आज से भगवान शिव के पावन महीने की शिरुआत हो रही है। ऐसे में भोलेनाथ के भक्त उन्हें प्रसन्न कर ने के लिए न केवल जरूरी उपाय करते हैं बल्कि अनुष्ठान भी करते हैं। हम बात कर रहे हैं भगवान शिव के मंत्र और आरती की।

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आज से सावन का पवित्र महीना शुरू हो गया है. ऐसे में भोलेनाथ के भक्त कांवड़ लेकर नंगे पांव बम भोले के नारे लगाते हुए निकलनी की तैयारी कर चुके हैं. इस यात्रा में श्रद्धालु लंबी यात्रा तय करके पवित्र नदियों का जल एकत्रित करते हैं और मासिक शिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर उस जल को चढ़ाते हैं.

मान्यता है इससे उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. अगर आप भी इस साल कांवड़ यात्रा पर निकलने की सोच रहे हैं, तो फिर आपको इससे जुड़े जरूरी नियम जान लेने चाहिए, ताकि आपकी यात्रा बिना किसी विघ्न बाधा के संपन्न हो सके. तो आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा से जुड़े जरूरी नियम..

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कांवड़ यात्रा के नियम – Rules of Kanwar Yatra

कांवड़ यात्रा के लिए जरूरी सामग्री – कांवड़, गंगा जल भरने के लिए पात्र, सजावट के लिए लाल-पीले वस्त्र और फूल, भगवान शिव की मूर्ति या फोटो, त्रिशूल, डमरू, रुद्राक्ष आदि चीजें अपने साथ जरूर रखें. इसके अलावा अपने साथ लाल-पीले वस्त्र, गमछा, नी कैप, दातुन भी रखें.

जमीन पर सोना और ब्रह्मचर्य का पालन- कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को जमीन पर सोना और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. साथ ही इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को स्वच्छता और पवित्रता का खास ध्यान रखना होता है, नहीं तो आपकी यात्रा फलित नहीं होती है. मान्यता इससे शिव जी रूष्ट होते हैं.

इन बातों का रखें खास ख्याल

कांवड़िए यात्रा के दौरान अपने बाल न कटाएं और न ही शेव करानी चाहिए. इस पवित्र यात्रा पर जाने से पहले श्रद्धालुओं को अपने फुल बॉडी हेल्थ चेकअप एकबार जरूर करानी चाहिए. क्योंकि यह पद यात्रा होती है, जिसमें आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना जरूरी है.

कांवड़ियों को अपने साथ एक पहचान पत्र और इमरजेंसी कॉन्टेक्ट नंबर रखना चाहिए. श्रद्धालुओं को कांवड़ यात्रा के दौरान ट्रैफिक रूल्स का भी पालन करना चाहिए.

कांवड़ यात्रा का महत्व – Significance of Kanwar Yatra

आपको बता दें कि कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है. यह यात्रा श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति और मानसिक सुकून प्रदान करती है.

आप आज के दिन शिव को प्रसन्न करने के लिए कुछ मंत्रों का जाप और आरती कर सकते हैं।

आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि आप शिवजी के कौन-से मंत्रों का जाप और आरती कर सकते हैं। पढ़ते हैं आगे…

1. ॐ नमः शिवाय

2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3. ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः

4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

5. ऊं पषुप्ताय नमः

शिव आरती

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा.

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव अर्द्धांगी धारा..

ओम जय शिव ओंकारा..

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे. हंसानन गरूड़ासन

वृषवाहन साजे..

ओम जय शिव ओंकारा..

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे.

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे..

ओम जय शिव ओंकारा..

अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी.

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी..

ओम जय शिव ओंकारा..

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे.

सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे..

ओम जय शिव ओंकारा..

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.

मधु कैटव दोउ मारे, सुर भयहीन करे..

ओम जय शिव ओंकारा..

लक्ष्मी, सावित्री पार्वती संगा.

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा..

ओम जय शिव ओंकारा..

पर्वत सोहें पार्वतू, शंकर कैलासा.

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा..

ओम जय शिव ओंकारा..

जया में गंग बहत है, गल मुण्ड माला.

शेषनाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला..

ओम जय शिव ओंकारा..

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी.

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी..

ओम जय शिव ओंकारा..

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोई नर गावे.

कहत शिवानन्द स्वामी मनवान्छित फल पावे..

ओम जय शिव ओंकारा.. ओम जय शिव ओंकारा..

✧ धार्मिक और अध्यात्मिक

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