
✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर, उत्तराखंड राज्य आंदोलन कारी

दीपों का पर्व दीपावली जहाँ रोशनी, उल्लास और सामाजिक एकता का प्रतीक माना जाता है, वहीं यह पर्व प्रशासनिक दृष्टि से भी सतर्कता और व्यवस्था की परीक्षा बन जाता है। हर वर्ष की तरह इस बार भी जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया ने सख्त निर्देश दिए हैं कि बिना अनुमति के लगाई जाने वाली आतिशबाज़ी की दुकानों पर रोक लगाई जाए। यह कदम न केवल कानून-व्यवस्था की दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि जनसुरक्षा के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
आतिशबाजी से जुड़ी घटनाएँ अक्सर त्योहार की खुशियों पर पानी फेर देती हैं। बिना सुरक्षा मानकों के लगाए गए पटाखों के स्टॉल आगजनी, दुर्घटनाओं और जानमाल की हानि का कारण बनते हैं। जिलाधिकारी का यह निर्णय सराहनीय है कि उपजिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि ऐसे असुरक्षित स्टॉलों को तत्काल बंद कराया जाए और केवल उन्हीं दुकानों को अनुमति दी जाए जो सुरक्षा मानकों का पालन करें।
लेकिन दीपावली की तैयारी का दूसरा पक्ष भी चिंताजनक है — और वह है बरेली, रामपुर व अन्य जनपदों से आने वाली सिंथेटिक मिठाइयों की अवैध बिक्री। हर वर्ष दीपावली के अवसर पर रुद्रपुर के प्रमुख बाज़ारों, गलियों और मोहल्लों में इन बाहरी जिलों के अस्थायी टेंट लग जाते हैं। इन टेंटों में बिना किसी गुणवत्ता जाँच, एफएसएसएआई लाइसेंस या स्वास्थ्य विभाग की अनुमति के रंग-बिरंगी सिंथेटिक मिठाइयाँ और दूध उत्पाद बेचे जाते हैं।
ये मिठाइयाँ देखने में भले ही आकर्षक लगें, परंतु इनमें उपयोग होने वाले कृत्रिम रंग, ग्लूकोज, यूरिया और सस्ता घी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक सिद्ध होते हैं। कई बार इनसे फूड पॉयजनिंग, लीवर और किडनी संबंधी बीमारियों के मामले बढ़ जाते हैं। स्थानीय मिठाई व्यवसायी भी इससे प्रभावित होते हैं क्योंकि बाहरी व्यापारी न तो कोई टैक्स देते हैं और न ही कोई गुणवत्ता मानक पूरा करते हैं।
ऐसे में सवाल उठता है — क्या प्रशासन दीपावली के इस “मिठास के व्यापार” पर भी उतनी ही सख्ती दिखाएगा जितनी आतिशबाज़ी पर?
क्योंकि अगर आतिशबाजी से आग का खतरा है, तो सिंथेटिक मिठाइयाँ स्वास्थ्य की धीमी आग हैं जो धीरे-धीरे समाज को बीमार कर रही हैं।
प्रशासन को चाहिए कि खाद्य सुरक्षा विभाग और नगर निगम की संयुक्त टीमें बनाकर बाज़ारों और अस्थायी टेंटों का निरीक्षण करें, बिना अनुमति लगाए गए सिंथेटिक मिठाई विक्रेताओं पर चालान, ज़ब्ती और मुकदमा दर्ज करने की कार्यवाही करें। स्थानीय व्यापार मंडलों को भी इस दिशा में सजग रहना चाहिए ताकि शहर की अर्थव्यवस्था और उपभोक्ता सुरक्षा दोनों संतुलित रह सकें।
दीपावली केवल सजावट और खरीदारी का त्योहार नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और अनुशासन का पर्व भी है। प्रशासन ने आतिशबाजी पर जो नियंत्रण के निर्देश दिए हैं, यदि वही सतर्कता सिंथेटिक मिठाइयों के अवैध कारोबार पर भी लागू की जाए तो यह रुद्रपुर के नागरिकों के लिए सच्चे अर्थों में “सुरक्षित और शुद्ध दीपावली” होगी।
“रोशनी की असली चमक तभी है जब स्वास्थ्य, सुरक्षा और सत्यता भी साथ हो।”
— यही संदेश इस दीपावली रुद्रपुर प्रशासन और समाज दोनों को अपनाना चाहिए।


