नंदा देवी राजजात यात्रा की तैयारियों की सीएम ने की समीक्षा, सुरक्षा से लेकर संस्कृति तक हर पहलू पर होगा विशेष ध्यान

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रुद्रपुर,उत्तराखंड की सबसे प्रतिष्ठित और कठिन धार्मिक यात्राओं में से एक नंदा देवी राजजात यात्रा की तैयारियों की मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वर्चुअल बैठक के माध्यम से उच्च स्तरीय समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उत्तराखंड की आस्था, लोकसंस्कृति, प्रकृति और समन्वय का अनूठा प्रतीक है। इसके भव्य और सुरक्षित आयोजन के लिए सभी विभागों को परस्पर तालमेल के साथ कार्य करना होगा।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

हर कदम पर डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, हेल्पलाइन नंबर भी जारी होंगे?मुख्यमंत्री धामी ने निर्देश दिए कि पूरे 280 किमी लंबे यात्रा मार्ग पर डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम विकसित किया जाए, ताकि श्रद्धालुओं की रीयल टाइम निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। साथ ही यात्रियों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तत्काल सहायता मिल सके।

हर सप्ताह और हर महीने होगी समीक्षा?मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि हर महीने राज्य स्तर पर तैयारियों की समीक्षा की जाए, जबकि गढ़वाल और कुमाऊं मंडलायुक्तों को प्रत्येक सप्ताह क्षेत्रीय स्तर पर समीक्षा करने को कहा गया है। इससे व्यवस्थाओं की नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाएगी।

जनप्रतिनिधियों और समिति सदस्यों से लिए जाएंगे सुझाव?धामी ने कहा कि यात्रा से जुड़े सभी हितधारकों, जन प्रतिनिधियों और नंदा देवी राजजात समिति के सदस्यों से सुझाव लेकर बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पिछली यात्राओं से मिले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाएं बनाई जाएं।


श्रद्धालुओं की सेवा सर्वोपरि, चिकित्सा से लेकर भोजन तक होगा प्रबंध

  • यात्रा मार्ग में स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं।
  • पड़ाव स्थलों पर श्रद्धालुओं के रुकने, भोजन, स्नान एवं शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित करने को कहा गया है।
  • स्वास्थ्य सुविधा के तहत चिकित्सा शिविर, डॉक्टरों की उपलब्धता और हेली एम्बुलेंस की व्यवस्था भी की जाएगी।
  • यात्रा बरसात के मौसम में होती है, इसलिए संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए भी विशेष इंतजाम होंगे।

पर्यावरण, वन और संस्कृति का होगा सम्मान

धामी ने स्पष्ट किया कि यात्रा के अधिकांश पड़ाव वन क्षेत्रों में आते हैं, ऐसे में वन एवं पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यात्रियों के लिए पर्याप्त टेंट और विश्राम व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। साथ ही यात्रा से जुड़े लोकगीतों, कथाओं और लोक संस्कृति का अभिलेखीकरण भी किया जाए।

पर्यटन विभाग को निर्देश दिए गए कि यात्रा के पड़ावों और उत्तराखंड की सांस्कृतिक छवि को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित किया जाए।


भीड़ और यातायात प्रबंधन की होगी मुकम्मल व्यवस्था

सीएम धामी ने कहा कि यात्रा के दौरान भीड़ नियंत्रण और यातायात व्यवस्था मजबूत की जाए। सभी पार्किंग स्थलों पर पर्याप्त व्यवस्था हो और यात्रा मार्गों पर पेयजल, मोबाइल शौचालय, विश्राम स्थलों की सुविधा हो। उन्होंने विशेष रूप से गढ़वाल और कुमाऊं के उन क्षेत्रों में भी आधारभूत सुविधाएं सुनिश्चित करने को कहा, जहां से डोलियां व श्रद्धालु निकलते हैं।


