
हालांकि सरकार के पास संवैधानिक संशोधन को पास कराने के लिए संसद में दो तिहाई बहुमत नहीं है, ऐसे में यह कैसे पास होगा. आखिर इसके पीछे एनडीए सरकार की मंशा क्या है?


✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)
130वें संशोधन को लेकर जिस जेपीसी का गठन किया जाएगा, उसका कार्यकाल आगामी सत्र यानि शीतकालीन सत्र के पहले हफ्ते के आखिरी दिन तक रखा गया है यानि करीब 3 महीने में इस समिति को अपनी रिपोर्ट संसद के सामने रखना होगा.
कैसे सरकार पास करवाएगी बिल
चूंकि यह एक संविधान संशोधन बिल है लिहाजा इसे पास करवाने के लिए संसद के दोनों सदनों (लोकसभा- राज्यसभा) में दो तिहाई बहुमत होना आवश्यक होगा. मोदी सरकार के पास दो तिहाई बहुमत संसद के दोनों सदनों में नहीं है.
अब सवाल यह उठता है कि संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत नहीं होने के बावजूद संविधान के 130वें संशोधन बिल को केंद्र सरकार कैसे पास करवा पाएगी. आखिरकार केंद्र सरकार को इस बिल को लाने के पीछे मंशा क्या है? यहां तक की एनडीए के घटक दल जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) का रूख भी अभी इस बिल को लेकर पूरी तरह से साफ नहीं है.
बिल को JPC में भेजना सही- जेडीयू सूत्र
जेडीयू से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस बिल को लेकर अभी पार्टी फोरम के अंदर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से चर्चा की जाएगी. साथ ही जेडीयू का यह भी मानना है कि केंद्र सरकार ने इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति के सामने भेज कर अच्छा काम किया है, इस दरमियान सभी को इस बिल की बारीकियों के बारे में पढ़ने और समझने का पर्याप्त मौका मिलेगा.
जेडीयू सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि इस बिल से किसी भी ईमानदार राजनेता को नुकसान नहीं है, लेकिन जो लोग राजनीति में भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं, उनके लिए दिक्कत है इस बिल के आने से दिक्कत लालू प्रसाद यादव के परिवार को हो सकती है जबकि जेडीयू के किसी नेता को नहीं.
TDP ने अब तक नहीं खोले अपने पत्ते
हालांकि केंद्र की एनडीए सरकार में अहम सहयोगी टीडीपी ने इस बिल को लेकर अभी तक किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. टीडीपी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से अभी पार्टी के अंदर बात होगी.
मुख्यमंत्री नायडू आज रात दिल्ली आ रहे हैं, कल वो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात करेंगे. दिल्ली प्रवास के दौरान चंद्रबाबू की मुलाकात गृह मंत्री अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी से भी हो सकती है, इस दौरान इस बिल पर भी चर्चा होने की संभावना है.
तो बिल लाने का केंद्र का क्या मकसद
बहरहाल, केंद्र सरकार से जुड़े लोगों का मानना है कि यह जरूरी नहीं की सरकार द्वारा लाए गए हर बिल पास ही हो, लेकिन इससे देश और समाज के सामने एक स्पष्ट संदेश भी जाता है.
सरकार का मानना है कि इस बिल के जरिए राजनीति में भ्रष्टाचार का समर्थन करने वाले और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने वाले साफ-साफ दिखेंगे, लिहाजा ऐसे बिल सिर्फ इस डर से नहीं ले आया जाए कि केंद्र सरकार के पास सदन में पर्याप्त नंबर नहीं है तो वह लोकतंत्र के लिए सही नहीं होगा. यदि यह बिल पास नहीं भी होता है तो भी देश के इतिहास में ये दर्ज होगा कि कैसे एक सही मानस से लाए गए बिल को भ्रष्टाचार के समर्थन करते हुए राजनीतिक दलों ने रोका और पास नहीं होने दिया.

