
पांच सुरंगें, एक बड़ा सहायक ढांचा और एक चौड़ा सुरक्षा घेरा। लेकिन इसके भीतर क्या हो रहा है, यह सवाल पूरी दुनिया के सामने है, खासतौर पर तब, जब ईरान और इजराइल के बीच तनाव अपने चरम पर है।


200 से अधिक फीट गहराई में छिपी तकनीक
संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
फोर्डो प्लांट को भूमिगत पर्वतीय इलाके में स्थापित किया गया है। इसकी मुख्य प्रयोगशालाएं जमीन से करीब 295 फीट हैं। यह गहराई इतनी है कि इजराइल के पास मौजूद कोई भी बम इसे नष्ट करने में असमर्थ है। यही वजह है कि विशेषज्ञ इसे हवाई हमले से लगभग अजेय” मानते हैं।
कब और क्यों बना फोर्डो?
फोर्डो की शुरुआत 2002-2004 के बीच हुई थी, जब ईरान का परमाणु हथियार कार्यक्रम अपने तथाकथित ‘क्रैश फेज़’ में था। वाशिंगटन स्थित विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थान (ISIS) के प्रमुख डेविड अलब्राइट के अनुसार, इस परियोजना का उद्देश्य उच्च संवर्धित यूरेनियम (weapon-grade uranium) का उत्पादन करना था। ईरान के नागरिक परमाणु कार्यक्रम से प्राप्त कम संवर्धित यूरेनियम को फोर्डो में हथियार योग्य स्तर तक संवर्धित करने की योजना बनाई गई थी।
ईरान के परमाणु ठिकाने की सैटेलाइट तस्वीर (सौ. से Maxar Technologies)
2009 में हुआ खुलासा?
सितंबर 2009 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दुनिया को फोर्डो के अस्तित्व के बारे में बताया। इस घोषणा से कुछ दिन पहले ही ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) को सूचित किया था कि वह एक नई ईंधन संवर्धन सुविधा बना रहा है। इससे पता चलता है कि ईरान को पहले ही पश्चिमी देशों की जासूसी एजेंसियों की जानकारी का आभास हो चुका था।
ईरान का दावा और वैश्विक संदेह
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है और फोर्डो को जमीन के नीचे इसलिए बनाया गया ताकि संभावित सैन्य हमलों से इसकी रक्षा हो सके। 2009 में ईरान ने IAEA को बताया कि फोर्डो में अधिकतम 3,000 सेंट्रीफ्यूज स्थापित किए जा सकते हैं। लेकिन अमेरिका, यूरोप और यहां तक कि रूस और चीन ने भी इस दावे पर संदेह व्यक्त किया।
2015 का परमाणु समझौता और ट्रंप की वापसी
2015 में हुए संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) के तहत ईरान ने फोर्डो से दो-तिहाई सेंट्रीफ्यूज और सारा परमाणु पदार्थ हटा दिया था। लेकिन 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से इस समझौते से बाहर निकलने के बाद ईरान ने धीरे-धीरे प्रतिबंधों को अनदेखा करते हुए फोर्डो को दोबारा सक्रिय करना शुरू कर दिया।
2024 में फिर सक्रिय, इजराइल की चिंता बढ़ी
2024 की शुरुआत में IAEA की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान ने फोर्डो में 60% संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन शुरू कर दिया है, जबकि हथियार-योग्य यूरेनियम के लिए सिर्फ 90% की आवश्यकता होती है। फोर्डो में अब 2,700 सेंट्रीफ्यूज सक्रिय हैं और विशेषज्ञों के अनुसार, यहां जमा यूरेनियम को केवल तीन सप्ताह में हथियार-योग्य स्तर तक संवर्धित किया जा सकता है, इतना कि इससे नौ परमाणु हथियार बनाए जा सकें।
इजराइल के लिए अमेरिका ही विकल्प
फोर्डो की सुरक्षा व्यवस्था इतनी मजबूत है कि इजराइल के पास कोई ऐसा बम नहीं है जो इतनी गहराई तक असर कर सके। GBU-57 बम, जो अमेरिकी B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा गिराए जा सकते हैं, वो भी अधिकतम 200 फीट की गहराई तक ही पहुंच पाते हैं। अमेरिका के पास ही ऐसी तकनीक है जिससे फोर्डो को हवाई हमले से क्षतिग्रस्त किया जा सकता है। इजराइल के अमेरिका स्थित राजदूत येचिएल लाइटर ने भी कहा है कि “फोर्डो को नष्ट करना केवल अमेरिका के वश की बात है।”
सुरंग और वेंटिलेशन सिस्टम पर हमला
विज्ञान और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थान के प्रमुख अलब्राइट के अनुसार, अगर हवाई हमला असंभव है तो फोर्डो की सुरंगों के प्रवेश द्वार और वेंटिलेशन सिस्टम को लक्ष्य बनाना एक प्रभावी विकल्प हो सकता है। यदि बिजली और हवा की आपूर्ति बाधित कर दी जाए तो फोर्डो महीनों तक निष्क्रिय रह सकता है।
इजराइल के पास खुफिया जानकारी
2018 में इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया था कि उनकी खुफिया एजेंसी ने ईरान के “परमाणु आर्काइव” से 55,000 से अधिक दस्तावेज़ हासिल किए हैं। इन दस्तावेज़ों में फोर्डो की योजनाएं, डिजाइन और उद्देश्य स्पष्ट रूप से दर्ज हैं, जिसमें हर साल एक से दो परमाणु हथियार बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
Iran का ब्रह्मास्त्र जिसकी काट Israel के पास भी नहीं, 1990 से सीक्रेट तौर पर चल रहा था काम !
फोर्डो बना वैश्विक संकट का केंद्र
ईरान के फोर्डो संयंत्र ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया है:
- क्या ईरान वास्तव में परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में अग्रसर है?
- क्या दुनिया इसे रोकने में सक्षम है?
- क्या इजराइल या अमेरिका कोई कठोर कदम उठाएंगे?
जब तक इन सवालों का उत्तर नहीं मिलता, फोर्डोपरमाणु संयंत्र केवल एक औद्योगिक संयंत्र नहीं, बल्कि मध्य पूर्व की स्थिरता और वैश्विक सुरक्षा का केंद्रबिंदु बना रहेगा।
