
रुद्रपुर। नगर निगम रुद्रपुर के मेयर विकास शर्मा पर गंभीर आरोप लगाते हुए समाजसेवी केपी गंगवार ने घोषणा की है कि अब उनके खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जाएगी। गंगवार का कहना है कि मेयर विकास शर्मा उन्हीं गरीब बस्तीवासियों का उत्पीड़न कर रहे हैं जिनके वोटों से वे चुनाव जीतकर मेयर बने थे।


✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
केपी गंगवार ने आरोप लगाया कि मेयर ने उच्च न्यायालय के आदेश को जनता के सामने तोड़-मरोड़कर पेश किया और 1980 से किच्छा रोड, रम्पुरा में स्थित मां काली व बाबा भैरवनाथ मंदिर को ध्वस्त करवा दिया, जबकि वहीं पर चंद्रदेव मंदिर का निर्माण कार्य जारी है।
उन्होंने बताया कि स्वयं मेयर विकास शर्मा, रामपाल सिंह व अन्य लोगों ने वार्ड नंबर 12 स्थित शैलजा फॉर्म (खसरा संख्या 66, 67, 68) की करोड़ों की नजूल भूमि पर कब्जा कर रखा है और यहां नीलकंठ धाम के नाम से निर्माण कराया गया है। नगर निगम ने वर्ष 2021 में उन्हें कब्जा हटाने का नोटिस भी दिया था। इसके अलावा वर्ष 2013 में यहां से लाखों रुपये मूल्य के पेड़ कटवाकर गायब करने का मुकदमा भी दर्ज हुआ था। बावजूद इसके, निगम चुनाव में उन्होंने शपथ पत्र में सरकारी जमीन पर कब्जा न होने की झूठी घोषणा की।
गंगवार ने सवाल उठाया कि जब शहर की 80 प्रतिशत जनता नजूल भूमि पर बसी हुई है और गरीब बस्तियों में बिजली कनेक्शन, राशन कार्ड जैसी बुनियादी सुविधाएं बंद कर दी गई हैं, तो शैलजा फार्म पर सभी सुविधाएं किस आधार पर उपलब्ध हैं?
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मेयर गरीबों के खिलाफ तो कठोर कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन पूंजीपतियों पर मेहरबान हैं। काशीपुर बायपास खाली करने का वर्षों पुराना न्यायालय का आदेश लंबित है, मगर उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बजाय मेयर मुख्यमंत्री से वहां राहत देने की मांग कर रहे हैं।
गंगवार ने साफ कहा कि किच्छा रोड के नजूल भूखंड को लेकर मेयर द्वारा हाईकोर्ट के आदेश का हवाला गलत तरीके से दिया जा रहा है। दरअसल, उन्होंने स्वयं मुकदमा वापस लिया था ताकि नजूल नीति पर आगे कार्रवाई हो सके।
गंगवार ने कहा कि मुख्यमंत्री के नाम पर मेयर ने नगर निगम में कई कार्य नियम विरुद्ध कराए हैं। अब समय आ गया है कि इन सभी मामलों में न्यायालय की शरण ली जाए। इसी के तहत शैलजा फॉर्म की नजूल भूमि खाली कराने व नगर निगम की अनियमितताओं पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जाएगी।

