मुजफ्फरनगर कांड 1 अक्टूबर की रात को जघन्य अपराध, बलात्कार, हत्या।पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया और लगभग ढाई सौ से ज्यादा राज्य आंदोलनकारियों को हिरासत में भी ले लिया गया. आंदोलनकारियों पर चली गोली और महिलाओं का हुआ बलात्कार रिपोर्ट के अनुसार,  इस लाठीचार्ज के दौरान कई आंदोलनकारी मौके से भाग गये. वहीं इस आंदोलन करने गईं कई महिलाओं से इस दौरान बलात्कार जैसी घटनाएं भी हुईं. इसी बीच रात को पुलिस को सूचना मिली की 42 बसों में सवार होकर राज्य आंदोलनकारी दिल्ली की ओर फिर रवाना होने की तैयारी में हैं. जिसके बाद रामपुर तिराहे पर एक बार फिर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया. जब 42 बसों में सवार होकर राज्य आंदोलनकारी रामपुर तिराहे पर पहुंचे तो पुलिस और राज्य आंदोलनकारियों के बीच झड़प शुरू हो गई. इस दौरान आंदोलकारियों को रोकने के लिए यूपी पुलिस ने 24 राउंड फायरिंग की, जिसमें सात आंदोलनकारियों की जान चली गई और 17 ज्यादा आंदोलनकारी बुरी तरह घायल हो गए. 2 अक्टूबर 2023 पूरे प्रदेश के अंदर राज्य आंदोलनकारी में आज भी मुजफ्फरनगर कांड को लेकर आक्रोश है। पूरे प्रदेश में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों सामाजिक संगठनों एवं राज्य आंदोलनकारी के द्वारा मुजफ्फरनगर कांड के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।वहीं रुद्रपुर स्थित उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद के द्वारा मुजफ्फरनगर कांड के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। तत्पश्चात गांधी प्रतिमा के समक्ष रुद्रपुर में काली पट्टी बांधकर राज्य आंदोलनकारी ने अपना पूर्व की भांति इस बार भी अपना विरुद्ध दर्ज किया ,राज्य आंदोलनकारी 2 अक्टूबर को काला दिवस मनाते हैं। उत्तराखंड राज्य के इतिहास में सबसे जघन्य अपराध मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहे पर हुआ था। रुद्रपुर में उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष अवतार सिंह बिष्ट के अध्यक्षता में कल पट्टी बांधकर विरोध किया, जिसमें विभिन्न राजनीतिक पार्टियों, समाज सेवी एवं राज्य आंदोलनकारी ने मुजफ्फरनगर कांड की याद को ताज किया व गुनहगारों को फांसी देने की मांग की,।। जब तक सूरज चांद रहेगा उत्तराखंड के शहीदों का नाम रहेगा।। कार्यक्रम में स्वतंत्रता, संग्राम सेनानी आश्रित श्रीमान मनोहर लोहनी, उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद द्वारा आयोजित मुजफ्फरनगर कांड के हत्यारों को फांसी दो, काला दिवस , रुद्रपुर गांधी प्रतिमा के समक्ष,अपने विचार व्यक्ति किए। देवभूमि पलायन एवं बेरोजगारी उन्मूलन समिति अध्यक्ष अनिल जोशी, नगर निगम रुद्रपुर उधम सिंह नगर पार्षद मोहनखेड़ा ,नगर निगम रुद्रपुर उधम सिंह नगर पार्षद वार्ड नंबर 40 राजेश कुमार, सीपी शर्मा, भूपेश सोनी, दीपक कुमार अरोड़ा, हिमांशु गाबा, शहर समाज के और भी कई गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में उपस्थित थे आपको अवगत करा दें आज अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की तरफ से राष्ट्रपिता महात्मागांधी प्रतिमा के समक्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री की जयंती गांधी प्राप्त पार्क रूद्रपुर में धूमधाम से मनाई गई ।सभी लोगों ने एक स्वर में राज्य आंदोलन व उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मुजफ्फरनगर कांड की निंदा की, उत्तराखंड राज्य आंदोलनरीकायो के प्रति सहानुभूति व्यक्ति की क्या-क्या कहा आप खुद सुनिए

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मुजफ्फरनगर गोली कांड : जब मुलायम सरकार में उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों चली थी अंधाधुंध गोलियां उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार 8 अक्टूबर को निधन हो गया. मुलायम सिंह यादव ने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली और उसके अगले दिन राजकीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गयी. वैसे तो मुलायम सिंह यादव की जिंदगी से जुड़े कई सारे किस्से हैं जो उन्हें महान बनाते हैं लेकिन इन सबके बीच एक ऐसा किस्सा है जिसकी वजह से उत्तराखंड के लोगों के दिलों में मुलायम सिंह यादव की छवि एक खलनायक की है. मुलायम सिंह यादव की वजह से अब घर पहुँचता है शहीद सैनिकों का शव जानिए क्या था मुजफ्फरनगर गोली कांड 02 अक्टूबर 1994 को मुजफ्फरनगर गोली कांड हुआ था और इस गोली कांड में उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों पर  