आज गांधी प्रतिमा के समक्ष उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद के बैनर तले मुजफ्फरनगर कांड के हत्यारे को फांसी दो उत्तराखंड राज्य आंदोलन के सहिद अमर रहे। महात्मा गांधी अमर रहे। लाल बहादुर शास्त्री अमर रहे। उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मुजफ्फरनगर कांड को लेकर सांकेतिक धरना दिया गया। तत्पश्चात उत्तराखंड राज्य आंदोलन एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर प्रकाश डाला गया ।नगर निगम रूद्रपुर उधम सिंह नगर पार्षद मोहनखेड़ा , नगर निगम पार्षद वार्ड नंबर 40 राजेश अरोड़ा, उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद के अध्यक्ष हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स अवतार सिंह बिष्ट, देवभूमि पलायन एवं बेरोजगारी उन्मूलन समिति के अध्यक्ष अनिल जोशी, आदि ने श्रद्धा सुमन अर्पित करने के उपरांत हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स में क्या कुछ कहा आप भी सुनिए।

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उत्तराखंड राज्य मिला पर राज्य बनने के 23 साल बाद भी शहीदों और आंदोलनकारियों के सपने अधूरे हैं। राज्य आंदोलनकारी बताते हैं कि अलग राज्य बनने के बाद पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होगी, रोजगार मिलेगा, पलायन रुकेगा, बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य की कल्पना पूरी होगी। इसके लिए युवाओं ने अपनी शहादत दी, लेकिन आज भी समस्याएं जस की तस हैं। प्रदेश की स्थायी राजधानी तक तय नहीं हो पायी है न ही मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को सजा मिली। जिससे शहीदों परिजन और आंदोलनकारी आहत हैं। 

राज्य आंदोलनकारियों एवं शहीदों का सपना था कि राज्य बनेगा तो हम सरकार के नजदीक होंगे, इससे हमारी सभी समस्याएं दूर होंगी, शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति सुधरेगी, 85 फीसदी पहाड़ी भू-भाग वाले राज्य की राजधानी पहाड़ में होगी, युवाओं को रोजगार मिलेगा, पलायन रुकेगा, लेकिन प्रदेश में हजारों स्कूल बंद हो गए। जबकि स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है।

आंदोलनकारियों एवं शहीदों के सपने, सपने बनकर रह गए हैं। जिससे आंदोलनकारी यह महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने राज्य बनाकर कहीं गलत तो नहीं किया। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद अध्यक्ष अवतार सिंह बिष्ट के मुताबिक दो अक्तूबर के दिन को काला दिवस के रूप में मनाते है। इस दिन रामपुर मुजफ्फरनगर में जो कुछ हुआ उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस दिन शांतिपूर्वक तरीके से दिल्ली जा रहे आंदोलनकारियों पर लाठी, डंडे बरसाए गए, गोलियां चलाई गई।

शहीद परिजनों और आंदोलनकारियों को है न्याय की आस 

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अवतार सिंह बिष्ट ने कहा कि उस दौरान महिलाओं की अस्मिता से खिलवाड़ किया गया। उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन पर हमारा अधिकार होगा, शराब बंद होगी आदि कई सपनों को लेकर आंदोलनकारियों ने अलग राज्य की मांग की। खासकर महिलाओं के इस संघर्ष की बदौलत राज्य तो मिला, लेकिन शहीदों और आंदोलनकारियों के सपने आज भी अधूरे हैं।

उन्होंने कहा कि इससे बड़ी हैरानी की बात क्या होगी कि राज्य गठन के 23 साल बाद भी उत्तर प्रदेश से परिसंपत्तियों का बंटवारा नहीं हो पाया है। प्रदेश में नौकरियों के नाम पर युवाओं को आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से रखा जा रहा है। जबकि मुजफ्फरनगर कांड के दोषियों को आज तक सजा नहीं मिल पायी है। 

राज्य आंदोलनकारी और शहीदों के परिजन मुजफ्फरनगर कांड के वर्षों बाद भी न्याय की आस लगाए हैं। लॉयर्स फोरम के अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रमन शाह के मुताबिक मुजफ्फरनगर कांड से जुड़े मामले की सुनवाई मुफ्फरनगर और लखनऊ न्यायालय में विचाराधीन है। हमें उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा। यह उत्तराखंड की अस्मिता से जुड़ा मामला है। महिलाओं और शहीद परिजनों को न्याय मिलेगा।


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