
इसका खुलासा हिन्दुस्तान अखबार ने 2019 में किया था, जिसके बाद शासन स्तर पर जांच बैठी थी।

पेयजल निगम के आरक्षित पदों पर दिल्ली, यूपी, बिहार के इंजीनियरों के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई है। 20 साल पहले सहायक अभियंता के पद पर नियुक्त हुए इंजीनियरों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने इंजीनियरों को बहाल करने के आदेश दिए थे। बहाली के इन आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
हिन्दुस्तान अखबार ने किया था खुलासा
पेयजल निगम में वर्ष 2005 में सहायक अभियंता पद पर भर्ती हुई। पंजाब यूनिवर्सिटी से हुई इस भर्ती में आरक्षित पदों पर कई दूसरे राज्यों के लोगों का चयन कर लिया गया। जल निगम मुख्यालय में भी दस्तावेजों की जांच के दौरान मैनेजमेंट की ओर से कार्रवाई नहीं की गई। इस कारण दूसरे राज्यों के ये इंजीनियर आरक्षित पदों पर दशकों तक नौकरी करते रहे। आपके प्रिय समाचार पत्र हिन्दुस्तान ने इस पूरे मामले का 2019 में खुलासा किया। इसके बाद शासन स्तर से पूरे प्रकरण में जांच बैठी।
लंबी चली जांच प्रक्रिया के बाद चार अधिशासी अभियंताओं की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया था। बर्खास्तगी के आदेश के खिलाफ इंजीनियरों ने हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट से फैसला इंजीनियरों के पक्ष में आया। इस मामले में अब 15 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है।


