कि सी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने से पहले हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त और तिथि का विशेष ध्यान रखा जाता है. शादी, सगाई आदि अवसरों के लिए गुरु और शुक्र ग्रह की स्थिति को देखा जाता है, क्योंकि ये ग्रह वैवाहिक जीवन और सुख-समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं.

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इनके अनुकूल रहने पर ही शुभ कार्यों को किया जाता है. लेकिन इन ग्रहों की स्थिति प्रतिकूल हो, तो शुभ कार्यों को करना वर्जित होता है. अगर गुरु या शुक्र ग्रह, दोनों में से कोई अस्त हो तो मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. चातुर्मास में गुरु ग्रह अस्त स्थिति में होते हैं, इसलिए इस दौरान किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने के लिए मना किया जाता है.

इस साल चातुर्मास की शुरुआत 6 जुलाई से होगी, जिसके बाद चार महीने तक चातुर्मास ही रहेगी. फिर 1 नवंबर 2025 को चातुर्मास की समाप्ति के साथ सभी शुभ-मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. चातुर्मास के दौरान जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, इसलिए इस दौरान सभी कार्यों पर रोक लग जाती है. चातुर्मास हर साल देवशयनी एकादशी से शुरू होता है और देवउठनी एकादशी पर समाप्त होता है. आइए जानते हैं कि चातुर्मास समाप्त होने के बाद शादी के मुहूर्त कब-कब मिलेंगे.

चातुर्मास के बाद 2 महीने मिलेंगे शुभ मुहूर्त

चातुर्मास समाप्त होने के बाद एक बार फिर मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी 2 नवंबर 2025 से विवाह, सगाई और अन्य धार्मिक आयोजन किए जाएंगे. अगर आप साल 2025 के आखिर में शादी करने की प्लानिंग क रहे हैं, तो नवंबर और दिसंबर में कई शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं.

नवंबर 2025 में विवाह मुहूर्त

नवंबर में 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 नवंबर का दिन विवाह आदि कार्यों के लिए शुभ रहेगा.

दिसंबर 2025 के विवाह मुहूर्त

दिसंबर में 4, 5 और 6 दिसंबर को विवाह के लिए शुभ योग बन रहा है. इन दिनों को विवाह के लिए बहुत शुभ माना जा रहा है.

चातुर्मास में क्या नहीं करना चाहिए?

चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है और इस दौरान कुछ विशेष कार्य नहीं करने चाहिए, जिनमें विवाह, मुंडन, सगाई जैसे शुभ और मांगलिक कार्य शामिल हैं. इसके अलावा, चातुर्मास में मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन, और हरी सब्जियों का सेवन भी नहीं करना चाहिए.

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