलीपैड पर बने।
  4. नियमों के उल्लंघन पर सीधी दंडात्मक कार्रवाई हो।
  5. हेलिकॉप्टर क्रैश पर हर बार सिर्फ जाँच नहीं, अभियोजन हो।

अंत में एक सवाल: क्या हम अगली दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं?

तीर्थ यात्रा श्रद्धा है, लेकिन उसे सुरक्षा और सम्मान भी चाहिए। केदारनाथ की पवित्र घाटियों में श्रद्धालुओं के शव गिरें — यह कोई सामान्य बात नहीं हो सकती। आर्यन एविएशन का यह हादसा अंतिम होना चाहिए — वरना उत्तराखंड की व्यवस्था में हादसों की तैयारी हमेशा तैयार मिलती रहेगी।

🕯️ श्रद्धांजलि उन सभी को जिन्होंने आस्था की उड़ान में प्राण गंवा दिए।


✍🏻 अवतार सिंह बिष्ट

संवाददाता | उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी

शैल ग्लोबल टाइम्स / हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

📍 रुद्रपुर, उत्तराखंड


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