रुद्रपुरा में पुतलों की राजनीति — चुनावी ‘प्री-वार’ का आगाज या जनता के सब्र का इम्तिहान?रुद्रपुर की सियासत अब ‘नेटफ्लिक्स’ से कम नहीं — हर दिन नया एपिसोड!”✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर

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रुद्रपुरा के रमपुर क्षेत्र में बीते दो दिनों से जो दृश्य देखने को मिला, उसने स्थानीय राजनीति की धूल झाड़ दी है — और भीतर की ‘आग’ को सबके सामने ला खड़ा किया है। पहले पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल का पुतला फूंका गया, फिर कुछ ही घंटे बाद वर्तमान विधायक शिव अरोड़ा का भी। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही पक्षों ने पुलिस थाने तक पहुंचकर एक-दूसरे के खिलाफ तहरीरें दे डालीं। ऐसा लग रहा है मानो 2027 का विधानसभा चुनाव अभी से ‘ट्रेलर’ के रूप में शहर की गलियों में उतर आया हो।

रमपुरा की गलियों में इन दिनों केवल धुआं नहीं उठ रहा, बल्कि राजनीति के तवे पर ‘पकवान’ भी पक रहे हैं — और जनता उस पर मसाला डालकर ‘एंजॉय’ कर रही है। कहा जा सकता है कि रुद्रपुर की राजनीति अब पूरी तरह से ‘मनोरंजन मोड’ में है।


पुतले की आग में सुलगती सियासत?पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने कुछ दिन पहले पुलिस को तहरीर देकर कहा था कि उन्हें जान का खतरा है। यह बयान आते ही माहौल बदल गया। और फिर, कुछ ही देर में उनके पुतले को जला दिया गया। राजनीति में विरोध प्रदर्शन कोई नई बात नहीं, लेकिन जब विरोध ‘पुतला राजनीति’ में बदल जाए, तो जनता समझ जाती है कि खेल अब “आदर्श राजनीति” का नहीं, बल्कि “आत्मसम्मान बनाम अस्तित्व” का है।

वहीं, वर्तमान विधायक शिव अरोड़ा के समर्थक भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी राजकुमार ठुकराल समर्थक राजकुमार तूफान के खिलाफ पुलिस में तहरीर दे दी। अब दोनों ही गुट एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं — एक ओर ‘ठुकराल ब्रिगेड’ और दूसरी ओर ‘अरोड़ा आर्मी’। दोनों के बीच का यह टकराव रुद्रपुर की सियासत को दो खेमों में बांट चुका है।


2027 का संकेत — “तूफान” आने वाला है?इस लड़ाई में दिलचस्प मोड़ तब आया जब तीसरे संभावित खिलाड़ी का नाम चर्चा में आने लगा। सूत्रों के अनुसार, “तीसरा व्यक्ति” जो खुद को 2027 के चुनाव के लिए दावेदार के रूप में पेश करने की कोशिश में है, वह इस पूरी जंग से ‘लाभ’ उठाने की फिराक में है। राजनीति में कहा जाता है — “जब दो हाथी लड़ते हैं, तो घास का फायदा किसी और को हो जाता है।”

रुद्रपुर का यह परिदृश्य भी कुछ वैसा ही है। वर्तमान और पूर्व विधायक की आपसी खींचतान में जनता का ध्यान असल मुद्दों — जैसे बेरोजगारी, ट्रैफिक जाम, अव्यवस्थित स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और अपराध — से हटकर “कौन ज्यादा लोकप्रिय” की बहस में जा चुका है।


जनता का मूड: मनोरंजन या मायूसी? रमपुरा क्षेत्र में जहां दोनों गुट आमने-सामने हैं, वहीं शहर के बाकी हिस्सों में लोग इस राजनीतिक भिड़ंत को ‘सीरियल’ की तरह देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर मेम बन रहे हैं, लोग कह रहे हैं —

“रुद्रपुर की सियासत अब ‘नेटफ्लिक्स’ से कम नहीं — हर दिन नया एपिसोड!”

मगर इस हंसी-ठिठोली के पीछे एक गंभीर सवाल भी है — क्या नेताओं को यह एहसास है कि जनता अब केवल ‘पुतले’ नहीं, ‘परिणाम’ देखना चाहती है? लोगों की अपेक्षाएं अब नारों और फोटो से आगे निकल चुकी हैं।


ठुकराल बनाम अरोड़ा — पुराने बनाम नए समीकरण?राजकुमार ठुकराल रुद्रपुर की राजनीति में एक ‘आक्रामक’ चेहरा रहे हैं — विवादों के बावजूद उनकी पकड़ बूथ स्तर तक रही है। वहीं, विधायक शिव अरोड़ा को संगठन का समर्थन और सत्ता का बैकअप हासिल है। ठुकराल जहां व्यक्तिगत करिश्मे पर भरोसा करते हैं, वहीं अरोड़ा प्रशासनिक संतुलन और छवि के खेल में विश्वास रखते हैं।

दोनों के बीच यह टकराव केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि “पुराने नेतृत्व बनाम नए नेतृत्व” की जंग भी है। भाजपा संगठन इस घटनाक्रम पर निगरानी तो रखे हुए है, परंतु अंदरखाने यह भी माना जा रहा है कि इस आपसी कलह का सीधा फायदा विपक्ष को मिल सकता है।


रमपुर का गरम माहौल — कानून-व्यवस्था की परीक्षा?दो दिनों से रमपुर का माहौल गरम है। पुलिस की गश्त बढ़ाई गई है, चौकियों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। प्रशासन यह दिखाना चाहता है कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन जनता जानती है कि “जहां धुआं उठता है, वहां आग भी होती है।”

पुलिस तहरीरों की जांच कर रही है, परन्तु राजनीतिक संकेत साफ हैं — रुद्रपुर में सियासी ‘पोलाराइजेशन’ शुरू हो चुका है। यह केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि 2027 की जमीन तैयार करने की जंग है।


“पुतले” नहीं, “नीतियां” जलनी चाहिएं?रुद्रपुर की राजनीति में पुतले जलाना एक प्रतीक बन गया है — लेकिन जनता चाहती है कि यह प्रतीक जवाबदेही में बदले। सड़क, शिक्षा, बेरोजगारी, स्वास्थ्य और अपराध — यही असली मुद्दे हैं। लेकिन जब सियासत इनसे हटकर पुतलों की राख में उलझ जाए, तो समझना चाहिए कि लोकतंत्र “लोक” से नहीं, “लोकप्रियता” से संचालित हो रहा है।

2027 का चुनाव अभी दूर है, मगर रुद्रपुर में राजनीतिक ‘ड्रामा’ का मंच सज चुका है। सवाल बस इतना है —

क्या जनता इस बार अभिनेता बदलेगी या कहानी वही पुरानी रहेगी?


(यह लेख लेखक के निजी विचार हैं।)
🖋️ अवतार सिंह बिष्ट
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स | रुद्रपुर, उत्तराखंड


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