
रुद्रपुर उत्तराखंड,हिन्दू कभी जिन्हें धर्मनिरपेक्षता के नाम पर दबा दिया गया, आज वही हिंदू जाग रहा है, बोल रहा है, और हर-हर महादेव की गूंज के साथ पूरी दुनिया को संदेश दे रहा है—अब हिंदू चुप नहीं रहेगा। कांवड़ यात्रा केवल एक धार्मिक आस्था नहीं रही, यह अब एक सांस्कृतिक जागरण बन चुकी है। यह भारत के उस मूल स्वरूप की पुनर्स्थापना है जिसमें सनातन धर्म की आत्मा बसती है।
आज जब देश के कोने-कोने से लाखों कांवड़िए गंगा जल लेने के लिए पैदल चल रहे हैं, तब ये केवल धार्मिक श्रद्धालु नहीं, ये हिंदुत्व के जीवंत प्रतीक हैं। ये हर कदम पर उस अपमान का उत्तर हैं जो सालों तक सेक्युलरिज्म की आड़ में हिंदू समाज को दिया गया। कभी तुष्टिकरण, कभी आरक्षण, कभी गोधरा जैसे कांडों में एकतरफा रिपोर्टिंग—हिंदू को हर मोर्चे पर या तो अपराधी बनाया गया या मौन पीड़ित।
कांवड़ यात्रा पर हो रहा है सुनियोजित हमला?यह कोई संयोग नहीं कि हर वर्ष जैसे ही कांवड़ यात्रा प्रारंभ होती है, कुछ तथाकथित “धर्मनिरपेक्ष” सोच रखने वाले समूह सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर, कांवड़ियों को बदनाम करने में जुट जाते हैं। कभी उन्हें सड़क जाम करने वाला दिखाते हैं, कभी दंगाई। लेकिन सवाल ये है कि जब अन्य धर्मों के जुलूसों के लिए विशेष छूट दी जाती है, ट्रैफिक रोका जाता है, तब वह “सांप्रदायिक” नहीं होता, पर कांवड़ यात्रा होते ही अचानक कानून याद आने लगता है?
यह दोहरे मापदंड अब नहीं चलेंगे। हिंदू समाज अब जाग चुका है, और वो हर उस बात का उत्तर देगा जिसमें उसे नीचा दिखाने का प्रयास होगा। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार से लेकर दिल्ली-मुंबई तक जब सड़कों पर केसरिया लहराता है, तो यह नई चेतना का प्रमाण है।
धर्मनिरपेक्षता: क्यों केवल हिंदुओं पर लागू?देश में वर्षों तक धर्मनिरपेक्षता की एक तिरछी परिभाषा चलाई गई, जिसमें हिंदू बहुसंख्यक होने के बावजूद हर बार त्याग करने वाला बना रहा। उसे मंदिर बनाने की अनुमति वर्षों तक नहीं दी गई। उसके त्योहारों को “प्रदूषण फैलाने वाला”, “ध्वनि प्रदूषण” या “विघ्नकारक” बताया गया। वहीं दूसरी ओर—दूसरे पंथों की भावनाएं सर्वोपरि रखी गईं।
लेकिन अब समय बदल गया है। मोदी, योगी और धामी जैसे नेतृत्व ने हिंदू समाज को आत्मगौरव का अनुभव कराया है। राम मंदिर केवल एक भवन नहीं, यह उस पीढ़ियों के दर्द का प्रतीक है जिसे अब न्याय मिला है।
पूर्व की सरकारें: केवल तुष्टिकरण की राजनीति!कांग्रेस और अन्य तथाकथित सेक्युलर पार्टियों ने हिंदू समाज को कभी वोट बैंक नहीं समझा, उन्हें लगा कि हिंदू बंटा रहेगा—जाति, भाषा, क्षेत्र के नाम पर। उन्होंने सिर्फ एक वर्ग को केंद्र में रखकर नीतियां बनाईं।
आज वही दल संघ, मंदिर, कांवड़ यात्रा और साधु-संतों के खिलाफ बोलने वालों को अपना चेहरा बना रहे हैं। यही कारण है कि आज उनकी स्थिति हास्यास्पद बन गई है।
भाजपा और हिंदू पुनर्जागरण?भारतीय जनता पार्टी ही एकमात्र दल है जिसने बिना माफी मांगे, हिंदू धर्म को उसकी गरिमा दी है। चाहे राम मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, चारधाम यात्रा की सुविधाएं, या कांवड़ यात्रा के लिए मेडिकल व ट्रैफिक सेवाएं—यह सब हिंदू समाज को उसका खोया सम्मान वापस देने की दिशा में मजबूत कदम हैं।
आज हर हिंदू घर में मोदी, योगी और धामी जैसे नेताओं का सम्मान इसलिए है क्योंकि उन्होंने कोई तुष्टिकरण नहीं किया, बल्कि हिंदू होने में गर्व महसूस करवाया।
हिंदू: अब याचक नहीं, रक्षक है?अब वह युग चला गया जब हिंदू समाज डर-डर कर जीता था। अब वह संघर्षशील, साहसी और धर्मरक्षक बन चुका है। सोशल मीडिया पर अगर कोई कांवड़ियों के खिलाफ वीडियो डालेगा, तो जवाब मिलेगा। अगर कोई मंदिर तोड़ने की कोशिश करेगा, तो प्रतिरोध होगा।
हमें अब यह तय करना है कि हम कायर हिंदू या चेतनशील हिंदू बनकर रहेंगे। सनातन धर्म कोई आक्रामक पंथ नहीं है, लेकिन जब उस पर हमला होता है, तो वह महाकाल बनता है।
संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!
भारत एक हिंदू बहुल राष्ट्र है और यह कोई अपराध नहीं। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ यह नहीं कि बहुसंख्यकों को दबाया जाए और अल्पसंख्यकों को विशेषाधिकार दिए जाएं। अब समय आ गया है कि “समान नागरिक संहिता” और “समान धार्मिक स्वतंत्रता” का पालन हो।
कांवड़ यात्रा न केवल आस्था का प्रवाह है, यह एक सभ्यतागत आंदोलन है—जिसे अब कोई नहीं रोक सकता।
हर हर महादेव! जय श्री राम! वंदे मातरम्!

