
रुद्रपुर, 26 जून 2025 – “एकता में शक्ति है” – यह कहावत पर्वतीय समाज संगठन ने न केवल चरितार्थ की है बल्कि समाज के भीतर जनजागरण, सहयोग, सेवा और संगठनात्मक सशक्तिकरण का भी जीवंत उदाहरण बन गई है। वर्ष 2008-09 से समाजसेवा के पथ पर अग्रसर इस समिति ने अब नए उत्साह के साथ सदस्यता अभियान की शुरुआत की है, जो पर्वतीय समाज के लिए सामाजिक पुनर्जागरण का संदेश दे रहा है।


श्री शनि देव जी महाराज एवं श्री शनि शिला मन्दिर, सिंह कॉलोनी रुद्रपुर में पार्वतीय समाज समिति की मीटिंग आयोजित की गई
समाज का गौरव – पर्वतीय समाज समिति?रुद्रपुर में कार्यरत पर्वतीय समाज समिति केवल एक संगठन नहीं, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक आत्मा और सामूहिक चेतना का प्रतिनिधि मंच बन चुकी है। इस समिति में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से आए अधिकारियों, कर्मचारियों, युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों की सक्रिय भागीदारी है। यह संगठन पर्वतीय मूल के लोगों के हितों की रक्षा के साथ-साथ उन्हें मुख्यधारा में संगठित करने का कार्य कर रही है।
विश्वास और प्रभाव का संगम?समिति का नेतृत्व कर रहे अध्यक्ष बी०डी० भट्ट, सचिव रमेश चन्द्र जोशी और उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र जोशी की टीम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब यह संगठन केवल नाम भर नहीं, बल्कि जनभावनाओं और जनसरोकारों का प्रखर मंच बनेगा। समिति की प्रतिष्ठा और सामाजिक प्रभाव इस हद तक बढ़ चुका है कि इसे अब “पर्वतीय समाज की आवाज़ और उम्मीद” माना जाने लगा है।
प्रमुख उद्देश्य – जनसेवा, सहयोग और सांस्कृतिक संरक्षण?समिति के कार्यों की रूपरेखा अत्यंत सशक्त और जनोन्मुखी है:
- गरीब, वंचित और ज़रूरतमंद पर्वतीय परिवारों की सहायता
- प्रशासन पर जल, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए सामूहिक संवाद
- सरकारी योजनाओं का समाज तक पारदर्शी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना
- सांस्कृतिक विरासतों का संवर्धन, पारंपरिक त्योहारों में कलाकारों का प्रोत्साहन
- युवाओं में नैतिक जागरूकता और समाज के प्रति ज़िम्मेदारी विकसित करना
संघर्ष नहीं – संगठन का सहारा
अध्यक्ष बी०डी० भट्ट का कहना है, “यदि एक व्यक्ति प्रशासन से मांग करता है, तो उसकी अनदेखी हो सकती है, लेकिन जब 100 लोग एकजुट होकर आवाज उठाते हैं, तो सरकार भी सुनती है।” यह भावना ही इस संगठन की मूल आत्मा है – संगठित संघर्ष और शांतिपूर्ण समाधान।
मजबूत सदस्यता अभियान – हर पर्वतीय का आह्वान?अब संगठन की सदस्यता केवल ₹200 वार्षिक शुल्क पर उपलब्ध है। यह न केवल संगठन से जुड़ने का अवसर है, बल्कि सामाजिक उत्तरदायित्व का वह व्रत भी है जिसे हर जागरूक पर्वतीय नागरिक को निभाना चाहिए।
अगली बैठक – पर्वतीय एकता की शंखनाद?आगामी संगठन बैठक में रुद्रपुर और आसपास के समस्त पर्वतीय निवासियों को आमंत्रित किया जाएगा। यह बैठक समाज में नई ऊर्जा, दिशा और सामाजिक विमर्श को जन्म देगी।
पर्वतीय समाज के लिए संदेश: “अब वक़्त है एकजुट होने का”आज जब समाज में व्यावसायिकता, भौतिकवाद और निजी स्वार्थों की प्रधानता है, ऐसे समय में पर्वतीय समाज समिति ‘हम’ की भावना को जीवित रखने के लिए कार्य कर रही है। यह समिति पर्वतीय लोगों की पहचान, संघर्ष और सम्मान की प्रतीक बन चुकी है।
समाज के सभी वर्गों से विनम्र आग्रह है कि वे इस समिति से जुड़ें, इसके कार्यों में भाग लें और “पर्वतीय समाज को संगठित, सशक्त और सम्मानजनक भविष्य” की दिशा में कदम बढ़ाएं।
यह सिर्फ संगठन नहीं, एक परंपरा है – पर्वतीय समाज की।पर्वतीय समाज समिति की यह पहल रुद्रपुर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड के पर्वतीय मूल निवासियों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है। आइए, इस अभियान का हिस्सा बनें, एकता के इस दीप को और प्रज्वलित करें – ताकि हमारी संस्कृति, हमारी पहचान और हमारा सम्मान अडिग रहे।
“पर्वतीय समाज जागेगा, तभी उत्तराखंड आगे बढ़ेगा।”
पार्वतीय समाज के हित में आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में अध्यक्ष बीडी भट्ट, गिरीश चंद्र जोशी, नारायण सिंह खोलिया, रमेश चंद्र जोशी, लक्ष्मी चंद्र पंत, महेश चंद्र जोशी, कैलाश चंद्र पंत, हीरा बल्लभ पांडे, अम्बा दत्त जोशी, नवीन खेतवाल समेत कई प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने अपने-अपने विचार रखे और समाज की एकता, जागरूकता तथा युवा पीढ़ी को जोड़ने पर बल दिया। वक्ताओं ने कहा कि पार्वतीय समाज एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का धनी है, जिसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है। समाज के आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक विकास के लिए संगठित प्रयासों की आवश्यकता बताई गई। बेरोजगारी, पलायन और सांस्कृतिक क्षरण जैसे मुद्दों पर खुलकर चर्चा हुई और सामूहिक समाधान की दिशा में कार्य करने का संकल्प लिया गया। वक्ताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि समाज में आपसी समन्वय और सहयोग से ही स्थायी विकास संभव है। समिति में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।कार्यक्रम का संचालन सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुआ और यह पार्वतीय समाज की एक नई ऊर्जा, नई दिशा की शुरुआत के रूप में देखा गया।