कुंभ 2027 की भी तैयारियों का हुआ जिक्र

मुख्यमंत्री ने कहा कि नंदा देवी राजजात यात्रा के साथ-साथ 2027 में हरिद्वार में होने वाले कुंभ के लिए भी व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में दोनों आयोजनों को भव्य और दिव्य बनाने के लिए राज्य सरकार पूरी प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है।


बैठक में उपस्थित प्रमुख हस्तियां

इस उच्च स्तरीय वर्चुअल समीक्षा बैठक में राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट, विधायक बंशीधर भगत, अनिल नौटियाल, भूपाल राम टम्टा, सुरेश गड़िया, पार्वती दास, और डॉ. मोहन सिंह बिष्ट सहित शासन-प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे।

मुख्य सचिव आनंद वर्धन, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, डीजीपी दीपम सेठ, सचिव शैलेश बगोली, गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडे, IG गढ़वाल राजीव स्वरूप, और अन्य जिलाधिकारी बैठक में उपस्थित रहे।


नंदा देवी राजजात यात्रा: आस्था, साहस और संस्कृति की गाथा

नंदा देवी राजजात यात्रा को उत्तराखंड में “हिमालय की कुंभ यात्रा” कहा जाता है। यह यात्रा हर 12 वर्षों में आयोजित होती है और इसे “राजराजेश्वरी नंदा देवी” की मायके विदाई के रूप में देखा जाता है। यह यात्रा चमोली जिले के नंदप्रयाग या कुरूड गांव से शुरू होकर 280 किलोमीटर की दुर्गम पैदल दूरी तय करती है, जिसमें रूपकुंड, होमकुंड जैसे दुर्गम स्थल भी आते हैं।

हजारों की संख्या में श्रद्धालु, स्थानीय लोग और विदेशी पर्यटक भी इस यात्रा में भाग लेते हैं। यह यात्रा लोक परंपराओं, श्रद्धा, गीत-संगीत और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम होती है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज को नई दिल्ली में केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह से भेंट कर राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री से रानीखेत और लैंसडाउन छावनी क्षेत्र को नगर पालिकाओं के साथ विलय करने का अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने धारचूला और ज्योतिर्मठ के सैन्य हेलीपैड को आरसीएस हवाई सेवा के अंतर्गत उपयोग करने के लिए अनुमति प्रदान करने का आग्रह किया। राज्य के आपदा एवं राहत कार्यों के लिए भारतीय वायुसेना की सेवाओं के लिए देय शुल्क को माफ किये जाने का भी मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया।

मुख्यमंत्री ने ग्वालदम से नंदकेसरी होते हुए थराली देवाल-मुन्दोली-वाण मोटर मार्ग के रख-रखाव एवं अनुरक्षण का कार्य भविष्य में भी लोक निर्माण विभाग द्वारा कराए जाने का अनुरोध केन्द्रीय रक्षा मंत्री से किया।

उन्होंने कहा कि यह सड़क मार्ग राज्य की महत्वपूर्ण नंदा देवी राजजात यात्रा का मुख्य मार्ग है। प्रत्येक 12 वर्षों में आयोजित होने वाली यह महत्वपूर्ण यात्रा है, जो वर्ष 2026 में प्रस्तावित है। यह यात्रा राज्य की धार्मिक एवं सांस्कृतिक आस्था की प्रतीक है।

केंद्रीय रक्षा मंत्री ने सभी प्रस्तावों पर सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा नंदा देवी राजजात यात्रा की व्यापक और गहन समीक्षा दर्शाती है कि सरकार इस ऐतिहासिक धार्मिक यात्रा को सुरक्षित, सुव्यवस्थित और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने को लेकर पूरी तरह गंभीर है। श्रद्धालुओं की सुविधा, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य सेवाएं और सांस्कृतिक प्रचार जैसे पहलुओं पर सरकार की तैयारी भविष्य की सफल धार्मिक व्यवस्थाओं की नींव रखेगी।



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