धरोहर संवाद” में बिखरी उत्तराखंड की सांस्कृतिक और बौद्धिक गरिमा: अपनी धरोहर न्यास का भव्य आयोजन श्रीनगर गढ़वाल में संपन्न

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श्रीनगर (गढ़वाल), 23 जून — उत्तराखंड की सांस्कृतिक जड़ों को संजोने और नई पीढ़ी को उसकी विरासत से जोड़ने के उद्देश्य से “अपनी धरोहर न्यास” द्वारा आज श्रीनगर गढ़वाल में एक भव्य और विशिष्ट कार्यक्रम “धरोहर संवाद” का आयोजन किया गया। इस आयोजन की अगुवाई न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री विजय भट्ट ने की, जिन्होंने कार्यक्रम को न केवल सांस्कृतिक भव्यता दी, बल्कि बौद्धिक विमर्शों से भी समृद्ध किया।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

कार्यक्रम में उत्तराखंड के चारों क्षेत्रों — कुमाऊं, गढ़वाल, जौनसार और भाबर — के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ, साहित्यकार, कलाकार, प्रोफेसर, वैज्ञानिक और बुद्धिजीवी शामिल हुए।मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री श्री धन सिंह रावत ने अपने विचार रखते हुए उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और भाषा संरक्षण के लिए ऐसे आयोजनों की निरंतरता पर बल दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ टिहरी जन विद्युत परियोजना के मुख्य निर्देशक श्री एल. पी. जोशी द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ।

हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर श्री दाताराम पुरोहित ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इसे “उत्तराखंडी आत्मा का संवाद” करार दिया।

कार्यक्रम की एक प्रमुख कड़ी पुस्तक मेला रहा, जिसमें विविध विषयों पर आधारित पुस्तकों का प्रदर्शन और बिक्री की गई। इस मेले में क्षेत्रीय साहित्य, संस्कृति, इतिहास और विज्ञान से जुड़ी पुस्तकों को पाठकों ने खूब सराहा।

डॉ. दुर्गेश पंत (महानिदेशक, यूकेस्ट उत्तराखंड), हिमांश कफलत्या (ब्याज PCS टॉपर), नीलांबर पांडे, प्रो. सतीश चंद्र सती सहित अनेक नामचीन हस्तियों की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी प्रभावशाली बना दिया।

विभिन्न राज्यों से पधारे कलाकारों ने लोकनृत्य, संगीत और नाट्य के माध्यम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक समृद्धि को जीवंत कर दिया।

धरोहर संवाद” कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर केवल अतीत की बात नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की चेतना है। अपनी धरोहर न्यास द्वारा इस प्रकार के आयोजन निश्चित ही समाज को अपनी जड़ों की ओर लौटने की प्रेरणा देते हैं।


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