
इस युग में संसार उसी अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार है। यह हमारी पीढ़ी के स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमें संघ की शताब्दी जैसा महान अवसर देखने को मिल रहा है। इस अवसर पर मैं करोड़ों स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं देता हूं। पीएम मोदी ने आरएसएस के शताब्दी उत्सव के आयोजन के दौरान कहा कि संघ के लोगों ने बड़े अत्याचार सहे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों और निजाम के हाथों आरएसएस के लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आरएसएस के राष्ट्र प्रथम के भाव से उन लोगों को दिक्कत थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस दौरान आरएसएस के शताब्दी वर्ष के सम्मान में 100 का सिक्का भी जारी किया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है, जब भारतीय करेंसी में भारत माता का चित्र है। आजादी के बाद अब तक भारतीय करेंसी में कभी भारत माता का चित्र नहीं लगा था। पीएम मोदी ने कहा कि इस सिक्के में आरएसएस का ध्येय वाक्य भी लिखा हुआ है, ‘राष्ट्राय स्वाहा, इंद राष्ट्राय, इदं न मम।’ इसका अर्थ है- सब कुछ राष्ट्र को समर्पित है। सब कुछ राष्ट्र का है, मेरा कुछ नहीं है।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि यह अविरल तपस्या का फल है और राष्ट्र प्रवाह प्रबल है। मोदी ने आगे कहा कि आरएसएस से जुड़े विभिन्न संगठन समाज के विभिन्न वर्गों के बीच काम करते हैं। इसके बाद भी कभी कोई मतभेद नहीं रहे। कभी किसी के बीच टकराव नहीं हुआ। इसकी वजह यही रही कि सबका उद्देश्य एक ही है- राष्ट्र प्रथम। उन्होंने कहा कि आरएसएस के लोग आजादी के आंदोलन में जेल गए थे। इसके अलावा स्वतंत्रता सेनानियों को उन्होंने शरण भी दी थी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार भी जेल गए थे और उनके साथ कई अन्य लोग भी थे।
अंग्रेजों और निजामों ने स्वयंसेवकों पर अत्याचार किए गए
प्रधानमंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र के चिमूर में 1942 में जब अंग्रेजों के आंदोलन हुआ था, तब अंग्रेजों ने स्वयंसेवकों पर भीषण अत्याचार किए। इसके बाद जब आजादी मिली तो स्वयंसेवकों को निजाम के शासन में अत्याचार झेलने पड़े। इसके अलावा आरएसएस के लोगों ने गोवा और दादर एवं नागर हवेली के मुक्ति संग्राम में भी योगदान दिया था। पीएम मोदी ने कहा कि ये सारे काम आरएसएस ने सिर्फ एक ही उद्देश्य से किए कि राष्ट्र प्रथम है।