अंधाधुंध गोलियां चलाईं गईं थी और इस गोलीकांड में कई आंदोलनकारियों की मौत हो गयी थी । दरअसल, उत्तराखंड के लोग यूपी से अलग होकरनए राज्य की मांग कर रहा था और इसके पक्ष में मुलायम नहीं थे। उत्तराखंड के आंदोलनकारी जा रहे थे दिल्ली नए राज्य की स्थापना के लिए उत्तराखंड राज्य के आंदोलनकारियों ने दिल्ली जाने का फैसला किया. जिसके बाद पर्वतीय क्षेत्र की अलग-अलग जगहों से 24 बसों में सवार होकर 1 अक्टूबर को सभी आंदोलनकारी दिल्ली के लिए रवाना हुए. देहरादून से आंदोलनकारियों के रवाना होते ही इनको रोकने की कोशिश की जाने लगी. इस दौरान पुलिस ने रुड़की के गुरुकुल नारसन बॉर्डर पर नाकाबंदी की, लेकिन आंदोलनकारियों की जिद के आगे प्रशासन ने घुटने टेकने पड़े और फिर आंदोलनकारियों दिल्ली की और बढे. आंदोलनकारियों पर हुआ लाठीचार्ज  दिल्ली की और बढ़ते हुए मुजफ्फरनगर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रामपुर तिराहे पर रोकने की योजना बनाई और पूरे इलाके को सील कर दिया और उस दौरन आंदोलनकारियों को रोक दिया गया जिसके बाद पुलिस और राज्य आंदोलनकारियों ने सड़क पर नारेबाजी शुरू कर दी तो अचानक यहां पथराव शुरू हो गया और पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया और लगभग ढाई सौ से ज्यादा राज्य आंदोलनकारियों को हिरासत में भी ले लिया गया. आंदोलनकारियों पर चली गोली और महिलाओं का हुआ बलात्कार रिपोर्ट के अनुसार,  इस लाठीचार्ज के दौरान कई आंदोलनकारी मौके से भाग गये. वहीं इस आंदोलन करने गईं कई महिलाओं से इस दौरान बलात्कार जैसी घटनाएं भी हुईं. इसी बीच रात को पुलिस को सूचना मिली की 42 बसों में सवार होकर राज्य आंदोलनकारी दिल्ली की ओर फिर रवाना होने की तैयारी में हैं. जिसके बाद रामपुर तिराहे पर एक बार फिर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया. जब 42 बसों में सवार होकर राज्य आंदोलनकारी रामपुर तिराहे पर पहुंचे तो पुलिस और राज्य आंदोलनकारियों के बीच झड़प शुरू हो गई. इस दौरान आंदोलकारियों को रोकने के लिए यूपी पुलिस ने 24 राउंड फायरिंग की, जिसमें सात आंदोलनकारियों की जान चली गई और 17 ज्यादा आंदोलनकारी बुरी तरह घायल हो गए. मुजफ्फरनगर कांड के बाद आन्दोलन ने पकड़ा जोर मुजफ्फरनगर कांड के बाद उत्तर प्रदेश से अलग राज्य की मांग की आग तेज हो गयी. मुजफ्फरनगर कांड के बाद राज्य आंदोलनकारियों और प्रदेश के लोगों में गुस्सा था जिसके बाद राज्य की मांग को लेकर प्रदेश भर में धरना और विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. वहीँ इस कांड के बाद तेजी से भड़क रही आंदोलन की आग को देखते हुए करीब 6 साल तक आंदोलनकारियों के संघर्ष का ही नतीजा रहा कि सरकारों को इस मामले में गंभीरता से विचार करना पड़ा और 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड उत्तर प्रदेश से अलग हो गया है और नए राज्य की स्थापना हुई. मुलायम बन गये खलनायक वहीँ जब ये कांड हुआ तब मुलायम की सरकार थी और इसी मुजफ्फरनगर कांड के बाद सत्ता को पलट कर रख दिया और मुलायम उत्तराखंड के लोगों के लिए खलनायक बन गए। इसके बाद समाजवादी पार्टी कभी भी पहाड़ में अपनी सरकार नहीं बना पायी. वहीं 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का गठन हुआ लेकिन राज्य आंदोलन का जख्म अभी भी जिंदा है.।।
तिराहे पर एक बार फिर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। जब 42 बसों में सवार होकर राज्य आंदोलनकारी रामपुर तिराहे पर पहुंचे तो पुलिस और राज्य आंदोलनकारियों के बीच झड़प शुरू हो गई। इस दौरान आंदोलकारियों को रोकने के लिए यूपी पुलिस ने 24 राउंड फायरिंग की, जिसमें सात आंदोलनकारियों की जान चली गई और 17 राज्य आंदोलनकारी बुरी तरह घायल हो गए।
मुजफ्फरनगर कांड के बाद उत्तर प्रदेश से अलग राज्य की मांग ने और जोर पकड़ लिया क्योंकि मुजफ्फरनगर में हुई बर्बरता के बाद राज्य आंदोलनकारियों और प्रदेश के लोगों में गुस्सा भड़क गया था। राज्य की मांग को लेकर प्रदेश भर में धरना और विरोध प्रदर्शनों का दौर चलने लगा। आंदोलन की आग इस कदर भड़की कि युवाओं, बुजुर्गों के साथ-साथ स्कूली बच्चे भी आंदोलन की आग में कूद पड़े थे। रामपुर में हुए तिराहा कांड के बाद करीब 6 साल तक आंदोलनकारियों के संघर्ष का ही नतीजा रहा कि सरकारों को इस मामले में गंभीरता से विचार करना पड़ा और 9 नवंबर, 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग राज्य उत्तरांचल बना। बाद में नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया।


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