इन दवाओं का निर्माण कोई भी कंपनी करे, लेकिन उनकी कीमतें केंद्र की ओर से तय किए गए मूल्य से अधिक नहीं हो सकती। कोविड काल में देशभर में कई कंपनियों की दवाएं कई अधिक दामों पर बेचे जाने की शिकायत मिली थी।
उसके बाद केंद्र ने सभी राज्यों को ड्रग प्राइस कंट्रोल यूनिट गठित करने के निर्देश दिए थे। ड्रग कंट्रोलर ताजबर जग्गी ने बताया कि यह यूनिट लोगों को जागरूक करने के साथ ही राज्य के अलग अलग स्थानों पर छापेमारी भी कर सकेगी। जल्द ही इसका एक ट्रोल फ्री नंबर भी जारी किया जाएगा जहां लोग दवा कीमतों को लेकर शिकायत भी दर्ज करा सकेंगे। हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, अवतार सिंह बिष्ट ,जर्नलिस्ट फ्रॉम उत्तराखंड, अध्यक्ष ,उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी परिषद
दवाओं की कीमतें
एम्लोडिपिन की पांच एमजी की एक गोली ढ़ाई रुपए, एमोक्सिलिन 500 एमजी की एक कैप्सूल 7.35 रुपए, एंटी रैबीज इंजेक्शन 300 एमएल 121.76 रुपए, एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी टैबलेट 23.56 रुपए, बीसीजी वैक्सीन की एक डोज 11.12 रुपए, कैल्सियम कार्बोनेट 500 एमजी की एक टैबलेट 2.15 रुपए, मेटफॉरमिन 500 एमजी टैबलेट 2.01 रुपए तय की गई है। इसी तरह अन्य दवाओं के लिए भी कीमतें तय की गई है।
मोबाइल एप से पता की जा सकती है दवाओं की कीमत
उत्तराखंड में गठित ड्रग प्राइस कंट्रोल यूनिट की ओर से सोमवार को खाद्य एवं संरक्षा विभाग के कार्यालय में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मोबाइल पर फार्मा सही दाम एप और फार्मा जन समाधान एप डाउनलोड कर दवाओं की कीमत जानने के तरीके बताए गए।
ड्रग प्राइस कंट्रोल यूनिट की समन्वयक डॉ मीनाक्षी भट्ट ने अपील की कि वे अधिक कीमतों की शिकायत एफडीए कार्यालय में कर सकते हैं। ड्रग कंट्रोलर ताजबर जग्गी, सहायक औषधि नियंत्रक डॉ सुधीर कुमार, वरिष्ठ औषधि निरीक्षक नीरज कुमार, अन्वेषक अंकिता डंडरियाल, नीलम नौडियाल सहित अनेक कर्मचारी मौजूद रहे।