रुद्रपुर। उत्तराखंड की प्राचीन परंपराओं और पर्वतीय संस्कृति को जीवंत रखने के उद्देश्य से उत्तराखंड शैल सांस्कृतिक समिति रुद्रपुर शैल परिषद के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को शैल भवन, गोलू महाराज मंदिर परिसर में जान्यो पुण्यों महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। कार्यक्रम में रुद्रपुर समेत आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रवासी पर्वतीय समाज के लोग, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर



वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरुआत?सुबह गोलू महाराज मंदिर प्रांगण में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पवित्र स्नान, ऋषि-तर्पण और यज्ञोपवीत (जनेऊ) परिवर्तन की रस्में संपन्न हुईं। पंडितों ने प्रतिभागियों को रक्षा सूत्र बांधते हुए पारंपरिक मंत्रों का उच्चारण किया। बच्चों को विशेष आशीर्वाद मंत्र के साथ कलावा बांधा गया।
परंपरा और आस्था का संगम?इस मौके पर पर्वतीय अंचलों में प्रचलित जान्यो पुण्यों की कथा, राजा बलि-वामन अवतार प्रसंग और इंद्राणी द्वारा इंद्र की रक्षा कथा का वाचन किया गया। महिलाओं ने एक-दूसरे को कलावा बांधकर मंगलकामनाएं दीं, वहीं पुरुषों ने जनेऊ बदलने की रस्म निभाई।

परिषद अध्यक्ष और महामंत्री के विचार?शैल परिषद के अध्यक्ष गोपाल सिंह पटवाल ने कहा,
“जान्यो पुण्यों केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति की जड़ों से जुड़ने और आने वाली पीढ़ी को अपने संस्कार देने का माध्यम है। रुद्रपुर में यह परंपरा पर्वतीय एकता का प्रतीक बन चुकी है।”
परिषद के महामंत्री दिवाकर पांडे ने कहा,
गोलू महाराज के आशीर्वाद से हर साल यह आयोजन हमें अपनी विरासत याद दिलाता है। हमारी कोशिश है कि नई पीढ़ी भी इन रस्मों का महत्व समझे और इन्हें आगे बढ़ाए।”

सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए?महोत्सव में पारंपरिक गीत-संगीत की प्रस्तुतियों ने वातावरण को और भी उल्लासमय बना दिया। कार्यक्रम का संचालन परिषद के वरिष्ठ सदस्यों ने किया और अंत में सभी को प्रसाद एवं जनेऊ,रक्षा धागा,फल ,फूल वितरित किया गया।
कार्यक्रम में अध्यक्ष गोपाल सिंह पटवाल, महामंत्री श्री दिवाकर पांडे, चन्द्र वल्लभ, कोषाध्यक्ष डी0के0 दनाई, राजेंद्र बोरा, दिनेश बम, हरीश दनाई, धीरज पांडे, जगदीश बिष्ट, भारत जोशी,राजेंद्र बोरा, सतीश लोहनी ,मोहन चंद्र उपाध्याय ,सतीश ध्यानी, त्रिभुवन जोशी , के के मिश्रा, हरिशचंद्र मिश्रा,श्रीमती सुधा पटवाल, श्रीमती विनीत पांडे, शालिनी बोहरा , महेश कांडपाल,श्रीमती नीलम कांडपाल,श्रीमती श्रीमती भगवती, श्रीमती आशा लोहनी, श्रीमती भगवती मेहरा, श्रीमती सुनीता पांडे, श्रीमती बीना लखेड़ा, श्रीमती सुधा जोशी, श्रीमती लीला दनाई , श्रीमती श्रीमती चंद्रा बम,आदि लोगों को उपस्थित थे।

इस आयोजन ने यह साबित किया कि चाहे हम मैदानी क्षेत्रों में रहें, लेकिन हमारी जड़ें, हमारी संस्कृति और हमारे संस्कार अब भी पर्वतों की तरह अटल हैं।

