
rudrpur,उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, इन दिनों एक बार फिर से प्राकृतिक आपदाओं की आशंका की चपेट में है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, देहरादून द्वारा जारी ताजा बुलेटिन ने समूचे प्रदेश को सचेत कर दिया है। अगले कुछ दिन विशेषकर 29, 30 जून और 01 जुलाई पूरे उत्तराखंड के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।
जहाँ 29 और 30 जून को टिहरी गढ़वाल जिले में रेड अलर्ट जारी किया गया है, वहीं 01 जुलाई को राज्य के सभी जनपदों में कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा का अनुमान जताते हुए ऑरेंज अलर्ट घोषित किया गया है। यानी आसमान से बरसने वाली आफत किसी भी समय प्रदेश की आबादी, आवागमन और जनजीवन को बाधित कर सकती है।
उधम सिंह नगर (रुद्रपुर) का हाल
उधम सिंह नगर, विशेष रूप से रुद्रपुर और उसके आसपास के क्षेत्र, निचले भू-भागों में आते हैं। यहाँ बारिश के दौरान जलभराव की समस्या अक्सर विकराल हो जाती है। मौसम विभाग के अनुसार,
- 29-30 जून को हल्की से मध्यम बारिश संभावित है।
- 01 जुलाई को कुछ स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है।
- नालियों और ड्रेनेज सिस्टम पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि जलभराव न हो।
- किसानों को सलाह दी गई है कि वे धान की नर्सरी की सुरक्षा के लिए उचित प्रबंध करें।
रुद्रपुर, बाजपुर, नानकमत्ता, किच्छा, सितारगंज क्षेत्र विशेष सतर्कता में रखे गए हैं क्योंकि यहाँ भारी वर्षा के साथ आंधी-तूफान की भी संभावना मौसम विभाग ने जताई है।


पर्वतीय जिलों का परिदृश्य
पिथौरागढ़, चंपावत, बागेश्वर
- अगले 3-4 दिन तेज वर्षा की संभावना।
- भूस्खलन की घटनाएँ बढ़ सकती हैं।
- विशेषकर धारचूला, मुनस्यारी, कनालीछीना और धारचूला-मुनस्यारी सड़क मार्गों पर आवाजाही सावधानीपूर्वक करने के निर्देश।
नैनीताल, अल्मोड़ा, चमोली
- नैनीताल, अल्मोड़ा में कुछ स्थानों पर भारी बारिश का अनुमान।
- नैनी झील और अन्य जलाशयों का जलस्तर सतर्क निगरानी में।
- चमोली में बद्रीनाथ हाईवे पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। यात्रियों को मौसम अपडेट लेकर ही यात्रा की सलाह।
देहरादून, पौड़ी, टिहरी
- देहरादून में 01 जुलाई को विशेष रूप से भारी बारिश की संभावना।
- मसूरी-देहरादून रोड और ऋषिकेश-देवप्रयाग मार्ग पर संवेदनशील भू-स्खलन क्षेत्र चिन्हित।
- टिहरी में 29-30 जून को तीव्र से अति तीव्र वर्षा की चेतावनी। डीएम ने व्यापक तैयारी के निर्देश दिए हैं।
चंपावत, पौड़ी, बागेश्वर
- नदी-नालों के किनारे रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह।
- संवेदनशील मार्गों पर पहले से मशीनरी तैनात की जा रही है।
निचले इलाकों का खतरा
निचले जिलों—जैसे उधम सिंह नगर, हरिद्वार, पंतनगर, बाजपुर आदि—में नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ने की आशंका बनी रहती है। यहाँ बाढ़, जलभराव, खेतों में पानी भरने जैसी समस्याएँ ज्यादा होती हैं। इन इलाकों में फसलों और आवागमन पर भारी असर पड़ सकता है।
सरकार और प्रशासन की तैयारियाँ
टिहरी गढ़वाल की डीएम नितिका खंडेलवाल ने सभी अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा है। पूरे प्रदेश में निमनलिखित निर्देश दिए गए हैं:
कंट्रोल रूम सक्रिय रखने के आदेश।
किसी भी अधिकारी/कर्मी को मोबाइल स्विच ऑफ करने पर सख्त मनाही।
भूस्खलन संभावित स्थानों पर मशीनरी पहले से तैनात रखने के निर्देश।
आवश्यक खाद्यान्न और दवाइयों की स्टॉकिंग।
विद्यालयों में विशेष सावधानी बरतने के निर्देश।
पर्यटकों के लिए ऊँचाई वाले क्षेत्रों में यात्रा रोकने के निर्देश।
नालियों की सफाई और अतिक्रमण हटाने पर ज़ोर।
ग्राम पंचायतों में चेतावनी प्रसारित करने का आदेश।
नदी-नालों के जलस्तर पर सतत निगरानी।
फंसे हुए लोगों के लिए भोजन, दवाई, अस्थायी आवास की व्यवस्था।
जनता के लिए विशेष सावधानियाँ,किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें। केवल सरकारी सूचनाओं पर भरोसा करें।
- पहाड़ी इलाकों में यात्रा से बचें।
- नदी, नालों के किनारे न जाएं।
- मोबाइल चार्ज रखें, बिजली गुल होने की स्थिति में टॉर्च, बैटरी, जरूरी सामान तैयार रखें।
- वाहन सावधानीपूर्वक चलाएँ। बारिश के दौरान स्लिपरी सड़कें जानलेवा हो सकती हैं।
- पर्यटक ऊँचाई वाले क्षेत्रों की यात्रा टाल दें।
- बच्चों और बुजुर्गों को बाहर निकलने से रोकें।
- आपदा की स्थिति में 1077 या जिला आपदा नियंत्रण कक्ष पर संपर्क करें।
संपादकीय ,बारिश देवभूमि के लिए वरदान भी है और कभी-कभी अभिशाप भी। पहाड़ों में हर साल मानसून प्राकृतिक आपदा के रूप में कहर बरपाता है। ऐसे में अलर्ट को हल्के में लेना भारी भूल होगी। 2023-24 की आपदाओं की यादें अभी धुँधली नहीं हुई हैं, जहाँ सड़कों का अस्तित्व मिट गया था, गाँव उजड़ गए थे, और अनगिनत परिवार तबाह हो गए थे।सवाल यह भी है कि क्या हमारी व्यवस्थाएँ पर्याप्त हैं? प्रशासन की तैयारियाँ सराहनीय हैं, मगर जनता का सहयोग उतना ही जरूरी है। यदि लोग सतर्क रहें, अफवाहों से बचें, और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें, तो नुकसान को बहुत हद तक रोका जा सकता है।देवभूमि की धरती सुंदर है, पर प्रकृति का गुस्सा भी उतना ही प्रचंड। इसलिए सजग रहें, सतर्क रहें। एक छोटी सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है।

