
इस दिन महिलाएं माता पार्वती की उपासना करती हैं और अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य की कामना के साथ यह व्रत रखती हैं.


मंगला गौरी व्रत की कथा न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है बल्कि यह विश्वास, आस्था और संकल्प की सजीव मिसाल भी है. माता गौरी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस व्रत की कथा सुनना अथवा पढ़ना अत्यंत फलदायी माना जाता है. आइए जानते हैं इस चमत्कारी व्रत की संपूर्ण पौराणिक कथा.
एक साहूकार की संतानहीनता और साधु का समाधान
एक छोटे गांव में एक धनी साहूकार अपनी पत्नी के साथ रहता था। धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं थी, फिर भी वह संतान की कमी से दुखी रहते थे। एक दिन एक साधु उनके घर आए। साहूकार ने अपनी व्यथा बताई, तो साधु ने साहूकार की पत्नी को सावन के मंगलवारों पर मंगला गौरी व्रत करने की सलाह दी.
व्रत की शुरुआत और माता की कृपा
साहूकार की पत्नी ने श्रद्धा से व्रत करना आरंभ किया। उसने सावन के पहले मंगलवार से नियमित रूप से व्रत और पूजन करना शुरू किया। उसकी निष्ठा और भक्ति से माता पार्वती प्रसन्न हुईं और भगवान शिव से संतान का वरदान देने का अनुरोध किया.
स्वप्न में मिला संकेत और आम का चमत्कार
रात में साहूकार को स्वप्न आया कि एक आम के पेड़ के नीचे भगवान गणेश की मूर्ति है, और उस पेड़ से आम तोड़कर पत्नी को खिलाने से संतान की प्राप्ति होगी। साहूकार ने पेड़ ढूंढा और आम तोड़ा, पर एक पत्थर गलती से गणेश प्रतिमा पर लग गया। भगवान गणेश क्रोधित हो गए और श्राप दिया कि संतान तो मिलेगी, लेकिन उसकी आयु केवल 21 वर्ष होगी.
पुत्र का जन्म और भविष्य की चिंता
साहूकार ने सपने की बात छुपाकर आम अपनी पत्नी को खिला दिया। कुछ समय में उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। वह बड़ा होकर व्यापार में पिता का हाथ बंटाने लगा, लेकिन साहूकार बेटे की अल्पायु को लेकर सदैव चिंतित रहने लगा.
दो कन्याओं की बातचीत और विवाह का प्रस्ताव
एक दिन साहूकार अपने पुत्र के साथ भोजन कर रहा था तभी दो कन्याएं कमला और मंगला वहां कपड़े धोने आईं। कमला ने मंगला को मंगला गौरी व्रत रखने की सलाह दी। साहूकार ने उनकी बात सुनी और सोचा कि जो कन्या यह व्रत करती है, वह उसके पुत्र के लिए उपयुक्त जीवनसंगिनी होगी। उन्होंने विवाह का प्रस्ताव रखा और विवाह संपन्न हुआ.
कमला की भक्ति और माता पार्वती की कृपा
कमला ने विवाह के बाद भी मंगला गौरी व्रत करना जारी रखा। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और उसके पति की अल्पायु के रहस्य को बताया। उन्होंने कहा कि अगले मंगलवार को एक सर्प उसके पति की जान लेने आएगा और उपाय भी बताया.
संकट का समाधान और जीवनदान
कमला ने माता पार्वती के निर्देशों का पालन किया एक प्याले में मीठा दूध और पास में एक मटकी रखी। सर्प दूध पीकर मटकी में चला गया और कमला ने उसे कपड़े से ढककर जंगल में रख दिया। इस उपाय से कमला का पति मृत्यु से बच गया और श्राप से मुक्ति मिली.
सुखद अंत और आस्था की विजय
इस चमत्कार के बाद पूरे परिवार में हर्ष का माहौल बन गया। साहूकार और उसकी पत्नी ने पुत्र और बहू को आशीर्वाद दिया और वे सभी सुखपूर्वक जीवन बिताने लगे। यह कथा मंगला गौरी व्रत की महिमा को दर्शाती है कि सच्ची आस्था और श्रद्धा से हर संकट को मात दी जा सकती है.

