महत्वपूर्ण नए आयकर विधेयक, 2025 के पारित होने के बाद, लोकसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई. निर्मला सीतारमण ने सोमवार को सलेक्ट कमेटी की लगभग सभी सिफारिशों को शामिल करने के बाद रिवाइज्ड इनकम टैक्स विधेयक पेश किया.✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)


वित्त मंत्री ने कहा कि रिवाइज्ड इनकम टैक्स विधेयक 2025 का उद्देश्य आयकर से संबंधित कानूनों को कंसोलिडेट और संशोधित करना है और यह आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा. मौजूदा अधिनियम को बदलने लिए, विधेयक को राज्यसभा द्वारा पारित किया जाना आवश्यक है और फिर राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त की जाएगी.
ध्वनिमत से पारित हुआ बिल
रिवाइज्ड इनकम टैक्स विधेयक 2025 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है कि सलेक्ट कमेटी की लगभग सभी सिफारिशें सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गई हैं. इसके अलावा, हितधारकों से ऐसे बदलावों के बारे में सुझाव प्राप्त हुए हैं जो प्रस्तावित कानूनी अर्थ को और अधिक सटीक रूप से व्यक्त करेंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गया यह विधेयक, बिहार में मतदाता सूची में संशोधन को लेकर विपक्ष के जोरदार विरोध के बीच बिना किसी बहस के पारित हो गया. इन विधेयकों को ध्वनिमत से पारित करने के बाद, लोकसभा की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई.
आयकर विधेयक, 2025 में क्या बदलाव हुए हैं?
भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसद की सलेक्टर कमेटी ने आयकर विधेयक, 2025 के पुराने वर्जन में कई बदलावों की सिफारिश की थी.
ड्राफ्टिंग, फ्रेज का अलाइमेंट, परिणामी परिवर्तनों और क्रॉस-रिफ्रेंसिंग में सुधार किए गए हैं. इसलिए, सलेक्टर समिति की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने आयकर विधेयक, 2025 को वापस लेने का निर्णय लिया है. आयकर अधिनियम 1961 के स्थान पर आयकर (संख्या 2) विधेयक 2025 तैयार किया गया है.
सलेक्ट कमेटी ने टैक्स व्यवस्था को आसान बनाने और इनकम टैक्स कानून को सरल एवं स्पष्ट बनाने पर केंद्रित 285 सिफारिशें पेश कीं. संसदीय समिति ने अपनी 4,584 पन्नों की रिपोर्ट में कुल 566 सुझाव/सिफारिशें प्रस्तुत कीं.
इनकम टैक्स रिफंड से जुड़ा बदलाव
सलेक्ट कमेटी द्वारा सुझाए गए बदलावों में से एक इनकम टैक्स रिफंड से संबंधित है, जो उस प्रावधान को हटाने का प्रयास करता है जो नियत तिथि के बाद आईटीआर दाखिल करने पर रिफंड से इनकार करता है. विधेयक के पुराने वर्जन में रिफंड चाहने वाले व्यक्ति को नियत तिथि के भीतर आईटीआर दाखिल करना आवश्यक था.
सलेक्ट कमेटी द्वारा सुझाया गया एक अन्य बदलाव धारा 115BAA के तहत विशेष दर का लाभ उठाने वाली कंपनियों के लिए इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर धारा 80M कटौती (नए विधेयक के खंड 148 के तहत) है.
समिति ने नए आयकर विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में टैक्सपेयर्स को जीरो टीडीएस सर्टिफिकेट प्राप्त करने की अनुमति देने का भी सुझाव दिया.़
अन्य बड़े बदलाव
हाउस प्रॉपर्टी वैल्यूएशन स्पष्टता: विवादों से बचने के लिए ‘सामान्य क्रम में’ शब्द को हटा दिया गया है, तथा टैक्सेशन वास्तविक या अनुमानित किराये में से जो अधिक हो, उसके आधार पर किया जाएगा.
कटौती के स्पष्ट नियम: नगरपालिका टैक्सेज के बाद 30 फीसदी का स्टैंडर्ड डिडक्शन लागू होगा. स्वयं के कब्जे वाली तथा किराये पर दी गई दोनों संपत्तियों के लिए निर्माण-पूर्व ब्याज कटौती की अनुमति होगी.
समान पेंशन कटौती: परिवर्तित पेंशन कटौती का विस्तार गैर-कर्मचारियों तक भी किया गया.
कमर्शियल प्रॉपर्टी में टैक्स निर्धारण में सुधार: शब्दावली में बदलाव किया गया है ताकि अस्थायी रूप से अप्रयुक्त व्यावसायिक परिसरों पर काल्पनिक किराये पर टैक्स न लगाया जाए.
धारा 19 अब स्पष्ट रूप से परिवर्तित पेंशन की पूरी राशि को टैक्स कटौती के रूप में दावा करने की अनुमति देती है. यदि यह राशि अनुसूची VII में लिस्ट एलआईसी पेंशन फंड जैसे निर्दिष्ट फंड्स से प्राप्त की गई हो. यह गैर-कर्मचारियों पर भी लागू होता है, जिससे वे टैक्स उद्देश्यों के लिए कर्मचारियों के बराबर हो जाते हैं.

